चंडीगढ़ : हरियाणा में सिरसा के किसान आजकल नई तकनीक और कम खर्चे से काफी मुनाफा कमा रहे हैं. कभी मशरूम तो कभी फूलों की खेती तो कभी मल्की क्रॉपिंग कर किसान घरेलू खेती बाड़ी से बाहर निकल रहे हैं. ऐसी ही एक महिला किसान हैं सिरसा के बेगूं गांव निवासी मंजू बाला, जिन्होंने इन कम खर्चे पर सरसों की खेती शुरू कर किसानों से लिए नई मिसाल कायम की है. मंजू ने दूसरी महिलाओ को भी खेती करने की प्रेरणा दी है. मंजू की मेहनत के आगे कृषि विभाग के अधिकारी भी मुरीद हो गए हैं.
केंचुए का इस्तेमाल कर बनाती हैं खाद
महिला किसान मंजू बाला सिरसा के गांव बेगूं की रहने वाली हैं. मंजू बाला ने अपने खेत में ही जैविक पद्ति की केंचुओं से खाद तैयार की और अपनी फसल में उस खाद का प्रयोग किया. मंजू द्वारा केंचुआ खाद का प्रयोग करने के बाद उनकी सरसों की फसल लहर रही है. मंजू की इस नई वैज्ञानिक पद्धति से सरसों की फसल की पैदावार अच्छी हुई है. मंजू के ससुर राजा राम ने उसको खेती करने की प्रेरणा दी, जिसके बाद मंजू अपने ससुर से ज्यादा कामयाब किसान के तौर पर उभर कर सामने आई है.
ससुर ने किया जागरुक- मंजू
महिला किसान मंजू बाला ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए बताया कि छह एकड़ में उनका परिवार खेती करता है. वह पिछले पांच वर्षों से खेती कर रही हैं. मंजू ने बताया कि उनके ससुर राजा राम ने ही उनको खेती करने के लिए प्रेरणा दी. मंजू ने बताया कि केंचुआ खाद वे अपने खेत में ही तैयार करती है और इस खाद से उनकी फसल को दूसरी खाद से ज्यादा अच्छी पैदावार होती है. उन्होंने कहा है कि जो भी किसान इस तरह की खाद का इस्तेमाल करेंगे उनके लिए ये काफी फायदेमंद साबित होगा.
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ऐसे हुई इस खाद के इस्तेमाल की शुरुआत
महिला किसान मंजू के ससुर राजा राम ने बताया कि उन्होंने पहले अपनी खेती में रासायनिक खाद डालनी शुरू की थी जो की महंगी थी और उसमे पैदावर कम थी. इसके लिए उन्हें कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनको जागरूक किया और उन्होंने फसलों की अवशेष से ही अपने खेतों में खाद बनाना शुरू किया. उन्होंने कहा कि बाजार में मिलने वाली खाद को खरीदना उन्होंने खत्म कर दिया और उनकी खेत में तैयार की गई खाद से उनकी फसल को फायदा मिला है.
कृषि विभाग ने की महिला किसान की तारीफ
वहीं कृषि विभाग के उप निदेशक बाबू लाल ने भी इस महिला किसान की मेहनत को देखकर मंजू बाला की सराहना की है. उन्होंने कहा कि मंजू बाला की तरह अगर और भी किसान इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं तो उनके और उनकी फसलों के लिए ये काफी फायदेमंद साबित होगा. कृषि अधिकारियों ने कहा है कि मंजूब बाला की तरह सिरसा के अनेक गांवों की महिलाओं को प्रेरित किया गया है.