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कोरोना वायरस की जांच के लिए भारत ने तैयार किया दुनिया का सबसे सस्ता किट

देश में कोरोना की जांच में तेजी लाने की सरकार पूरी तैयारी कर रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिससे 350 से 400 रुपये में ही एक कोरोना टेस्ट किया जा सकेगा. पढ़ें पूरी खबर...

india prepared cheapest corona test kit
कोरोना वायरस जांच किट
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Published : Apr 8, 2020, 12:02 AM IST

नई दिल्ली : हमारे वैज्ञानिक दुनिया में किसी से पीछे नहीं हैं और इस बात को आज एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिखाया है. देश में कोरोना की जांच में तेजी लाने की सरकार पूरी तैयारी कर रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिससे 350 से 400 रुपये में ही एक कोरोना टेस्ट किया जा सकेगा.

एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड तिरुअनंतपुरम मुख्यालय वाली कंपनी है, जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होती है. दूसरी तरफ, राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय संस्थान है. दोनों ने कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अलग-अलग रैपिड डायगनोस्टिक एंटीबॉडी किट का विकास किया है. यह दोनों मंत्रालय डॉ. हर्ष वर्धन के अधीन हैं.

एचएलएल ने 'मेकश्योर' नाम से एक किट बनाया है, जो मरीज के सीरम, प्लाज्मा या खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) एंटीबॉडी की पहचान कर सकता है.

एचएलएल का यह किट मानेसर, हरियाणा स्थित उसके अपने कारखाने में तैयार किया गया है और इसे एनआईवी पुणे तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के द्वारा भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूर किया गया है.

एचएएल ऐसी पहली सार्वजनिक कंपनी है, जिसे कोविड-19 के रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण और आपूर्ति के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिली है. कंपनी की योजना ऐसे दो लाख किट अगले दस दिन में अस्पतालों और जांच केंद्रों तक पहुंचाने की है.

नई दिल्ली : हमारे वैज्ञानिक दुनिया में किसी से पीछे नहीं हैं और इस बात को आज एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिखाया है. देश में कोरोना की जांच में तेजी लाने की सरकार पूरी तैयारी कर रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिससे 350 से 400 रुपये में ही एक कोरोना टेस्ट किया जा सकेगा.

एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड तिरुअनंतपुरम मुख्यालय वाली कंपनी है, जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होती है. दूसरी तरफ, राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय संस्थान है. दोनों ने कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अलग-अलग रैपिड डायगनोस्टिक एंटीबॉडी किट का विकास किया है. यह दोनों मंत्रालय डॉ. हर्ष वर्धन के अधीन हैं.

एचएलएल ने 'मेकश्योर' नाम से एक किट बनाया है, जो मरीज के सीरम, प्लाज्मा या खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) एंटीबॉडी की पहचान कर सकता है.

एचएलएल का यह किट मानेसर, हरियाणा स्थित उसके अपने कारखाने में तैयार किया गया है और इसे एनआईवी पुणे तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के द्वारा भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूर किया गया है.

एचएएल ऐसी पहली सार्वजनिक कंपनी है, जिसे कोविड-19 के रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण और आपूर्ति के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिली है. कंपनी की योजना ऐसे दो लाख किट अगले दस दिन में अस्पतालों और जांच केंद्रों तक पहुंचाने की है.

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