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मध्यप्रदेश का वह रहस्यमयी मंदिर, जिसकी तर्ज पर बना है संसद भवन

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद चौसठ योगिनी मंदिर बाहर से जितना सुंदर दिखता है, अंदर से भी उतना ही खूबसूरत है. एक समय यहां तांत्रिक साधना करने आते थे. इसके अलावा भी मंदिर के बारे में कई रहस्यमयी बातें बतायी गयी हैं.

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Published : Oct 28, 2019, 10:33 PM IST

मध्यप्रदेश का रहस्यमयी मंदिर

भोपाल : देश के हृदय प्रदेश की विरासत अपने आप में मनोरम है. छह अंचलों से बना मध्यप्रदेश खुद अपने आप में एक बड़ी धरोहर है. यहां मौजूद प्राकृतिक छटाएं और अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश की शान बढ़ाते हैं. राज्य के चंबल अंचल में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, यहां ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी बनावट के चलते देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर की तर्ज पर भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत बनायी गयी है.

13वीं शताब्दी के लगभग बनाया गया था मंदिर
13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौसठ योगिनी एक समय तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय कहा जाता है था. मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर गोलाकार आकृति वाले इस मंदिर में 64 कमरे हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में तंत्र विद्या पढ़ाई जाती थी. मंदिर की मूर्तियों को भारतीय पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

तांत्रिक करते थे साधना
स्थानीय लोगों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है. एक समय यहां दुनियाभर के तांत्रिक तंत्र साधना का प्रयास करते थे. इस दौरान शिव की साधना कर योगिनियों को जागृत किया जाता था.

प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित
इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे संवारने और सुरक्षित करने का काम लगातार किया जा रहा है क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित कर रखा है.

ये बात करती है आश्चर्यचकित
कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए हैं, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थीं, जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. मंदिर के हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है.

पढ़ें - गुरुनानक देव का प्रकाश पर्व: AI ने विमान पर एक ओंकार का चिह्न बनाया

रोजगार के लिए नई पहल
पर्यटन को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यहां एक कैंटीन तैयार करने जा रहा है, जहां लोगों को रोजगार दिया जाए. यहां आने वाले पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन परोसे जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

अंदर से भी बाहर जितना ही खूबसूरत है मंदिर
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद ये मंदिर बाहर से जितना सुंदर दिखता है, उतना ही अंदर से भी खूबसूरत है. यूं तो इस मंदिर के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपने अधीन ले लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है, लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अब तक कोई सुविधा नहीं जुटायी गयी है.

भोपाल : देश के हृदय प्रदेश की विरासत अपने आप में मनोरम है. छह अंचलों से बना मध्यप्रदेश खुद अपने आप में एक बड़ी धरोहर है. यहां मौजूद प्राकृतिक छटाएं और अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश की शान बढ़ाते हैं. राज्य के चंबल अंचल में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, यहां ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी बनावट के चलते देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर की तर्ज पर भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत बनायी गयी है.

13वीं शताब्दी के लगभग बनाया गया था मंदिर
13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौसठ योगिनी एक समय तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय कहा जाता है था. मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर गोलाकार आकृति वाले इस मंदिर में 64 कमरे हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में तंत्र विद्या पढ़ाई जाती थी. मंदिर की मूर्तियों को भारतीय पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

तांत्रिक करते थे साधना
स्थानीय लोगों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है. एक समय यहां दुनियाभर के तांत्रिक तंत्र साधना का प्रयास करते थे. इस दौरान शिव की साधना कर योगिनियों को जागृत किया जाता था.

प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित
इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे संवारने और सुरक्षित करने का काम लगातार किया जा रहा है क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित कर रखा है.

ये बात करती है आश्चर्यचकित
कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए हैं, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थीं, जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. मंदिर के हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है.

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रोजगार के लिए नई पहल
पर्यटन को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यहां एक कैंटीन तैयार करने जा रहा है, जहां लोगों को रोजगार दिया जाए. यहां आने वाले पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन परोसे जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

अंदर से भी बाहर जितना ही खूबसूरत है मंदिर
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद ये मंदिर बाहर से जितना सुंदर दिखता है, उतना ही अंदर से भी खूबसूरत है. यूं तो इस मंदिर के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपने अधीन ले लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है, लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अब तक कोई सुविधा नहीं जुटायी गयी है.

Intro:13वी शताब्दी में कच्छप रात राजाओं के समय निर्मित वास्तुकला का अद्भुत नमूना जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में पहचाना जाता है यह कभी देश का तांत्रिक विश्वविद्यालय में हुआ करता था लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित किए जाने के बाद भी इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पहचान नहीं मिल सकी ।
मुरैना से 40 किलोमीटर दूर स्थित मितावली की पहाड़ी पर चौसठ योगिनी मंदिर है जिसमें गोलाकार आकृति में बने मंदिर की प्रत्येक बारादरी में एक शिवलिंग और एक योगिनी स्थापित थी मंदिर के बीचों-बीच एक मुख्य मंदिर था जिसमें शिवलिंग स्थापित है मुख्य मंदिर में संत क्रियाओं के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती थी और शेष मंदिरों में अलग अलग यजमान बैठकर अपनी-अपनी तंत्र क्रियाओं की साधना किया करते थे चौसठ योगिनी मंदिर किसी जन्म समय देश का तांत्रिक विश्वविद्यालय भी माना जाता था यहां दुनिया भर की तंत्र साधनाओं की अभ्यास हुआ करता था ।


Body:
वास्तुकला की दृष्टि से इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर गोल गोल खंबे की आकृति बनी हुई है तो उसी दृष्टि में अंदर गोल गोल खंभे बने हुए जिनके अंदर एक-एक शिव मंदिर बना हुआ है यहां शिवलिंग के साथ-साथ एक योगिनी भी विराजमान है इस मंदिर में गोलाकार परिषद के अनुसार ही एक बरामदा भी बना हुआ है जिस बरामदा की ऊंचाई 6:30 फीट है लेकिन इसकी आश्चर्यचकित विशेषता है कि कोई भी व्यक्ति इस गैलरी से होकर निकलता है तो उसे झुक कर ही निकलना पड़ता है चाहे उसकी लंबाई 6 फीट से अधिक हो या फिर 4 फीट हो इसके अलावा इस मंदिर में कहीं भी पानी के निकास के लिए कोई नाली नहीं है बावजूद इसके विशालकाय मंदिर में एक बूंद पानी की कहीं रुकती नहीं ।
मितावली स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के नक्शे की तर्ज पर ब्रिटिश शासन के काल के दौरान ब्रिटिश इंजीनियर लुटियन का मुरैना दौरा हुआ था और इस मंदिर के नक्शे पर ही उस समय दिल्ली में विशाल भवन का निर्माण कराया गया जिसे आज भारत के संसद भवन के रूप में पहचाना जाता है यानी कि मितावली स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के नक्शे पर भारत की संसद बनाई गई वास्तु कला और आर्किटेक्ट का एक अद्भुत उदाहरण भी है मुरैना स्थित ईश्वर महादेव मंदिर ।



Conclusion:
यूं तो यह मंदिर मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा अपने अधीन लिया गया है जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई सुविधा नहीं जुटाई गई नहीं अद्भुत वास्तुकला और आर्किटेक्ट के धरोहर वाले पुरातन काल के तांत्रिक विश्वविद्यालय के प्रचार प्रसार के लिए कोई विशेष कार्य योजना शासन द्वारा तैयार की गई यही कारण है कि देश और दुनिया में इसे अभी तक कोई पहचान नहीं मिल सकी ।
बाईट 1- अशोक शर्मा , जिला पुरातत्व अधिकारी मुरैना
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