हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है. पूरा विश्व इस वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए संघर्ष कर रहा है. ऐसे समय में ताइवान ने अपने देश की स्वास्थ्य प्रणाली को ही बदल दिया है. ताइवान ने महामारी के लिए अपने दृष्टिकोण से वैश्विक महाशक्तियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.
चीन से 150 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित होने के बावजूद ताइवान में वायरस का संक्रमण दर बहुत कम है.
चीन के वुहान शहर में वायरस वायरस फैलने के बाद ताईवान सरकार ने सूझ-बूझ से काम लिया. उनके इस निर्णय से वायरस के प्रसार की संभावना कम हो गई.
छोटे चिकित्सक दल का निर्माण
वायरस के प्रसार को रोकने के लिए ताइवान सरकार ने अस्पताल से कर्मचारियों, सामानों को कम किया और इन्हें छोट-छोटे सामुदायिक चिकित्सक दल बना दिया.
इससे देश के अस्पतालों में कोरोना के सामुदायिक प्रसार के जोखिम को कम करने में मदद मिली, जो वहां इलाज करा रहे रोगियों से उत्पन्न हो सकता था. ताइवान सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय को बड़ा कदम कहा जा सकता है.
ताइवान ने एक प्रावधान किया कि सभी ताइपे मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल में प्रवेश करने से पहले अपना व्यक्तिगत स्वास्थ्य कार्ड पेश करना होगा और इंफ्रारेड थर्मामीटर चेकपॉइंट के माध्यम से प्रवेश करना चाहिए.
स्वास्थ्य कर्मियों और रोगिया के बीच अनुपात
बता दें कि अस्पतालों में कार्य करने वाले लोगों की संख्या दो-तिहाई तक कम कर दी गई, जिससे स्वास्थ्य कर्मचारियों और रोगियों के बीच का अनुपात लगातार बराबर बना रहा.
ताइवान के इस कदम ने उपचार मानकों के साथ समझौता किए बिना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद की.
अप्रैल में दुनियाभर में इस वायरस 69 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 12 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं तो वहीं ताइवान में इस महामारी से सिर्फ 373 लोग संक्रिमित हैं और देश में पांच लोगों की मौत हुई है.
अब तक देश में कोरोना से संक्रमितों की संख्या कम है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर ताइवान इससे निबटने की योजना पहले ही तैयार कर ली है.
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ताइवान जरूरत के समय में अधिक कमरे जोड़ने वाले प्रावधान के साथ 1,000 नकारात्मक दबाव वाले आइसोलेशन कमरों के साथ कोरोना से सामना करने के लिए तैयार है.
स्वास्थ्य विभाग और केंद्र सरकार के बीच समन्वय ने ताइवान को वायरस को दूर रखने में मदद की.
देश में राष्ट्रीयकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर, प्रत्येक नागरिक को एक चिप के साथ एक हेल्थ कार्ड प्रदान किया गया, जो उनकी पहचान और चिकित्सा इतिहास को प्रदर्शित करता है. इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों को रोगियों का इलाज जल्दी और प्रभावी ढंग से करने में मदद मिली.