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पुलवामा हमले की पहली बरसी आज : 40 सीआरपीएफ शहीदों की याद में बने स्मारक का होगा उद्घाटन

पिछले वर्ष 14 फरवरी को हुए एक आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इन सुरक्षाकर्मियों की याद में एक स्मारक बनाया गया है. जिसका उद्घाटन शुक्रवार को हमले की बरसी पर किया जाएगा.

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सांकेतिक चित्र
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Published : Feb 14, 2020, 12:08 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:51 AM IST

श्रीनगर : पिछले साल फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले में शहीद 40 सीआरपीएफकर्मियों की याद में बनाए गए स्मारक का लेथपुरा कैंप में शुक्रवार को उद्घाटन किया जाएगा. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.

सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक जुल्फिकार हसन ने गुरुवार को स्मारक स्थल का दौरा करने के बाद कहा, ' यह उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने का तरीका है जिन्होंने हमले में अपनी जान गंवाई.'

स्मारक में उन शहीद जवानों के नामों के साथ ही उनकी तस्वीरें भी होंगी. साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का ध्येय वाक्य 'सेवा और निष्ठा'भी होगा.

हसन ने यहां कहा, 'निश्चित रूप से यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और हमने इससे सीख ली है. हम अपनी आवाजाही के दौरान हमेशा सतर्क रहते थे, लेकिन अब सतर्कता और बढ़ गयी है.'

उन्होंने कहा कि 40 जवानों के सर्वोच्च बलिदान ने देश के दुश्मनों को खत्म करने का हमारा संकल्प मजबूत बना दिया है.

उन्होंने कहा, 'हम आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान अतिरिक्त जोश से लड़ते हैं और यही कारण है कि अपने जवानों पर हमले के तुरंत बाद हम जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों को खत्म करने में सफल रहे.'

पढ़ें- पुलवामा हमला : शहीदों को याद कर भर आया दिल, छलक उठीं आंखें

उन्होंने हालांकि उन सावधानियों के बारे में बताने से इंकार किया जो पिछले साल 14 फरवरी के हमले के बाद जवानों की आवाजाही के दौरान बरती जाती हैं. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अब जवानों की आवाजाही अब अन्य सुरक्षा बलों और सेना के साथ समन्वय में होती है.

गृह मंत्रालय ने इस तरह के किसी भी हमले की आशंका से बचने के लिए सीआरपीएफ को अपने जवानों को वायु मार्ग से ले जाने की अनुमति दी थी.

जम्मू कश्मीर सरकार ने जवानों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए सप्ताह में दो दिन निजी वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद बाद में आदेश को रद कर दिया गया.

जवानों को ले जाने वाले वाहनों को बुलेट-प्रूफ बनाने की प्रक्रिया को तेज किया गया और सड़कों पर बंकर जैसे वाहन देखे जाने लगे.

यह स्मारक उस स्थान के पास सीआरपीएफ कैंप के अंदर बनाया गया है जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अदील अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार सुरक्षा बलों के काफिले से टकरा दी थी. इस हमले में 40 कर्मियों की मौत हो गई थी.

इस हमले के लगभग सभी षडयंत्रकारियों को मार गिराया गया है और जैश-ए-मोहम्मद का स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर पिछले महीने मारा गया.

श्रीनगर : पिछले साल फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले में शहीद 40 सीआरपीएफकर्मियों की याद में बनाए गए स्मारक का लेथपुरा कैंप में शुक्रवार को उद्घाटन किया जाएगा. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.

सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक जुल्फिकार हसन ने गुरुवार को स्मारक स्थल का दौरा करने के बाद कहा, ' यह उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने का तरीका है जिन्होंने हमले में अपनी जान गंवाई.'

स्मारक में उन शहीद जवानों के नामों के साथ ही उनकी तस्वीरें भी होंगी. साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का ध्येय वाक्य 'सेवा और निष्ठा'भी होगा.

हसन ने यहां कहा, 'निश्चित रूप से यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और हमने इससे सीख ली है. हम अपनी आवाजाही के दौरान हमेशा सतर्क रहते थे, लेकिन अब सतर्कता और बढ़ गयी है.'

उन्होंने कहा कि 40 जवानों के सर्वोच्च बलिदान ने देश के दुश्मनों को खत्म करने का हमारा संकल्प मजबूत बना दिया है.

उन्होंने कहा, 'हम आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान अतिरिक्त जोश से लड़ते हैं और यही कारण है कि अपने जवानों पर हमले के तुरंत बाद हम जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों को खत्म करने में सफल रहे.'

पढ़ें- पुलवामा हमला : शहीदों को याद कर भर आया दिल, छलक उठीं आंखें

उन्होंने हालांकि उन सावधानियों के बारे में बताने से इंकार किया जो पिछले साल 14 फरवरी के हमले के बाद जवानों की आवाजाही के दौरान बरती जाती हैं. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अब जवानों की आवाजाही अब अन्य सुरक्षा बलों और सेना के साथ समन्वय में होती है.

गृह मंत्रालय ने इस तरह के किसी भी हमले की आशंका से बचने के लिए सीआरपीएफ को अपने जवानों को वायु मार्ग से ले जाने की अनुमति दी थी.

जम्मू कश्मीर सरकार ने जवानों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए सप्ताह में दो दिन निजी वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद बाद में आदेश को रद कर दिया गया.

जवानों को ले जाने वाले वाहनों को बुलेट-प्रूफ बनाने की प्रक्रिया को तेज किया गया और सड़कों पर बंकर जैसे वाहन देखे जाने लगे.

यह स्मारक उस स्थान के पास सीआरपीएफ कैंप के अंदर बनाया गया है जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अदील अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार सुरक्षा बलों के काफिले से टकरा दी थी. इस हमले में 40 कर्मियों की मौत हो गई थी.

इस हमले के लगभग सभी षडयंत्रकारियों को मार गिराया गया है और जैश-ए-मोहम्मद का स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर पिछले महीने मारा गया.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:51 AM IST
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