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कोरोना के उपचार में लगे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एन 95 मास्क ज्यादा उपयोगी

अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की इलाज के लिए एन-95 मास्क ज्यादा कारगर होते हैं. क्योंकि यह मास्क हवा में मौजूद मामूली कणों को करीब 95 फीसद तक रोक देते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 7, 2020, 5:20 PM IST

Updated : Apr 7, 2020, 6:33 PM IST

मास्क
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टोरंटो : एन 95 मास्क के बारे में यह दावा किया जा रहा है कि वह हवा में मौजूद बेहद मामूली कणों को भी रोकने में 95 फीसदी तक कारगर है और ऐसे में इन मास्क को कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बचाकर रखा जाना चाहिए.

एक अध्ययन में कहा गया है कि एन-95 मास्क उन स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहद जरूरी है, जिन्हें मरीजों के गले में श्वसन नली डालने जैसा नाजुक काम करना पड़ता है. 'इन्फ्लुएंजा एंड अदर रेस्पीरेट्री वायरसेज जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन में यह बात कही गई है.

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने 1990 से पिछले महीने तक इस्तेमाल में लाए गए मास्क पर हुए चार नैदानिक परीक्षणों की समीक्षा की. समीक्षा में पता चला यह मास्क वायरल की चपेट में आने या श्वसन संबंधी रोग को बढ़ने से रोकते हैं. समीक्षा में कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी शामिल थे.

वैज्ञानिकों का कहना है कि कसकर लगाए गए एन-95 मास्क हवा में फैले सूक्ष्म कणों को मानव शरीर के भीतर जाने से रोकते हैं और कोविड-19 मरीजों के गले में सांस की नली डालने में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह मास्क सबसे कारगर हैं.

पढ़ें : कोविड-19 : लगातार मास्क पहनने से इन समस्याओं से जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी

वैज्ञानिकों ने कहा है कि रोगी के लगे में सांस की नली डालते वक्त इसका खास ख्याल रखा जाना चाहिए. मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में पैथोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर मार्क लोएब ने कहा, 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों में सर्वसम्मति से अनुशंसा की गई है कि एयरोसोल प्रक्रिया के दौरान एन-95 लगाए जाने चाहिए.'

सर्जिकल मास्क

सामान्य स्थित में सर्जिकल मास्क का ही उपयोग किया जाना चाहिए. यह मास्क लोगों की वायरस से सुरक्षा करने में सक्षम है. एन-95 मॉस्क का उपयोग उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो कोरोना वायरस से संक्रमति हैं या संक्रमित व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं.

टोरंटो : एन 95 मास्क के बारे में यह दावा किया जा रहा है कि वह हवा में मौजूद बेहद मामूली कणों को भी रोकने में 95 फीसदी तक कारगर है और ऐसे में इन मास्क को कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बचाकर रखा जाना चाहिए.

एक अध्ययन में कहा गया है कि एन-95 मास्क उन स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहद जरूरी है, जिन्हें मरीजों के गले में श्वसन नली डालने जैसा नाजुक काम करना पड़ता है. 'इन्फ्लुएंजा एंड अदर रेस्पीरेट्री वायरसेज जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन में यह बात कही गई है.

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने 1990 से पिछले महीने तक इस्तेमाल में लाए गए मास्क पर हुए चार नैदानिक परीक्षणों की समीक्षा की. समीक्षा में पता चला यह मास्क वायरल की चपेट में आने या श्वसन संबंधी रोग को बढ़ने से रोकते हैं. समीक्षा में कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी शामिल थे.

वैज्ञानिकों का कहना है कि कसकर लगाए गए एन-95 मास्क हवा में फैले सूक्ष्म कणों को मानव शरीर के भीतर जाने से रोकते हैं और कोविड-19 मरीजों के गले में सांस की नली डालने में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह मास्क सबसे कारगर हैं.

पढ़ें : कोविड-19 : लगातार मास्क पहनने से इन समस्याओं से जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी

वैज्ञानिकों ने कहा है कि रोगी के लगे में सांस की नली डालते वक्त इसका खास ख्याल रखा जाना चाहिए. मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में पैथोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर मार्क लोएब ने कहा, 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों में सर्वसम्मति से अनुशंसा की गई है कि एयरोसोल प्रक्रिया के दौरान एन-95 लगाए जाने चाहिए.'

सर्जिकल मास्क

सामान्य स्थित में सर्जिकल मास्क का ही उपयोग किया जाना चाहिए. यह मास्क लोगों की वायरस से सुरक्षा करने में सक्षम है. एन-95 मॉस्क का उपयोग उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो कोरोना वायरस से संक्रमति हैं या संक्रमित व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 7, 2020, 6:33 PM IST
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