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74 प्रतिशत भारतीयों ने माना 'मखौल' बन गए हैं समाचार चैनल

भारत में लोगों को लुभाने के लिए समाचार चैनल कई सारे हथकंडे अपना रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों में भ्रामकता फैल रही है. ऐसे में आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर अपने सर्वेक्षण में निष्कर्ष निकाला है कि लगभग 74 प्रतिशत भारतीय समाचार चैनल खबरों के बजाय मनोरंजन का स्त्रोत बन गए हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि भारत में न्यूज चैनल समाचार की तुलना में अधिक मनोरंजन पेश करते हैं.

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भारतीय मनोरंजान का साधन बने सामाचार चैनल
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Published : Oct 7, 2020, 10:56 AM IST

Updated : Oct 7, 2020, 2:26 PM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है. देश के लगभग 74 प्रतिशत भारतीय समाचार चैनलों को वास्तविक समाचार के बजाय मनोरंजन का स्रोत मान रहे हैं. आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर के हालिया निष्कर्षों में यह बात सामने आई है.

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से जब यह पूछा गया कि क्या वह इस कथन को मानते हैं कि 'भारत में न्यूज चैनल समाचार परोसने की तुलना में अधिक मनोरंजन पेश करते हैं', इस पर 73.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की. इसके अलावा इस बात से 22.5 प्रतिशत लोग असहमत भी नजर आए, जबकि शून्य से 2.6 प्रतिशत ने कहा कि वह नहीं जानते या वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.

लिंग के आधार पर देखा जाए तो 75.1 प्रतिशत पुरुष जबकि 72.7 प्रतिशत महिलाओं ने सहमति व्यक्त की कि न्यूज चैनल समाचारों की तुलना में मनोरंजन के अधिक साधन बन गए हैं.

इस बात से विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में भी एकमत देखने को मिला है और 55 वर्ष तक के 70 प्रतिशत लोग इससे सहमत दिखे हैं. इसके अलावा 55 साल से ऊपर के लोगों में 68.7 प्रतिशत ही इस बात से सहमत नजर आए.

दिलचस्प बात यह है कि निम्न, मध्यम और उच्च शिक्षित लोगों में भी एक ही प्रकार की सहमति देखने को मिली. निम्न आयु वर्ग के जहां 75.9 प्रतिशत लोगों ने इससे सहमति व्यक्त की, वहीं अन्य वर्गों के 70 प्रतिशत से अधिक लोग भी इस बात से सहमत नजर आए.

आय समूहों के हिसाब से देखा जाए तो निम्न आय समूहों के 73.2 प्रतिशत जबकि उच्च आय समूह के 75.1 प्रतिशत लोगों ने इससे सहमत जताई, जिनमें बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला.

विभिन्न सामाजिक समूहों में लोग भी बड़ी संख्या में मानते हैं कि न्यूज चैनल मनोरंजन के साधन बन चुके हैं. दलित समुदाय के 72.1 प्रतिशत, सवर्ण हिंदू 73.5 प्रतिशत और सिख समुदाय से जुड़े 85.3 लोगों ने स्वीकार किया कि समाचार चैनल खबरों से कहीं अधिक मनोरंजन का केंद्र बन चुके हैं.

पढ़ें - सोशल मीडिया में वायरल हो रहे पीड़िता के भाई और आरोपी के कॉल डिटेल्स

दक्षिण भारतीयों में इस कथन से सहमति अपेक्षाकृत कुछ कम देखने को मिली है. कुल 67.1 प्रतिशत दक्षिण भारतीय मानते हैं कि न्यूज चैनल मनोरंजन अधिक परोस रहे हैं. इसके अलावा चाहे वह शहरी हों या ग्रामीण, दिल्ली-एनसीआर से हों या किसी अन्य क्षेत्र से और चाहे वह हिंदी पट्टी के हों या शेष भारत के, अधिकतर लोग इसी बात से सहमत नजर आए हैं कि समाचार चैनल मनोरंजन का साधन बन गए हैं.

इस सर्वेक्षण में सभी राज्यों में स्थित सभी जिलों से आने वाले 5000 से अधिक उत्तरदाताओं से बातचीत की गई है. यह सर्वेक्षण वर्ष 2020 में सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान किया गया है.

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है. देश के लगभग 74 प्रतिशत भारतीय समाचार चैनलों को वास्तविक समाचार के बजाय मनोरंजन का स्रोत मान रहे हैं. आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर के हालिया निष्कर्षों में यह बात सामने आई है.

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से जब यह पूछा गया कि क्या वह इस कथन को मानते हैं कि 'भारत में न्यूज चैनल समाचार परोसने की तुलना में अधिक मनोरंजन पेश करते हैं', इस पर 73.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की. इसके अलावा इस बात से 22.5 प्रतिशत लोग असहमत भी नजर आए, जबकि शून्य से 2.6 प्रतिशत ने कहा कि वह नहीं जानते या वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.

लिंग के आधार पर देखा जाए तो 75.1 प्रतिशत पुरुष जबकि 72.7 प्रतिशत महिलाओं ने सहमति व्यक्त की कि न्यूज चैनल समाचारों की तुलना में मनोरंजन के अधिक साधन बन गए हैं.

इस बात से विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में भी एकमत देखने को मिला है और 55 वर्ष तक के 70 प्रतिशत लोग इससे सहमत दिखे हैं. इसके अलावा 55 साल से ऊपर के लोगों में 68.7 प्रतिशत ही इस बात से सहमत नजर आए.

दिलचस्प बात यह है कि निम्न, मध्यम और उच्च शिक्षित लोगों में भी एक ही प्रकार की सहमति देखने को मिली. निम्न आयु वर्ग के जहां 75.9 प्रतिशत लोगों ने इससे सहमति व्यक्त की, वहीं अन्य वर्गों के 70 प्रतिशत से अधिक लोग भी इस बात से सहमत नजर आए.

आय समूहों के हिसाब से देखा जाए तो निम्न आय समूहों के 73.2 प्रतिशत जबकि उच्च आय समूह के 75.1 प्रतिशत लोगों ने इससे सहमत जताई, जिनमें बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला.

विभिन्न सामाजिक समूहों में लोग भी बड़ी संख्या में मानते हैं कि न्यूज चैनल मनोरंजन के साधन बन चुके हैं. दलित समुदाय के 72.1 प्रतिशत, सवर्ण हिंदू 73.5 प्रतिशत और सिख समुदाय से जुड़े 85.3 लोगों ने स्वीकार किया कि समाचार चैनल खबरों से कहीं अधिक मनोरंजन का केंद्र बन चुके हैं.

पढ़ें - सोशल मीडिया में वायरल हो रहे पीड़िता के भाई और आरोपी के कॉल डिटेल्स

दक्षिण भारतीयों में इस कथन से सहमति अपेक्षाकृत कुछ कम देखने को मिली है. कुल 67.1 प्रतिशत दक्षिण भारतीय मानते हैं कि न्यूज चैनल मनोरंजन अधिक परोस रहे हैं. इसके अलावा चाहे वह शहरी हों या ग्रामीण, दिल्ली-एनसीआर से हों या किसी अन्य क्षेत्र से और चाहे वह हिंदी पट्टी के हों या शेष भारत के, अधिकतर लोग इसी बात से सहमत नजर आए हैं कि समाचार चैनल मनोरंजन का साधन बन गए हैं.

इस सर्वेक्षण में सभी राज्यों में स्थित सभी जिलों से आने वाले 5000 से अधिक उत्तरदाताओं से बातचीत की गई है. यह सर्वेक्षण वर्ष 2020 में सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान किया गया है.

Last Updated : Oct 7, 2020, 2:26 PM IST
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