नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपना खोया हुआ अस्तित्व वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने यूपी की सियासत में जातिवाद मुद्दे को उछाल दिया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस को लोकसभा चुनाव 2019 में मात्र एक सीट पर ही जीत मिली थी. अमेठी में राहुल गांधी को भी करारी शिकस्त मिली. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि अब यूपी में ब्राह्मण पर अत्याचार हो रहा है. समुदाय के सदस्यों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर वे चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि यह समुदाय खुद को अनाथ महसूस कर रहा था, इसलिए मैं उन्हें भरोसा देने की कोशिश कर रहा हूं कि कोई है जो उनकी बात लखनऊ या दिल्ली में सुनेगा.
ईटीवी भारत के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद से बात की है वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री ने, पढ़ें पूरा साक्षात्कार.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से दूर हो चुके ब्राह्मण समुदाय को लामबंद करने के आपके प्रयासों की कैसी प्रतिक्रिया है ?
हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. यह कुछ साल पहले गठित ब्राह्मण चेतना परिषद के बैनर तले एक गैर-राजनीतिक पहल है. मैंने तभी समुदाय के लोगों से मिलना शुरू कर दिया था और लॉकडाउन होने तक लगभग 20 जिलों को कवर किया था. वहां समुदाय के सदस्यों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर चिंता है. ऐसा मानना है कि वहां समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रह है. मैं यह नहीं कह रहा कि यह सरकार की ओर से प्रायोजित है, लेकिन ऐसे अपराधों के बहुत सारे पीड़ित ब्राह्मण हैं. यह अपराध के दस्तावेजों से प्रमाणित होता है. उदाहरण के लिए पश्चिमी यूपी के मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की एक लड़की के साथ दुर्व्यवहार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला हो गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मैं उस परिवार से जाकर मिला. प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा. उसके बाद पूर्वी यूपी के बस्ती में कबीर तिवारी नाम के एक लड़के की हत्या कर दी गई. उनका परिवार अभी सदमे में है. इस तरह के कई उदाहरण झांसी, इटवा और सुल्तानपुर में हैं.
तो इस पहल से आप क्या हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं ?
मेरा लक्ष्य समुदाय को एकजुट करना और उन्हें एक मंच देना है. मैं ऑनलाइन बातचीत कर रहा हूं और हाल ही में मैंने 30 जिला-स्तरीय संवाद आयोजित किए हैं. शेष बचे जिलों को अगले महीने कवर किया जाएगा. यह समुदाय खुद को अनाथ महसूस कर रहा था, इसलिए मैं उन्हें भरोसा देने की कोशिश कर रहा हूं कि कोई है जो उनकी बात लखनऊ या दिल्ली में सुनेगा. आज इसे ऐसे समुदाय के रूप में पेश किया जा रहा है जो अपराधियों से भरा है. यह सच नहीं है. इसके अलावा बिना किसी जन समर्थन के दो माह तक धरातल पर कुछ भी नहीं टिक सकता.
भले ही आपने इस कदम को गैर राजनीतिक बताया लेकिन लोगों के लिए इसके पीछे के राजनीतिक मकसद का पता लगाना स्वाभाविक है. इस पर आपकी प्रतिक्रिया ?
देखिए, मेरा लक्ष्य यूपी में खुद को ब्राह्मण नेता के रूप में पेश करना नहीं है. हालांकि, यह सही है कि एक राजनेता के किसी भी कदम को राजनीतिक मकसद के रूप में ही देखा जाता है. यह गैर-राजनीतिक है और वोट के लिए नहीं है. इसीलिए हम इसे ब्राह्मण चेतना परिषद के बैनर तले कर रहे हैं. इस कार्यक्रम के केंद्र में किसी के अधिकारों को छीनना नहीं है, बल्कि हमलोग समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. राज्य सरकार और नौकरशाही में इस समुदाय का सिर्फ प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है.
कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश कर प्रदेश के 10 फीसद ब्राह्मण समुदाय को लुभाने की नाकाम कोशिश की थी. क्या 2022 के चुनावों के लिए पार्टी सीएम उम्मीदवार को प्रोजेक्ट करेगी?
मुख्यमंत्री के रूप में उम्मीदवार पेश करना एक रणनीतिक निर्णय है. पार्टी नेतृत्व जब भी ऐसा महसूस करेगा उसके स्तर से निर्णय लिया जाएगा. हमलोगों ने वर्ष 2017 में शीला जी को प्रोजेक्ट किया था, लेकिन उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली गई थी, क्योंकि बाद में हमने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया जो पूरी तरह से नहीं हो पाया.
उन्हें वापस लाने की कोई योजना?
देखिए, हमलोग कानून-व्यवस्था, बुनियादी ढांचे, नौकरियां जैसे असली मुद्दों पर फिर से ध्यान केंद्रित करने पर जोर दे रहे हैं, जो सभी समुदायों के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं.
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए वर्ष 2017 का कांग्रेस-सपा गठबंधन एक दुर्घटना थी. क्या आप 2022 में सपा या राष्ट्रीय लोक दल से हाथ मिलाएंगे ?
हमलोगों का कोई गठबंधन नहीं होगा. हम चुनाव में अकेले जाएंगे. तैयारियां शुरू हो गई हैं. हमलोग तैयार हो रहे हैं. संगठन पूरा दुरुस्त हो गया है और हमलोग सरकार से बिना किसी कठिनाई के अकेले निपट रहे हैं. कांग्रेस आज सबसे ज्यादा दिखाई देने वाला विपक्ष है.
भाजपा यदि अगले विधानसभा चुनाव से पहले राम मंदिर मुद्दे को उठाने की कोशिश करती है तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया क्या होगी ?
सही, हमारी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मुद्दे एक विस्तृत बयान देकर पार्टी की स्थिति साफ कर दी है. पार्टी का यही मत है कि हम इसका (मंदिर) स्वागत करते हैं.