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विशेष लेखः फास्ट ट्रैक कोर्ट कितनी फास्ट

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Published : Dec 6, 2019, 2:09 PM IST

फास्ट ट्रैक कोर्ट आमतौर पर मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए बनाई जाती हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राज्यों की अलग-अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट में 12 फीसदी मामलों की सुनवाई में 10 साल से ज्यादा का समय लग गया.

opinion on quick justice
डिजाइन फोटो

त्वरित न्याय के लिए बनी फास्ट ट्रैक अदालत में भी कई मामलों की सुनवाई में दस साल लग गए थे.

हाल ही में 'दिशा' के मामले में फास्ट ट्रैक अदालत के गठन की पृष्ठभूमि में देश में व्यापक चर्चा हो रही है.

जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश पहले दो राज्यों में से हैं, जहां आम तौर पर त्वरित न्याय प्रदान किया जाता है, जबकि बिहार और तेलंगाना सबसे नीचे हैं.

इस साल 31 मार्च तक देशभर में छह लाख मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित हैं. इनमें से ज्यादातर मामले उत्तर प्रदेश में हैं.

2017 के लिए नेशनल क्रिमिनल स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 12% मामलों में, राज्य की फास्ट ट्रैक न्यायालयों को निर्णय देने में 10 साल से अधिक समय लगा. वहीं बिहार में एक तिहाई मामलों में फैसला सुनाने में अदालतों को दस साल का समय लगा.

देशभर में 581 फास्ट ट्रैक अदालते हैं और वह कर्मचारियों की कमी से जूझ रहीं हैं.

इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने घोषणा की कि देशभर में यौन शोषण मामलों में त्वरित न्याय के लिए निर्भया फंड से 1023 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी.

त्वरित न्याय के लिए बनी फास्ट ट्रैक अदालत में भी कई मामलों की सुनवाई में दस साल लग गए थे.

हाल ही में 'दिशा' के मामले में फास्ट ट्रैक अदालत के गठन की पृष्ठभूमि में देश में व्यापक चर्चा हो रही है.

जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश पहले दो राज्यों में से हैं, जहां आम तौर पर त्वरित न्याय प्रदान किया जाता है, जबकि बिहार और तेलंगाना सबसे नीचे हैं.

इस साल 31 मार्च तक देशभर में छह लाख मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित हैं. इनमें से ज्यादातर मामले उत्तर प्रदेश में हैं.

2017 के लिए नेशनल क्रिमिनल स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 12% मामलों में, राज्य की फास्ट ट्रैक न्यायालयों को निर्णय देने में 10 साल से अधिक समय लगा. वहीं बिहार में एक तिहाई मामलों में फैसला सुनाने में अदालतों को दस साल का समय लगा.

देशभर में 581 फास्ट ट्रैक अदालते हैं और वह कर्मचारियों की कमी से जूझ रहीं हैं.

इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने घोषणा की कि देशभर में यौन शोषण मामलों में त्वरित न्याय के लिए निर्भया फंड से 1023 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी.

Intro:Body:

How quick is justice dispensed?

It took more than ten years to resolve 12% of cases in fast track courts of the

States.

Can you believe, the trial of many cases in fast track courts set up for dispensation

of quick justice took ten years? There is widespread discussion in the country at

the backdrop of constituting a fast track court recently in the case of 'Disha'.

Jammu and Kashmir and Madhya Pradesh are among the first two states that

provide quick justice, while Bihar and Telangana are at the bottom.

As on March 31 this year, 6 lakh cases are pending in fast track courts nationwide

... most of them are in Uttar Pradesh.

The National Criminal Statistics Bureau Report for 2017 states that in nearly 12%

of cases, it took more than 10 years for the state fast track courts to deliver

judgments. In Bihar, however, one-third of cases took more than ten years for

resolution of cases in these courts.

· There are currently 581 fast track courts nationwide. These courts also are

suffering from shortage of staff.

· The central government announced In August this year that 1023 fast track

courts would be set up across the country with Nirbhaya Funds for quick

trial of sexual harassment cases.


Conclusion:
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