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चुनौतियों से निपटने की तैयारी, सीमा पर युद्ध अभ्यास में जुटी सेना - सीमा पर युद्ध अभ्यास में जुटी सेना

सीमा पर तनाव को कम करने के लिए लगातार भारत और चीन के बीच वार्ताएं हो रही हैं, लेकिन सभी वार्ताएं बेनतीजा साबित हुई हैं. ऐसे में भारतीय सेना को ठंड के मौसम में भी ऊंचे स्थानों पर तैनात रहना पड़ सकता है. इसी वजह से भारतीय सेना इन स्थानों पर भारी मात्रा में हथियारों के साथ ही रसद पहुंचा रही है. जानकारी के मुताबिक दिबांग घाटी में भारतीय सेना बड़ी संख्या में तैनात की गई है. इसके अलावा सेना के जवान यहां सैन्य अभ्यास भी कर रहे हैं.

भारत-चीन तनाव
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Published : Sep 27, 2020, 4:20 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 4:48 PM IST

गुवाहाटी : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम नहीं हो रहा है. सीमा रेखा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच हुईं वार्ताएं बेनतीजा साबित हुई हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक दोनों देशों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है.

दोनों देशों की सेनाओं द्वारा उत्तर पूर्व पश्चिम दिबांग घाटी और दक्षिण पूर्व दिबांग घाटी में व्यापक स्तर पर सैन्य अभ्यास किए जा रहे हैं. इसके अलावा इन जगहों पर भारत ने बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए हैं. इतना ही नहीं वायुसेना ने भी अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर अपनी गतिविधि बढ़ा दी है.

वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश की भारत-चीन सीमा के क्षेत्रों में चिनूक हेलीकॉप्टरों की मदद से बड़ी संख्या में तकनीकी रूप से उन्नत हथियार की खेप पहुंचा रही है. इसके अलावा भारी मात्रा में गोला बारूद और अन्य उपकरणों की खेप भी सीमा पर भेजी जा रही है. इसका प्रमुख कारण यह है कि कुछ दिनों के बाद इन क्षेत्रों में हिमपात होने लगेगा.

इसका एक कारण यह भी है कि दोनों देशों के बीच तनाव जारी है. ऐसे में सेना के जवानों को हाड़ कंपाती ठंड में ऊंचे स्थानों पर रहना पड़ सकता है. यहां पर ठंड के मौसम में भारी हिमपात होता है और यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला जाता है. ऐसे में भारतीय सेना किसी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है. इसलिए भारी मात्रा में रसद और अन्य उपकरण पहुंचा रही है.

चीन ने की घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया. उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी जारी है. बावजूद, भारतीय सेना ने शांति, सौहार्द्र और मानवता का परिचय देते हुए बिगड़ते रिश्तों के बाद भी इंसानियत की मिसाल पेश की और चीनी नागरिकों को बचाया था.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि, 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी कई सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में है.

गुवाहाटी : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम नहीं हो रहा है. सीमा रेखा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच हुईं वार्ताएं बेनतीजा साबित हुई हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक दोनों देशों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है.

दोनों देशों की सेनाओं द्वारा उत्तर पूर्व पश्चिम दिबांग घाटी और दक्षिण पूर्व दिबांग घाटी में व्यापक स्तर पर सैन्य अभ्यास किए जा रहे हैं. इसके अलावा इन जगहों पर भारत ने बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए हैं. इतना ही नहीं वायुसेना ने भी अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर अपनी गतिविधि बढ़ा दी है.

वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश की भारत-चीन सीमा के क्षेत्रों में चिनूक हेलीकॉप्टरों की मदद से बड़ी संख्या में तकनीकी रूप से उन्नत हथियार की खेप पहुंचा रही है. इसके अलावा भारी मात्रा में गोला बारूद और अन्य उपकरणों की खेप भी सीमा पर भेजी जा रही है. इसका प्रमुख कारण यह है कि कुछ दिनों के बाद इन क्षेत्रों में हिमपात होने लगेगा.

इसका एक कारण यह भी है कि दोनों देशों के बीच तनाव जारी है. ऐसे में सेना के जवानों को हाड़ कंपाती ठंड में ऊंचे स्थानों पर रहना पड़ सकता है. यहां पर ठंड के मौसम में भारी हिमपात होता है और यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला जाता है. ऐसे में भारतीय सेना किसी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है. इसलिए भारी मात्रा में रसद और अन्य उपकरण पहुंचा रही है.

चीन ने की घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया. उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी जारी है. बावजूद, भारतीय सेना ने शांति, सौहार्द्र और मानवता का परिचय देते हुए बिगड़ते रिश्तों के बाद भी इंसानियत की मिसाल पेश की और चीनी नागरिकों को बचाया था.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि, 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी कई सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 4:48 PM IST
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