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सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश है पाक : यूएनओसीटी के मंच पर भारत - India slams Pakistan

संयुक्त राष्ट्र काउंटर टेररिज्म ऑफिस (यूएनओसीटी) के मंच पर भारत ने पाक को जमकर लताड़ा है. वर्चुअल काउंटर टेररिज्म वीक में अपने संबोधन के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव महावीर सिंघवी ने कहा कि आतंकवाद लोकतंत्र को कमजोर करता है. उन्होंने कहा कि पड़ोसी मुल्क आतंकवाद को पनाह और बढ़ावा दे रहा है.

UNOCT
भारत का पाक पर वार
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Published : Jul 10, 2020, 2:21 PM IST

वॉशिंगटन : भारत ने कहा है कि पाक में आतंकवाद मुख्य धारा में शामिल हो गया है. सीमा पार से हो रहे आतंकवाद को लेकर विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज्म) महावीर सिंघवी ने कहा कि आतंकवाद मानव जीवन के लिए सही नहीं है, यह शांति भंग करता है. यह आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है और लोकतंत्र को कमजोर करता है.

महावीर सिंघवी यूएनओसीटी के वर्चुअल काउंटर टेररिज्म वीक में अपना मत रख रहे थे. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करता है. साथ ही आतंकवादी घटनाएं महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. इसलिए, आतंकवाद के पीड़ितों की जरूरतों को ध्यान में रखना आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी विचारधाराओं से दूर रखने के लिए बच्चों और युवाओं के अधिकारों का संरक्षण, विशेष रूप से उनकी शिक्षा का अधिकार महत्वपूर्ण है.

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए सिंघवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है. दुनिया वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए एकजुट हो रही है लेकिन ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश पाकिस्तान झूठी कहानियों को फैलाने के हर अवसर का इस्तेमाल कर रहा है और भारत के खिलाफ निराधार, दुर्भावनापूर्ण और झूठे आरोप लगाता है तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है.

उन्होंने 1993 के मुंबई आतंकवादी हमले सहित कई अन्य आतंकवादी हमलों के सबूत को यूएन के समक्ष रखते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को सैन्य और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. वहीं आतंकवाद के पीड़ितों को न्याय और उनके मौलिक अधिकार से वंचित रखता है.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को लेकर सिंघवी ने कहा कि मानवाधिकारों और समतावाद के प्रवर्तक के रूप में पाकिस्तान की कोशिशें विफल हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, जबरन विवाह करवाए जाते हैं और असाधारण हत्याएं की जाती है. वहीं भारतीय संविधान में सभी धर्मों और पंथों के लिए समान अधिकार हैं. भारत में एकता है और पाकिस्तान भले ही समतावाद के प्रवर्तक के रूप सामने आए लेकिन वास्तविक्ता यही है कि पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित महसूस करते हैं.

सिंघवी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बना हुआ है और हमेशा रहेगा. पाकिस्तान को अपनी साजिशों को खत्म करना चाहिए, जो पाकिस्तान दिखाने की कोशिश करता है, वह वास्तव में राज्य द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद है.

पढ़ें :- विशेष : चीन और पाकिस्तान के गहराते संबंध, भारत को दो मोर्चों पर रहना होगा तैयार

सिंघवी ने कहा कि दूसरों को उपदेश देने से पहले पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि आतंकवाद मानवाधिकारों का हनन करता है. दुनिया को ऐसे देश से मानवाधिकारों के बारे में जानने या सीखने की जरूरत नहीं है, जिसके अपने नागरिकों और अल्पसंख्यकों को किसी चीज की आजादी नहीं है.

भारत के खिलाफ पाकिस्तान से अंजाम दी जा रही राष्ट्र प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों और पाकिस्तान से उसकी सरजमीं पर आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांगों पर एक सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद विरोधी कार्यालय के अपर महासचिव व्लादिमीर वोरोंकोव ने डिजिटल प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सदस्य देशों को राष्ट्र प्रायोजित आतंकवाद पर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर यह बहुत चुनौतीपूर्ण मुद्दा है क्योंकि इससे दुनिया के कई हिस्सों में स्थिरता कमजोर हो सकती है.'

वॉशिंगटन : भारत ने कहा है कि पाक में आतंकवाद मुख्य धारा में शामिल हो गया है. सीमा पार से हो रहे आतंकवाद को लेकर विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज्म) महावीर सिंघवी ने कहा कि आतंकवाद मानव जीवन के लिए सही नहीं है, यह शांति भंग करता है. यह आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है और लोकतंत्र को कमजोर करता है.

महावीर सिंघवी यूएनओसीटी के वर्चुअल काउंटर टेररिज्म वीक में अपना मत रख रहे थे. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करता है. साथ ही आतंकवादी घटनाएं महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. इसलिए, आतंकवाद के पीड़ितों की जरूरतों को ध्यान में रखना आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी विचारधाराओं से दूर रखने के लिए बच्चों और युवाओं के अधिकारों का संरक्षण, विशेष रूप से उनकी शिक्षा का अधिकार महत्वपूर्ण है.

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए सिंघवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है. दुनिया वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए एकजुट हो रही है लेकिन ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश पाकिस्तान झूठी कहानियों को फैलाने के हर अवसर का इस्तेमाल कर रहा है और भारत के खिलाफ निराधार, दुर्भावनापूर्ण और झूठे आरोप लगाता है तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है.

उन्होंने 1993 के मुंबई आतंकवादी हमले सहित कई अन्य आतंकवादी हमलों के सबूत को यूएन के समक्ष रखते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को सैन्य और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. वहीं आतंकवाद के पीड़ितों को न्याय और उनके मौलिक अधिकार से वंचित रखता है.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को लेकर सिंघवी ने कहा कि मानवाधिकारों और समतावाद के प्रवर्तक के रूप में पाकिस्तान की कोशिशें विफल हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, जबरन विवाह करवाए जाते हैं और असाधारण हत्याएं की जाती है. वहीं भारतीय संविधान में सभी धर्मों और पंथों के लिए समान अधिकार हैं. भारत में एकता है और पाकिस्तान भले ही समतावाद के प्रवर्तक के रूप सामने आए लेकिन वास्तविक्ता यही है कि पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित महसूस करते हैं.

सिंघवी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बना हुआ है और हमेशा रहेगा. पाकिस्तान को अपनी साजिशों को खत्म करना चाहिए, जो पाकिस्तान दिखाने की कोशिश करता है, वह वास्तव में राज्य द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद है.

पढ़ें :- विशेष : चीन और पाकिस्तान के गहराते संबंध, भारत को दो मोर्चों पर रहना होगा तैयार

सिंघवी ने कहा कि दूसरों को उपदेश देने से पहले पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि आतंकवाद मानवाधिकारों का हनन करता है. दुनिया को ऐसे देश से मानवाधिकारों के बारे में जानने या सीखने की जरूरत नहीं है, जिसके अपने नागरिकों और अल्पसंख्यकों को किसी चीज की आजादी नहीं है.

भारत के खिलाफ पाकिस्तान से अंजाम दी जा रही राष्ट्र प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों और पाकिस्तान से उसकी सरजमीं पर आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांगों पर एक सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद विरोधी कार्यालय के अपर महासचिव व्लादिमीर वोरोंकोव ने डिजिटल प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सदस्य देशों को राष्ट्र प्रायोजित आतंकवाद पर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर यह बहुत चुनौतीपूर्ण मुद्दा है क्योंकि इससे दुनिया के कई हिस्सों में स्थिरता कमजोर हो सकती है.'

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