नई दिल्ली : मुस्लिम मौलवियों ने मुहर्रम के जुलूस को नहीं निकलने देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ईद, बकरीद, जन्माष्टमी जैसे त्योहारों के दौरान कई रीति-रिवाजों को नहीं निभाया गया. कोरोनो वायरस महामारी के बीच और इस बार मुहर्रम में भी मुसलमानों को जुलूस नहीं निकालने चाहिए.
अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस के लिए अनुमति नहीं देने का आदेश सभी को कोरोना वायरस से बचाने के लिए है. हाल ही में जन्माष्टमी के दौरान इस्कॉन मंदिर को बंद कर दिया गया था जो अतीत में कभी नहीं हुआ था.
इमरान उमर अहमद इलियासी ने कहा कि ईद, बकरीद और नवरात्र के त्योहारों को प्रतिबंधित तरीके से मनाया गया और अब जब हम कोरोनो वायरस के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं तो हमें खुद की देखभाल करनी चाहिए और अपने घरों से बाहर नहीं जाना चाहिए.
कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसे में देश भर में मुहर्रम के जुलूसों को निकालने की अनुमति न देने के फैसले का विरोध करने की बजाय सभी को उनका सहयोग करना चाहिए.
इस बीच मुस्लिम थिंक टैंक इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफोर्म्स (आईएमपीएआर) ने कहा कि जीवन को बचाने के लिए सभी सावधानी के साथ इसका पालन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि इस्लाम का पालन करना. हमें भावनाओं में नहीं बहना चाहिए बल्कि समझदारी से काम लेना चाहिए.
आईएमपीएआर ने कहा है कि मजलिस में 20 से 50 वर्ष के शोककर्ता होंगे. प्रवेश द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग होगी और सभी मास्क पहने हुए होंगे और 6 फीट की दूरी पर बैठे होंगे. मजलिस को एक घंटा पहले सैनिटाइज कराया जाएगा. फर्श को कवर करने के लिए मैट या कालीन का उपयोग नहीं किया जाएगा.
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