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उत्तराखंड : भारत-चीन को जोड़ने वाला वैली ब्रिज पांच दिन में बनकर तैयार

चीन सीमा को जोड़ने वाले मुनस्यारी-मिलम मोटरमार्ग पर ध्वस्त हुए पुल की जगह बीआरओ ने पांच दिन में नया पुल तैयार कर लिया है. जोहार घाटी के माइग्रेशन वाले 10 गांवों की आवाजाही के लिए ये पुल खास महत्व रखता है. पढ़ें पुरी खबर...

bailey bridge
वैली व्रिज
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Published : Jun 27, 2020, 7:58 PM IST

देहरादून : बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की कड़ी मशक्कत के बाद मुनस्यारी में टूटा वैली ब्रिज फिर से बनकर तैयार हो गया है. चीन सीमा को जोड़ने वाले मुनस्यारी-मिलम मोटरमार्ग पर बीआरओ ने पांच दिन के भीतर नया पुल तैयार कर लिया है. सैनरगाड़ नदी पर बना पुल 22 जून को ओवरलोडिंग ट्रक के गुजरने से टूट गया था, जिसकी वजह से चीन सीमा से संपर्क बधित हो गया था. यह वैली ब्रिज उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में स्थित है.

मुनस्यारी-मिलम वैली पुल बनकर तैयार

मुनस्यारी के धापा में बना यह ब्रिज सामरिक रूप से बेहद अहम था और सीमावर्ती गांव मिलम को प्रदेश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता था. सामरिक महत्व को देखते हुए बीआरओ ने 23 जून से नया पुल बनाने का काम शुरू किया था और 27 जून तक पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया. वैली ब्रिज तैयार होने से चीन सीमा के लिए आवागमन फिर से बहाल हो गई है. इसके साथ ही जोहार घाटी के ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है.

शनिवार को बीआरओ की टीम ने पोकलैंड, ड्रोजर और ट्रक को चलाकर नए पुल का कई बार ट्रायल किया. पुल निर्माण से जुड़े बीआरओ के ओसी बीके रॉय का कहना है कि ट्रायल के आधार पर जल्द ही पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी.

bailey bridge
पुल बनाने वाली बीआरओ की टीम

23 जून को धापा के पास सैनर नाले पर बना पुल पोकलैंड मशीन ले जा रहे ट्रक के कारण टूट गया था. ब्रिज टूटने की तस्वीरें दुनिया भर में वायरल हुई थी और चीन की ग्लोबल टाइम्स ने भी चीन सीमा को जोड़ने वाले वैली ब्रिज के ध्वस्त होने का वीडियो ट्वीट किया था, जिसके बाद बीआरओ ने युद्ध स्तर पर काम करते हुए पांच दिन के भीतर नया पुल तैयार कर दिया है.

पढ़ें : चालबाज चीन क्यों ले रहा भारत से पंगा, एलएसी पर क्या है चीन की चाल?

सैनर नाले पर बना वैली ब्रिज सामरिक रूप से काफी अहम है. सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए रशद और अन्य सामग्री की सप्लाई इसी पुल के जरिए होती है. जोहार घाटी के माइग्रेशन वाले 10 गांवों की आवाजाही के लिए यह पुल खास महत्व रखता है.

देहरादून : बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की कड़ी मशक्कत के बाद मुनस्यारी में टूटा वैली ब्रिज फिर से बनकर तैयार हो गया है. चीन सीमा को जोड़ने वाले मुनस्यारी-मिलम मोटरमार्ग पर बीआरओ ने पांच दिन के भीतर नया पुल तैयार कर लिया है. सैनरगाड़ नदी पर बना पुल 22 जून को ओवरलोडिंग ट्रक के गुजरने से टूट गया था, जिसकी वजह से चीन सीमा से संपर्क बधित हो गया था. यह वैली ब्रिज उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में स्थित है.

मुनस्यारी-मिलम वैली पुल बनकर तैयार

मुनस्यारी के धापा में बना यह ब्रिज सामरिक रूप से बेहद अहम था और सीमावर्ती गांव मिलम को प्रदेश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता था. सामरिक महत्व को देखते हुए बीआरओ ने 23 जून से नया पुल बनाने का काम शुरू किया था और 27 जून तक पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया. वैली ब्रिज तैयार होने से चीन सीमा के लिए आवागमन फिर से बहाल हो गई है. इसके साथ ही जोहार घाटी के ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है.

शनिवार को बीआरओ की टीम ने पोकलैंड, ड्रोजर और ट्रक को चलाकर नए पुल का कई बार ट्रायल किया. पुल निर्माण से जुड़े बीआरओ के ओसी बीके रॉय का कहना है कि ट्रायल के आधार पर जल्द ही पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी.

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पुल बनाने वाली बीआरओ की टीम

23 जून को धापा के पास सैनर नाले पर बना पुल पोकलैंड मशीन ले जा रहे ट्रक के कारण टूट गया था. ब्रिज टूटने की तस्वीरें दुनिया भर में वायरल हुई थी और चीन की ग्लोबल टाइम्स ने भी चीन सीमा को जोड़ने वाले वैली ब्रिज के ध्वस्त होने का वीडियो ट्वीट किया था, जिसके बाद बीआरओ ने युद्ध स्तर पर काम करते हुए पांच दिन के भीतर नया पुल तैयार कर दिया है.

पढ़ें : चालबाज चीन क्यों ले रहा भारत से पंगा, एलएसी पर क्या है चीन की चाल?

सैनर नाले पर बना वैली ब्रिज सामरिक रूप से काफी अहम है. सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए रशद और अन्य सामग्री की सप्लाई इसी पुल के जरिए होती है. जोहार घाटी के माइग्रेशन वाले 10 गांवों की आवाजाही के लिए यह पुल खास महत्व रखता है.

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