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130 करोड़ बच्चों के घर पर शिक्षा के लिए इंटरनेट नहीं - यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फोर

कोरोना में ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. सभी स्कूल बंद होने से बच्चों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. घरों में इंटरनेट कनेक्शन को लेकर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें बताया गया है कि 130 करोड़ बच्चों के घरों में इंटरनेट की सुविधा नहीं थी.

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Published : Dec 3, 2020, 3:52 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 5:01 PM IST

हैदराबाद : घर में इंटरनेट कनेक्शन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में स्कूल जाने की उम्र 03 से 17 साल के बच्चों की लगभग दो तिहाई संख्या यानी करीब 130 करोड़ बच्चों के पास अपने घरों में इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, जिस वजह से वे महत्वपूर्ण कौशल सीखने से रह जाते हैं. लिये

वहीं, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 से 24 साल तक के किशोरों को भी इस तरह की समस्या से जूझना पड़ रहा है और लगभग 75 करोड़ 90 लाख या 63 फीसदी के घरों पर कोई इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं है.

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फोर ने इस मामले में कहा कि इतनी बड़ी संख्या एक बहुत बड़ी डिजिटल खाई है. उन्होंने कहा कि असल में ये एक बड़ी डिजिटल घाटी के समान है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट कनेक्शन का न होना बच्चों और किशोरों को केवल ऑनलाइन जुड़ने से ही नहीं रोकता, बल्कि ये स्थिति उन्हें कामकाज से ही अलग-थलग कर देती है और आधुनिक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा से भी रोकती है.

हैनरिएटा फोर ने आगे कहा कि इस समय कोरोना की वजह से स्कूल भी बंद हैं. जिस वजह से करोड़ों बच्चों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे बच्चे शिक्षा हासिल करने में भी बहुत नुकसान उठा रहे हैं. हैनरिएटा ने कहा कि अगर साफ शब्दों में कहा जाए, तो इंटरनेट का अभाव अगली जेनरेशन को जोखिम में डाल रही है.

दूर की कौड़ी साबित होगी शिक्षा

यूनीसेफ की मानें, तो कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से दुनियाभर में लगभग 25 करोड़ बच्चे अब भी प्रभावित हैं. लाखों बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भर होना पड़ रहा है. जिन बच्चों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उनके लिए शिक्षा एक दूर की कौड़ी साबित हो सकती है. कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले भी भारी संख्या में बच्चों और किशोरों को बुनियादी, परिवर्तनशील, डिजिटल और रोजगारोन्मुख व उद्यमशील कौशल सीखने की ज़रूरत थी, जिसके जरिये वो 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा कर सकें.

एक बड़ी चुनौती

1. रिपोर्ट में बताया गया है कि डिजिटल खाई के कारण देशों और समुदायों के बीच असमानता बढ़ने के साथ-साथ वो ज़्यादा स्थिर बन रही है.

2. रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में धनी परिवारों के स्कूली शिक्षा की उम्र के लगभग 58 प्रतिशत बच्चों को उनके घरों पर इंटरनेट उपलब्ध है, जबकि उनकी तुलना में, निर्धनतम परिवारों में केवल 16 प्रतिशत बच्चों के घरों में इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है.

3. शहरी और ग्रामीण आबादियों के बीच और उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच भी ऐसी ही स्थिति है. शहरी इलाकों में रहने वाली आबादी में स्कूली शिक्षा की उम्र वाले बच्चों की लगभग 60 प्रतिशत घरों में इंटरनेट नहीं है, जबकि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली आबादी में ये संख्या 75 प्रतिशत है. देश की आय स्तर के साथ-साथ समान असमानता भी मौजूद है.

4. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के महासचिव हाउलिन झाओ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को इंटरनेट और ऑनलाइन साधन मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है.

5.देशों और क्षेत्रों के भीतर भौगोलिक विषमताएं भी हैं. वैश्विक स्तर पर शहरी इलाकों में लगभग 60 प्रतिशत स्कूली बच्चों के घर पर इंटरनेट सुविधा नहीं है, जबकि ग्रामीण घरों में स्कूली बच्चों की उम्र लगभग तीन-चौथाई है. उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में स्कूल-आयु वाले बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं, जिनमें लगभग 10 में से 9 बच्चे असंबद्ध हैं.

हैदराबाद : घर में इंटरनेट कनेक्शन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में स्कूल जाने की उम्र 03 से 17 साल के बच्चों की लगभग दो तिहाई संख्या यानी करीब 130 करोड़ बच्चों के पास अपने घरों में इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, जिस वजह से वे महत्वपूर्ण कौशल सीखने से रह जाते हैं. लिये

वहीं, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 से 24 साल तक के किशोरों को भी इस तरह की समस्या से जूझना पड़ रहा है और लगभग 75 करोड़ 90 लाख या 63 फीसदी के घरों पर कोई इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं है.

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फोर ने इस मामले में कहा कि इतनी बड़ी संख्या एक बहुत बड़ी डिजिटल खाई है. उन्होंने कहा कि असल में ये एक बड़ी डिजिटल घाटी के समान है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट कनेक्शन का न होना बच्चों और किशोरों को केवल ऑनलाइन जुड़ने से ही नहीं रोकता, बल्कि ये स्थिति उन्हें कामकाज से ही अलग-थलग कर देती है और आधुनिक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा से भी रोकती है.

हैनरिएटा फोर ने आगे कहा कि इस समय कोरोना की वजह से स्कूल भी बंद हैं. जिस वजह से करोड़ों बच्चों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे बच्चे शिक्षा हासिल करने में भी बहुत नुकसान उठा रहे हैं. हैनरिएटा ने कहा कि अगर साफ शब्दों में कहा जाए, तो इंटरनेट का अभाव अगली जेनरेशन को जोखिम में डाल रही है.

दूर की कौड़ी साबित होगी शिक्षा

यूनीसेफ की मानें, तो कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से दुनियाभर में लगभग 25 करोड़ बच्चे अब भी प्रभावित हैं. लाखों बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भर होना पड़ रहा है. जिन बच्चों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उनके लिए शिक्षा एक दूर की कौड़ी साबित हो सकती है. कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले भी भारी संख्या में बच्चों और किशोरों को बुनियादी, परिवर्तनशील, डिजिटल और रोजगारोन्मुख व उद्यमशील कौशल सीखने की ज़रूरत थी, जिसके जरिये वो 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा कर सकें.

एक बड़ी चुनौती

1. रिपोर्ट में बताया गया है कि डिजिटल खाई के कारण देशों और समुदायों के बीच असमानता बढ़ने के साथ-साथ वो ज़्यादा स्थिर बन रही है.

2. रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में धनी परिवारों के स्कूली शिक्षा की उम्र के लगभग 58 प्रतिशत बच्चों को उनके घरों पर इंटरनेट उपलब्ध है, जबकि उनकी तुलना में, निर्धनतम परिवारों में केवल 16 प्रतिशत बच्चों के घरों में इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है.

3. शहरी और ग्रामीण आबादियों के बीच और उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच भी ऐसी ही स्थिति है. शहरी इलाकों में रहने वाली आबादी में स्कूली शिक्षा की उम्र वाले बच्चों की लगभग 60 प्रतिशत घरों में इंटरनेट नहीं है, जबकि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली आबादी में ये संख्या 75 प्रतिशत है. देश की आय स्तर के साथ-साथ समान असमानता भी मौजूद है.

4. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के महासचिव हाउलिन झाओ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को इंटरनेट और ऑनलाइन साधन मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है.

5.देशों और क्षेत्रों के भीतर भौगोलिक विषमताएं भी हैं. वैश्विक स्तर पर शहरी इलाकों में लगभग 60 प्रतिशत स्कूली बच्चों के घर पर इंटरनेट सुविधा नहीं है, जबकि ग्रामीण घरों में स्कूली बच्चों की उम्र लगभग तीन-चौथाई है. उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में स्कूल-आयु वाले बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं, जिनमें लगभग 10 में से 9 बच्चे असंबद्ध हैं.

Last Updated : Dec 3, 2020, 5:01 PM IST
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