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ओपन एयर सेनिटाइजर कितना घातक, जानिए एक्सपर्ट की राय - injurious for health open air sanitization

कोरोना के खतरे को कम करने के लिए देहरादून को सेनिटाइज किया जा रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ओपन एयर सेनिटाइजर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. ईटीवी भारत ने इस बाबत वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. के.पी.जोशी से बात की. जानें, डॉ.जोशी ने क्या कुछ कहा...

open air sanitization is harmful
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jun 14, 2020, 9:52 PM IST

देहरादून : कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिए आजकल सेनिटाइजर का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है. लेकिन सेनिटाइजर का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए अन्यथा इसके घातक परिणाम हो सकते हैं. उत्तराखंड में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसे देखते हुए हर शनिवार और रविवार राजधानी देहरादून को सेनिटाइज किया जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि ओपन एयर सेनिटाइजर स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है.

देहरादून के वरिष्ठ फिजीशयन डॉ. केपी जोशी कहना है सेनिटाइजेशन के लिए जो केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वे मानव शरीर के लिए बेहद ही घातक साबित हो सकते हैं. इनकी वजह से दमा, अस्थमा और अन्य बीमारियां हो सकती हैं. सेनिटाइजेशन के लिए इस्तेमाल हो रहे घातक रसायनों का सीधा प्रभाव मरीज के फेफड़ों पर पड़ सकता है.

जानकारी देते डॉ. केपी जोशी

डॉ. जोशी बताते हैं कि ओपन एयर सेनिटाइजेशन में सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का इस्तेमाल होता है, जो त्वचा या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को प्रभावित करता है. इसके साथ ही रसायन की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है. इस संकट की घड़ी में यदि प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो कोरोना के खिलाफ जंग जीत पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में कोरोना वायरस का 'सफरनामा', जानिए कब-क्या हुआ?

ईटीवी भारत के जरिए डॉ. केपी जोशी ने राज्य के मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि ओपन एयर सेनिटाइजेशन का कार्य केवल कंटेनमेंट जोन में करना चाहिए. क्योंकि कोरोना वायरस हवा नहीं बल्कि सतह पर मौजूद होता है. ऐसे में ओपन एयर सेनिटाइजेशन का कोई औचित्य नहीं है. सरकार को चाहिए कि हर सप्ताह मुख्य मार्गों पर ओपन एयर सेनिटाइजेशन कराने की जगह केवल कोरोना प्रभावित इलाकों में ही कराया जाए.

पढ़ें-कोरोना महामारी : दिल्ली में होंगे तिगुने टेस्ट, केंद्र देगी 500 रेलवे कोच

सोडियम हाइपोक्लोराइट कितना नुकसानदेय
सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव क्लोरीन छोड़ता है. क्लोरिन हवा में सभी वायरस को मारता है और सोडियम लंबे समय तक ठोस सतहों को साफ बनाता है. जिससे वायरस का प्रसार रुक जाता है. इसीलिए सोडियम हाइपोक्लोराइट का प्रयोग दूषित सतहों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है और कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करता है.

सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव लोगों के खुले अंगों, आंख, कान और चेहरे आदि पर गिरने पर एलर्जी, जलन आदि पैदा हो जाती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी साफ कहा है कि मानव शरीर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का छिड़काव करना सही नहीं है. यह घातक रसायन से बना होता है, जिन्हें हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह

  • किसी भी परिस्थिति में लोगों या समूहों पर छिड़काव नहीं करना है. छिड़काव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से काफी हानिकारक साबित हो सकता है.
  • भले ही कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित क्यों न हो. शरीर के बाहरी हिस्से को छिड़काव करने से आपके शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस को नहीं मारा जा सकता है.
  • व्यक्तियों पर क्लोरीन के छिड़काव से आंखों और त्वचा में जलन हो सकती है, जिससे उन्हें जी मिचलाना और उल्टी हो सकती है.
  • सोडियम हाइपोक्लोराइट से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. गलती से यह रसायन नाक, गले या सांस नली में चला जाय तो जलन और ब्रोंकोस्पजम (सांस लेने में तकलीफ) भी हो सकती है.
  • अगर कोरोना वायरस को नष्ट करना है तो बार-बार हाथ धोएं और सामाजिक दूर का पालन करें.

देहरादून : कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिए आजकल सेनिटाइजर का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है. लेकिन सेनिटाइजर का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए अन्यथा इसके घातक परिणाम हो सकते हैं. उत्तराखंड में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसे देखते हुए हर शनिवार और रविवार राजधानी देहरादून को सेनिटाइज किया जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि ओपन एयर सेनिटाइजर स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है.

देहरादून के वरिष्ठ फिजीशयन डॉ. केपी जोशी कहना है सेनिटाइजेशन के लिए जो केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वे मानव शरीर के लिए बेहद ही घातक साबित हो सकते हैं. इनकी वजह से दमा, अस्थमा और अन्य बीमारियां हो सकती हैं. सेनिटाइजेशन के लिए इस्तेमाल हो रहे घातक रसायनों का सीधा प्रभाव मरीज के फेफड़ों पर पड़ सकता है.

जानकारी देते डॉ. केपी जोशी

डॉ. जोशी बताते हैं कि ओपन एयर सेनिटाइजेशन में सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का इस्तेमाल होता है, जो त्वचा या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को प्रभावित करता है. इसके साथ ही रसायन की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है. इस संकट की घड़ी में यदि प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो कोरोना के खिलाफ जंग जीत पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

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ईटीवी भारत के जरिए डॉ. केपी जोशी ने राज्य के मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि ओपन एयर सेनिटाइजेशन का कार्य केवल कंटेनमेंट जोन में करना चाहिए. क्योंकि कोरोना वायरस हवा नहीं बल्कि सतह पर मौजूद होता है. ऐसे में ओपन एयर सेनिटाइजेशन का कोई औचित्य नहीं है. सरकार को चाहिए कि हर सप्ताह मुख्य मार्गों पर ओपन एयर सेनिटाइजेशन कराने की जगह केवल कोरोना प्रभावित इलाकों में ही कराया जाए.

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सोडियम हाइपोक्लोराइट कितना नुकसानदेय
सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव क्लोरीन छोड़ता है. क्लोरिन हवा में सभी वायरस को मारता है और सोडियम लंबे समय तक ठोस सतहों को साफ बनाता है. जिससे वायरस का प्रसार रुक जाता है. इसीलिए सोडियम हाइपोक्लोराइट का प्रयोग दूषित सतहों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है और कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करता है.

सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव लोगों के खुले अंगों, आंख, कान और चेहरे आदि पर गिरने पर एलर्जी, जलन आदि पैदा हो जाती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी साफ कहा है कि मानव शरीर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का छिड़काव करना सही नहीं है. यह घातक रसायन से बना होता है, जिन्हें हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह

  • किसी भी परिस्थिति में लोगों या समूहों पर छिड़काव नहीं करना है. छिड़काव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से काफी हानिकारक साबित हो सकता है.
  • भले ही कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित क्यों न हो. शरीर के बाहरी हिस्से को छिड़काव करने से आपके शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस को नहीं मारा जा सकता है.
  • व्यक्तियों पर क्लोरीन के छिड़काव से आंखों और त्वचा में जलन हो सकती है, जिससे उन्हें जी मिचलाना और उल्टी हो सकती है.
  • सोडियम हाइपोक्लोराइट से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. गलती से यह रसायन नाक, गले या सांस नली में चला जाय तो जलन और ब्रोंकोस्पजम (सांस लेने में तकलीफ) भी हो सकती है.
  • अगर कोरोना वायरस को नष्ट करना है तो बार-बार हाथ धोएं और सामाजिक दूर का पालन करें.
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