नई दिल्ली : निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के मुजरिमों की मौत की सजा पर अमल के लिए आवश्यक वारंट जारी होने के बाद इन दोषियों के पास अब सिर्फ सुधारात्मक याचिका दायर करने का कानूनी विकल्प उपलब्ध है. इन दोषियों में से तीन का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ने बताया कि वह शीघ्र ही उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर करेंगे.
इसके अलावा अपराधी मौत की सजा के फंदे से बचने के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के प्रावधान का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस सनसनीखेज अपराध के मुजरिमों अक्षय, पवन और विनय का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि वह शीघ्र ही उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर करके इसका निबटारा होने तक मौत की सजा पर अमल के निचली अदालत के वारंट पर रोक लगाने का अनुरोध करेंगे.
सुधारात्मक याचिका अंतिम कानूनी उपाय है और आमतौर पर न्यायाधीशों के चेंबर में ही इस पर विचार किया जाता है.
इसे भी पढ़ें- निर्भया के अपराधियों की फांसी के लिए तैयार हैं पवन जल्लाद, बताते हैं खानदानी पेशा
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने मंगलवार को मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए आवश्यक वारंट जारी किए हैं.
आपको बता दें कि दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में छह व्यक्तियों ने निर्भया से सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके बाहर फेंक दिया था. निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.
शीर्ष अदालत ने अपने मई 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए अक्षय सिंह की याचिका पिछले साल 18 दिसंबर को खारिज कर दी थी. इससे पहले न्यायालय ने नौ जुलाई, 2018 को तीन अन्य दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी थीं.