कोलकाताः पश्चिम बंगाल की राजनीति चुनाव से पहले जितनी उफान पर थी, चुनाव के बाद उससे कहीं ज्यादा उफान पर है. लगातार टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों की खबरों के साथ-साथ सबसे ज्यादा सुर्खियों में 'जय श्री राम' का नारा है.
भाजपा ने राम के नारे को हथियार बना लिया है तो ममता बनर्जी ने भी भाजपा पर राम के नारे के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
इतना ही नहीं, तृणमूल ने भाजपा के 'जय श्री राम' की काट करने के लिये 'जय हिंद, जय बंगाल' का नारा दिया है. तत्काल ही ममता बनर्जी समेत सभी तृणमूल नेताओं ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदल कर इस नारे के साथ बंगाल के सभी ऐतिहासिक महापुरुषों की तस्वीर को भी इसमें शामिल किया है.
बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से परेशान ममता बनर्जी ने बंगाल के मतदाताओं में अपने घटते प्रभाव को वापस पाने के लिये बंगाल की संस्कृति, बंगाल का इतिहास और देशभक्ति के मिश्रण को ढाल बनाने की रणनीति तैयार की है और उनका ये नया अभियान/ कैंपेन भी उसी को दर्शाता है.
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जहां एक ओर भाजपा पर तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगते हैं वहीं दूसरी तरफ तृणमूल बंगा संस्कृति और भाजपा के राष्ट्रवाद के बदले में जय हिंद के साथ देशभक्ति को अपने पक्ष में भुनाना चाहती है.
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद भाजपा में उत्साह है और वो इस मौके को बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव तक इसी गति में बनाये रखना चाहते हैं.
वहीं बंगाल की राजनीति में भाजपा का कद बढ़ता देख कर ममता बनर्जी तिलमिलाई हुई दिख रही हैं और अपनी पूरी ताकत भाजपा के राज्य में बढ़ते प्रभाव को रोकने पर केंद्रित कर दी है .