नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में विशाखापत्तनम स्थित गैस संयंत्र (एलजी पॉलिमर्स) और इसके परिसर को सील करने का आदेश दिया था. अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित समितियों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अदालत ने इस कंपनी के निदेशकों को उसकी अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाने का भी आदेश दिया था.
न्यायमूर्ति उदय यू ललित, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडार और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद इसके तीस कर्मचारियों को संयंत्र में प्रवेश की अनुमति प्रदान की और स्पष्ट किया कि उसकी अन्य दलीलों पर उच्च न्यायालय ही विचार करेगा.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अंतरिम उपाय के रूप में हम याचिकाकर्ता (फर्म) को 30 कर्मचारियों की सूची पेश करने की अनुमति देते हैं, जिन्हें संयंत्र में जाने की अनुमति दी जा सकती है. इन कर्मचारियों की सूची आज अपराह्न तीन बजे तक जिला कलेक्टर को सौंपी जायेगी.'
रोहतगी ने कहा कि इससे पहले फर्म राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत आयी थी जिसने आठ मई को स्वत: ही गैस रिसाव की घटना का संज्ञान लेते हुए अंतरिम मुआवजे के रूप में 50 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था.
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने संयंत्र सील कर दिया था, जो सिर्फ उच्च न्यायालय के लिये खुला था. उन्होंने कहा कि संयंत्र में विषाक्त सामग्री रखी है.
कंपनी इस कार्यवाही में शामिल होना चाहती है और अगर उसे प्रवेश की अनुमति नहीं मिली तो इससे समस्यायें ज्यादा हो सकती हैं. इससे पहले, अदालत ने एलजी पॉलीमर्स संयंत्र परिसर को सील करने का आदेश दिया था और इसके कमचारियों का प्रवेश वर्जित कर दिया था.
इस संयंत्र में हुए गैस रिसाव में एक नाबालिग सहित 12 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी और सैकड़ों व्यक्ति इससे प्रभावित हुए थे.