नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश की संवैधानिक व्यवस्था में राज्यपाल और उप राज्यपाल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. खास तौर पर जब, सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद की बात हो.
राष्ट्रपति कोविंद ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों एवं उप राज्यपालों के 50वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल उनको प्रदत्त संवैधानिक अधिकार का उपयोग करके उपयुक्त मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं.
कोविंद ने इस बात पर बल दिया कि राज्यपाल की भूमिका केवल संविधान की रक्षा और संरक्षण तक सीमित नहीं है. उनकी अपने राज्य के लोगों की सेवा और कल्याण के लिए निरंतर काम करने की संवैधानिक प्रतिबद्धता भी है.
उन्होंने आदिवासियों के कल्याण के संदर्भ में कहा, 'आदिवासियों का विकास एवं सशक्तिकरण समावेशी विकास के साथ-साथ हमारी आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है.'
राष्ट्रपति ने कहा, ''हमारी नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत को 'ज्ञान महाशक्ति' बनाना है.''
कोविंद ने कहा, 'इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमारे सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि कुलपति के रूप में राज्यपाल संरक्षक की जिम्मेदारी भी निभाते हैं. इसलिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे भावी पीढ़ियों को कौशल एवं ज्ञान की प्राप्ति के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करें
सम्मेलन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे.
इस दो दिवसीय सम्मेलन में पांच मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा की जाएगी. इन मुद्दों में जनजातीय मुद्दों, कृषि में सुधार, जल जीवन मिशन, उच्च शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति और ईज ऑफ लिविंग शामिल हैं.