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कनाडा में भारतीय मूल के नेता जगमीत आतंकी फंडिंग में शामिल : खुफिया एजेंसियां

भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा हाल ही में तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह न केवल कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को पनाह देते हैं, बल्कि वह अमेरिका में भारत विरोधी आंदोलन का नेतृत्व भी करते हैं. रॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिंह पाकिस्तान से संचालित खालिस्तानी संगठनों का वित्तपोषण कर रहा था. वह यूरोप के विभिन्न देशों में स्थित प्रमुख खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी समूहों से भी जुड़ा हुआ है. जानें विस्तार से...

कनाडा में भारतीय मूल के नेता जगमीत सिंह
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Published : Oct 25, 2019, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : कनाडा के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता हाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद वहां जगमीत सिंह एक किंगमेकर साबित हो सकते हैं. मगर नई दिल्ली के लिए वह भारत में अपनी गहरी पंजाबी जड़ों के बावजूद खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक बने हुए हैं.

भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा हाल ही में तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत न केवल कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को पनाह देते हैं, बल्कि वह अमेरिका में भारत विरोधी आंदोलन का नेतृत्व भी करते हैं.

बताया जा रहा है कि जगमीत का हाथ भारत द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद इसी तरह के आंदोलन में भी रहा है.

अप्रवासी भारतीय माता-पिता के पुत्र जगमीत ने 2013 में ओंटारियो में खालिस्तान समर्थक कार्यकतार्ओं का एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसका उद्देश्य विदेश में भारत की छवि को खराब करना था.

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खूंखार आतंकी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा की थी

दो साल बाद 2015 में वह एनडीपी के विधायक बनने के बाद सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थक रैली में दिखाई दिए. उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए खूंखार आतंकी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा भी की.
जगमीत सिंह (40) 2012 से भारतीय खुफिया एजेंसियों की रडार पर हैं.

खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी, की एक विशेष रिपोर्ट के आधार पर जगमीत को 2013 में उनके भारत-विरोधी रूख के लिए वीजा देने से इनकार कर दिया गया था.

दरअसल रॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिंह पाकिस्तान से संचालित खालिस्तानी संगठनों का वित्तपोषण कर रहा था. वह यूरोप के विभिन्न देशों में स्थित प्रमुख खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी समूहों से भी जुड़ा हुआ है.
ताजा रिपोटरें से पता चलता है कि जगमीत सिंह कनाडा में खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादियों को एक ही छत के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने ओंटारियो में अपने आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक भी की.

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कश्मीर पर भारत का विरोध

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद सिंह ने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था. विभिन्न स्थानीय मीडिया प्लेटफार्मों में सिंह ने भारत के खिलाफ बयान जारी किए और देश पर क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया.

उन्होंने मीडिया से कहा था, 'मैं चाहता हूं कि कश्मीर के लोगों को पता चले कि मैं आपके साथ खड़ा हूं. मैं अन्याय के खिलाफ खड़ा हूं. मैं निंदा करता हूं कि भारत कश्मीर के लोगों के साथ क्या कर रहा है.'

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भारत ओटावा के घटनाक्रम को करीब से देख रहा है. जहां तक जगमीत सिंह के राजनीतिक उदय का सवाल है तो नई दिल्ली का रुख बिल्कुल स्पष्ट है.

सूत्रों ने कहा कि आतंकी संगठनों या उनके समर्थकों को शरण देने वालों को भारत कोई तवज्जो नहीं देगा.

(आईएएनएस इनपुट)

नई दिल्ली : कनाडा के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता हाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद वहां जगमीत सिंह एक किंगमेकर साबित हो सकते हैं. मगर नई दिल्ली के लिए वह भारत में अपनी गहरी पंजाबी जड़ों के बावजूद खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक बने हुए हैं.

भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा हाल ही में तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत न केवल कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को पनाह देते हैं, बल्कि वह अमेरिका में भारत विरोधी आंदोलन का नेतृत्व भी करते हैं.

बताया जा रहा है कि जगमीत का हाथ भारत द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद इसी तरह के आंदोलन में भी रहा है.

अप्रवासी भारतीय माता-पिता के पुत्र जगमीत ने 2013 में ओंटारियो में खालिस्तान समर्थक कार्यकतार्ओं का एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसका उद्देश्य विदेश में भारत की छवि को खराब करना था.

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खूंखार आतंकी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा की थी

दो साल बाद 2015 में वह एनडीपी के विधायक बनने के बाद सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थक रैली में दिखाई दिए. उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए खूंखार आतंकी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा भी की.
जगमीत सिंह (40) 2012 से भारतीय खुफिया एजेंसियों की रडार पर हैं.

खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी, की एक विशेष रिपोर्ट के आधार पर जगमीत को 2013 में उनके भारत-विरोधी रूख के लिए वीजा देने से इनकार कर दिया गया था.

दरअसल रॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिंह पाकिस्तान से संचालित खालिस्तानी संगठनों का वित्तपोषण कर रहा था. वह यूरोप के विभिन्न देशों में स्थित प्रमुख खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी समूहों से भी जुड़ा हुआ है.
ताजा रिपोटरें से पता चलता है कि जगमीत सिंह कनाडा में खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादियों को एक ही छत के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने ओंटारियो में अपने आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक भी की.

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कश्मीर पर भारत का विरोध

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद सिंह ने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था. विभिन्न स्थानीय मीडिया प्लेटफार्मों में सिंह ने भारत के खिलाफ बयान जारी किए और देश पर क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया.

उन्होंने मीडिया से कहा था, 'मैं चाहता हूं कि कश्मीर के लोगों को पता चले कि मैं आपके साथ खड़ा हूं. मैं अन्याय के खिलाफ खड़ा हूं. मैं निंदा करता हूं कि भारत कश्मीर के लोगों के साथ क्या कर रहा है.'

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भारत ओटावा के घटनाक्रम को करीब से देख रहा है. जहां तक जगमीत सिंह के राजनीतिक उदय का सवाल है तो नई दिल्ली का रुख बिल्कुल स्पष्ट है.

सूत्रों ने कहा कि आतंकी संगठनों या उनके समर्थकों को शरण देने वालों को भारत कोई तवज्जो नहीं देगा.

(आईएएनएस इनपुट)

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कनाड़ा में भारतीय मूल के नेता जगमीत आतंकी फंडिंग में शामिल : खुफिया एजेंसियां

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| कनाडा के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता हाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद वहां एक किंगमेकर साबित हो सकते हैं। मगर नई दिल्ली के लिए वह भारत में अपनी गहरी पंजाबी जड़ों के बावजूद खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक बने हुए हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा हाल ही में तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत न केवल कनाडा में न केवल खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को पनाह देते हैं, बल्कि वह अमेरिका में भारत विरोधी आंदोलन का नेतृत्व भी करते हैं। बताया जा रहा है कि जगमीत का हाथ भारत द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद इसी तरह के आंदोलन में भी रहा है।



अप्रवासी भारतीय माता-पिता के पुत्र जगमीत ने 2013 में ओंटारियो में खालिस्तान समर्थक कार्यकतार्ओं का एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसका उद्देश्य विदेश में भारत की छवि को खराब करना था।



दो साल बाद 2015 में वह एनडीपी के विधायक बनने के बाद सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थक रैली में दिखाई दिए। उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए खूंखार आतंकी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा भी की।



जगमीत सिंह (40) 2012 से भारतीय खुफिया एजेंसियों की रडार पर हैं।



खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी, की एक विशेष रिपोर्ट के आधार पर जगमीत को 2013 में उनके भारत-विरोधी रूख के लिए वीजा देने से इनकार कर दिया गया था।



रॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिंह पाकिस्तान से संचालित खालिस्तानी संगठनों का वित्तपोषण कर रहा था। वह यूरोप के विभिन्न देशों में स्थित प्रमुख खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी समूहों से भी जुड़ा हुआ है।



ताजा रिपोटरें से पता चलता है कि जगमीत सिंह कनाडा में खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादियों को एक ही छत के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ओंटारियो में अपने आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक भी की।



मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद सिंह ने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था। विभिन्न स्थानीय मीडिया प्लेटफार्मों में सिंह ने भारत के खिलाफ बयान जारी किए और देश पर क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया।



उन्होंने मीडिया से कहा था, "मैं चाहता हूं कि कश्मीर के लोगों को पता चले कि मैं आपके साथ खड़ा हूं। मैं अन्याय के खिलाफ खड़ा हूं। मैं निंदा करता हूं कि भारत कश्मीर के लोगों के साथ क्या कर रहा है।"



विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भारत ओटावा के घटनाक्रम को करीब से देख रहा है। जहां तक जगमीत सिंह के राजनीतिक उदय का सवाल है तो नई दिल्ली का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। सूत्रों ने कहा कि आतंकी संगठनों या उनके समर्थकों को शरण देने वालों को भारत कोई तवज्जो नहीं देगा।


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