नई दिल्ली : भारतीय नौसेना छह मई को अपने मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस रंजीत (INS Ranjit) को सेवा मुक्त कर देगी. इस युध्दपोत को 15 सितंबर 1983 को नौसेना में शामिल किया गया था.
साढ़े तीन दशकों तक अपना दबदबा स्थापित करने के बाद भारतीय सेना छह मई को आईएनएस रंजीत को भावभीनी विदाई देगा. विशाखापतनम के नेवल डॉकयार्ड (Naval Dockyard) में एक समारोह के दौरान इसे सेवामुक्त कर दिया जाएगा. इस समारोह में आईएनएस रंजीत पर सेवा देने वाले सभी नौसैनिको को आमंत्रित किया गया है. इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर एडमिरल देवेन्द्र कुमार जोशी होंगे, जिन्होने आईएनएस रंजीत पर अपनी सेवा दी है.
आईएनएस रंजीत काशिन वर्ग के पांच विध्वंसक पोतों में से तीसरा है, जिसे पूर्व सोवियत संघ में बनाया गया था और इसका भारतीय नौसेना में 1983 में कमीशन हुआ था.
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1983 में जब इसका कमीशन हुआ था, तब पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल विष्णु भागवत इस पोत के कैप्टन थे. इस पोत पर वह ब्लैक सी, भूमध्यसागर, रेड सी और अरब सागर से होकर भारत लाए.
यूक्रेन के निकोलेव शहर में आईएनएस रंजीत का निर्माण 61 कम्युनिटी शिपयार्ड में यार्ड 2203 के रूप में किया गया था. इस जहाज की नींव 29 जून 1977 को रखी गई थी और इसे 16 जून 1979 को लॉन्च किया गया था.
36 वर्ष तक राष्ट्र के लिए अपनी शानदार सेवा देने वाले आईएनएस रंजीत ने कई एडमिरल को बनाया और बढ़ाया, जो आगे जाकर नौसेना स्टाफ के प्रमुख भी बने. 6 मई 2019 को सूर्यास्त होते ही नेवल एनशाइन (Naval Ensign) और कमीशनिंग पेनेंट (Commissioning Pennant) को आखिरी बार आईएनएस रंजीत के जहाज पर उतारा जाएगा. यह भारतीय नौसेना में आईएनएस रंजीत युग के अंत का संकेत होगा.