नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव सभी पार्टियां अपने-अपने पक्ष में करने में जुटी हैं. बिहार के बाहुबली सांसद रहे अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव की भी एंट्री हो गई है. ये वही साधु यादव हैं, जो बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई और लालू प्रसाद यादव के साले हैं.
एक समय था जब बिहार में लालू राबड़ी की सरकार के समय साधु यादव की तूती बोलती थी. हालांकि, बिहार में सरकार जाने के बाद साधु यादव की लालू-राबड़ी से बिगड़ गई और उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल छोड़ दिया. अब वह कई साल से बहुजन समाज पार्टी में हैं और बसपा प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव भी लड़े हैं. लेकिन, उन्हें जीत नहीं मिली. हालांकि, वह राष्ट्रीय जनता दल से चार बार गोपालगंज से सांसद और तीन बार गोपालगंज सदर सीट से विधायक रह चुके हैं.
बीते दिनों साधु यादव दिल्ली आए तो उन्होंने एक प्रेस वार्ता में जनहित दल को दिल्ली विधानसभा चुनाव में समर्थन देने की घोषणा की. साधु यादव ने जनहित दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंशुमान जोशी के साथ प्रेस वार्ता में कहा कि हम पूर्वांचल के मतदाताओं की अधिक संख्या वाली दिल्ली की 22 विधानसभा सीटों पर जनहित दल के प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे और उनको जनता से जिताने की अपील करेंगे. हम चाहते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जाए और जनहित दल की सरकार बने. दिल्ली के लिए आम आदमी पार्टी आफत है तो वहीं भाजपा विपत्ति है. जनता इन दोनों को हराए.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनहित दल को समर्थन करने के पीछे साधु यादव की क्या रणनीति है. वह बसपा में हैं तो फिर जनहित दल का समर्थन क्यों कर रहे हैं. इस तरह के तमाम मुद्दों पर साधु यादव से ईटीवी भारत के संवाददाता राहुल चौहान ने खुलकर बातचीत की. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-:
सवालः जनहित दल को समर्थन देने के पीछे क्या रणनीति है?
जवाबः दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने लोगों के लिए कोई काम नहीं किया है. साथ ही यहां के सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नौकरी से निकाल दिया है. हजारों की संख्या में इन लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसलिए उनका साथ देने के लिए उनकी लड़ाई लड़ने के लिए हमने जनहित दल को समर्थन दिया है.
सवालः आप बसपा में हैं, बसपा भी दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रही है, तो दिल्ली में आप जनहित दल का समर्थन क्यों कर रहे हैं?
जवाबः बिल्कुल, हम बसपा में हैं लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में हम जनहित दल का समर्थन कर रहे हैं. अंशुमान जोशी जी हमारे मित्र हैं. इन्होंने जनहित दल को खड़ा किया है. हमारी बसपा से बात हुई हुई है जैसे-जैसे आगे भी चुनाव होंगे तो जहां जहां जनहित दल चुनाव लड़ रहा है वहां जनहित दल का समर्थन करेंगे और जहां अन्य पार्टी लड़ रही है वहां उनका समर्थन करेंगे.
सवालः आज आपने जनहित दल के प्रत्याशियों का दिल्ली विधानसभा चुनाव में समर्थन करने की घोषणा की है तो क्या आगे जनहित दल में शामिल भी होंगे?
जवाबः नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है. समर्थन करना कोई गलत बात थोड़ी है. समर्थन तो पार्टियां एक दूसरे को लेती देती रहती हैं. जैसे मांझी जी पहले महागठबंधन में थे. अब मोदी जी के साथ हैं. जैसे पहले नीतीश राजद के साथ थे. अब एनडीए में चले गए और उनको समर्थन दिया और लिया.
सवालः क्या आपकी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा की दिल्ली इकाई से बात हुई है?
जवाबः बिल्कुल, बात हुई है और बात होगी भी. इसका कोई मतलब नहीं रह गया है कि 70 में हम कितना लड़ेंगे बसपा की क्या भूमिका होगी कौन क्या करेगा यह जनता सब समझ रही है. हम दिल्ली की 22 सीटों पर जनहित दल को समर्थन दे रहे हैं, जो पूर्वांचल बाहुल्य सीटें हैं. उन पर हम जनता के बीच जाएंगे. जनहित दल को जिताने की अपील करेंगे.
सवालः आप दिल्ली में जनहित दल को समर्थन दे रहे हैं. इसका मतलब आप चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी की सरकार यहां बदले ?
जवाबः बिल्कुल, हम चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी की सरकार यहां से जाए उसने जनता से सब झूठे वादे किए हैं. लोगों के लिए कोई काम नहीं किया. अन्ना हजारे के साथ छल किया. दिल्ली की जनता के साथ छल करने में मिनटों नहीं लगा. बिजली के खंभे पर चढ़कर लोगों को झांसे में लेकर के बिजली फ्री कर देंगे वोट ले लिया. 28 राज्यों की जनता दिल्ली में रहती है. सबको केजरीवाल ने ठग लिया. इसलिए हम जनहित दल के साथ और भी छोटे-छोटे दलों को जोड़कर जनता के बीच जाएंगे.
सवालः दिल्ली में जनहित दल के जितने प्रत्याशी होंगे क्या सबके लिए प्रचार करेंगे और दिल्ली में कितने दिन रहेंगे?
जवाबः बिल्कुल सभी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे और दिल्ली में जब तक विधानसभा नहीं हो जाएगा पूरा तब तक रहेंगे. फरवरी तक दिल्ली में रहेंगे.
सवालः आपने अभी प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार की तारीफ की. वो कांग्रेस की नेता थीं और आप दिल्ली में कांग्रेस का समर्थन नहीं कर रहे हैं. इसका क्या मतलब है?
जवाबः बिल्कुल सही बात है. हमने शीला दीक्षित की सरकार की तारीफ की. शीला दीक्षित ने जितना काम दिल्ली में किया उतना किसी ने नहीं किया. हमने व्यक्तिगत तौर पर उनकी तारीफ की. व्यक्ति की तारीफ करना उनके काम की तारीफ करने का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. अगर दिल्ली में शीला दीक्षित के काम को माइनस कर दिया जाए तो कुछ नहीं बचता है.
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