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IIT के छात्रों का दिव्यांगों को तोहफा, सिर्फ 3000 की लागत में मिलेगी बैसाखी

IIT दिल्ली के छात्रों ने एक अनोखी बैसाखी बनाई है. जिसका आकार मनुष्य के पैरों जैसा है. इसकी मदद से दिव्यांग लोग सड़क, फर्श, चिकनी ज़मीन पर आसानी से चल सकेंगें. इस बैसाखी की कीमत 3000 रुपये बताई जा रही है.

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Published : Jul 26, 2019, 3:23 PM IST

बैसाखी बनाने वाले छात्र

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT) के छात्रों ने एक अनोखी बैसाखी बनाई है. इसका आकर मनुष्य के पैरों जैसा है. इस बैसाखी को बनाने वाले छात्रों का दावा है कि दिव्यांग या जरूरतमंद व्यक्ति इस बैसाखी की मदद से सड़क, फर्श, चिकनी ज़मीन पर आसानी से चल सकेंगे.

बैसाखी को बनाने की प्रेरणा
IIT दिल्ली के छात्र श्रीनिवास ने बताया कि इस बैसाखी को बनाने की प्रेरणा उन्हें उनके एक दोस्त की स्थिति को देखकर मिली थी. चोट लगने की वजह से वह चल फिर नहीं पा रहा था.
श्रीनिवास ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा जो बैसाखी दिव्यांगों को दी जाती है, उसका निचला सिरा गोल होता है, और रबर का बना होता है. इसकी वजह से वह जल्दी घिसकर खराब हो जाता है.

देखें वीडियो
श्रीनिवास का कहना है कि जब भी हम चलते हैं, तो हमारे शरीर का भार पैरों पर पड़ता है. लेकिन जो बैसाखी दिव्यांग इस्तेमाल करते हैं उसका सिरा गोल होने के नाते पूरा वजन शरीर पर पड़ता है. इससे शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचता है.

प्लेक्समोटिव नाम की बैसाखी
इसी को ध्यान में रखते हुए प्लेक्समोटिव नाम की इस बैसाखी का निचला हिस्सा मनुष्य के पैरों के आकार में बनाया गया है. जिससे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के शरीर को कोई नुकसान न पहुंचे.

एल्यूमिनियम से बनी है बैसाखी
श्रीनिवास ने बताया कि बैसाखी को बनाने के लिए रबर की जगह एल्यूमिनियम का प्रयोग किया गया है. इस बैसाखी को मनुष्य के पैरों की आकृति में बनाया गया है. जिसके कारण इसका प्रयोग हर तरह की सतह पर किया जा सकेगा. इस बैसाखी का रेत, मिट्टी, चिकनी सतह, पहाड़, टाइल्स, सड़क, फर्श जैसी जगहों पर सफल प्रयोग किया जा चुका है. साथ ही इस बैसाखी को हर कद का व्यक्ति आसानी से प्रयोग कर सकता है.

पढ़ें-चंद्रयान-2 : पृथ्वी की दूसरी कक्षा में हुआ स्थापित, 29 जुलाई को तीसरा चरण

बैसाखी की टेस्टिंग
लगभग 100 लोगों ने इस बैसाखी को टेस्ट किया है और उनके द्वारा मिली सकारात्मक प्रक्रिया के आधार पर अब इसे औपचारिक तौर पर मार्किट में उतारने की कवायद चल रही है. बता दें कि फ्लेक्समोटिव नामक इस बैसाखी को श्रीनिवास अदेपु, अरविंद एसए, गिरीश यादव ने बनाया है. वहीं अभिजीत इस बैसाखी की मार्केटिंग का काम देख रहे हैं.

9 अगस्त को लांच करने की तैयारी
वहीं गिरीश यादव ने बताया कि 9 अगस्त को इस बैसाखी को आधिकारिक रूप से लांच किया जाएगा. जिसकी कीमत 3000 रुपये होगी.

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT) के छात्रों ने एक अनोखी बैसाखी बनाई है. इसका आकर मनुष्य के पैरों जैसा है. इस बैसाखी को बनाने वाले छात्रों का दावा है कि दिव्यांग या जरूरतमंद व्यक्ति इस बैसाखी की मदद से सड़क, फर्श, चिकनी ज़मीन पर आसानी से चल सकेंगे.

बैसाखी को बनाने की प्रेरणा
IIT दिल्ली के छात्र श्रीनिवास ने बताया कि इस बैसाखी को बनाने की प्रेरणा उन्हें उनके एक दोस्त की स्थिति को देखकर मिली थी. चोट लगने की वजह से वह चल फिर नहीं पा रहा था.
श्रीनिवास ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा जो बैसाखी दिव्यांगों को दी जाती है, उसका निचला सिरा गोल होता है, और रबर का बना होता है. इसकी वजह से वह जल्दी घिसकर खराब हो जाता है.

देखें वीडियो
श्रीनिवास का कहना है कि जब भी हम चलते हैं, तो हमारे शरीर का भार पैरों पर पड़ता है. लेकिन जो बैसाखी दिव्यांग इस्तेमाल करते हैं उसका सिरा गोल होने के नाते पूरा वजन शरीर पर पड़ता है. इससे शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचता है.

प्लेक्समोटिव नाम की बैसाखी
इसी को ध्यान में रखते हुए प्लेक्समोटिव नाम की इस बैसाखी का निचला हिस्सा मनुष्य के पैरों के आकार में बनाया गया है. जिससे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के शरीर को कोई नुकसान न पहुंचे.

एल्यूमिनियम से बनी है बैसाखी
श्रीनिवास ने बताया कि बैसाखी को बनाने के लिए रबर की जगह एल्यूमिनियम का प्रयोग किया गया है. इस बैसाखी को मनुष्य के पैरों की आकृति में बनाया गया है. जिसके कारण इसका प्रयोग हर तरह की सतह पर किया जा सकेगा. इस बैसाखी का रेत, मिट्टी, चिकनी सतह, पहाड़, टाइल्स, सड़क, फर्श जैसी जगहों पर सफल प्रयोग किया जा चुका है. साथ ही इस बैसाखी को हर कद का व्यक्ति आसानी से प्रयोग कर सकता है.

पढ़ें-चंद्रयान-2 : पृथ्वी की दूसरी कक्षा में हुआ स्थापित, 29 जुलाई को तीसरा चरण

बैसाखी की टेस्टिंग
लगभग 100 लोगों ने इस बैसाखी को टेस्ट किया है और उनके द्वारा मिली सकारात्मक प्रक्रिया के आधार पर अब इसे औपचारिक तौर पर मार्किट में उतारने की कवायद चल रही है. बता दें कि फ्लेक्समोटिव नामक इस बैसाखी को श्रीनिवास अदेपु, अरविंद एसए, गिरीश यादव ने बनाया है. वहीं अभिजीत इस बैसाखी की मार्केटिंग का काम देख रहे हैं.

9 अगस्त को लांच करने की तैयारी
वहीं गिरीश यादव ने बताया कि 9 अगस्त को इस बैसाखी को आधिकारिक रूप से लांच किया जाएगा. जिसकी कीमत 3000 रुपये होगी.

Intro:नई दिल्ली ।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली ( आईआईटी ) के छात्रों ने एक अनोखी बैसाखी बनाई है जिसका आकर मनुष्य के पैरों जैसा है. इस बैसाखी को बनाने वाले छात्रों का दावा है कि दिव्यांग या जरूरतमंद व्यक्ति इस बैसाखी की मदद से सड़क, फर्श, चिकनी ज़मीन आदि पर आसानी से चल सकेंगे. वहीं इस बैसाखी को बनाने वाली टीम के सदस्य श्रीनिवास ने बताया कि तीन साल की मशक्कत के बाद तैयार हुई इस बैसाखी को सभी टेस्टिंग के बाद 9 अगस्त को लांच करने की तैयारी है.








Body:वहीं इस बैसाखी को लेकर आईआईटी दिल्ली के छात्र श्रीनिवास ने बताया कि इस बैसाखी को बनाने की प्रेरणा उन्हें उनके एक दोस्त की स्थिति देखकर मिली जो चोट लगने की वजह से चल फिर नहीं पा रहा था और जो बैसाखी अमूमन इस्तेमाल की जाती है उससे वह सहज महसूस नहीं कर पा रहा था. श्रीनिवास ने बताया कि सरकार द्वारा जो बैसाखी दिव्यांगों को दी जाती है उसका निचला सिरा गोल होता है और रबर का बना होता है इसलिए वह जल्दी ही घिसकर खराब हो जाता है. उन्होंने कहा कि जब भी हम चलते हैं तो हमारे शरीर का भार पैरों पर पड़ता है लेकिन जो बैसाखी दिव्यांग इस्तेमाल करते हैं उसका सिरा गोल होने के नाते पूरा वजन शरीर पर पड़ता है जिससे शरीर को भी काफी नुकसान पहुचता है. इसी को ध्यान में रखते हुए प्लेक्समोटिव नाम की इस बैसाखी का निचला हिस्सा मनुष्य के पैरों के आकार में बनाया गया है जिससे इसे इस्तेमाल करने वाले के शरीर को कोई नुकसान न पहुचे.

अलमुनियम से बनी है बैसाखी

वहीं श्रीनिवास ने बताया कि इस बैसाखी को बनाने के लिए रबर की जगह अलुमिनियम का प्रयोग किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बैसाखी को मनुष्य के पैरों की आकृति में बनाया गया है जिसके कारण इसका प्रयोग हर तरह की सतह पर किया जा सकेगा. श्रीनिवास ने बताया कि इस बैसाखी का रेत, मिट्टी, चिकनी सतह, पहाड़, टाइल्स, सड़क, फर्श आदि जगहों पर सफल प्रयोग किया जा चुका है. साथ ही इस बैसाखी को हर कद का व्यक्ति आसानी से प्रयोग कर सकता है. लगभग100 लोगों ने इस बैसाखी को टेस्ट किया है और उनके द्वारा मिली सकारात्मक प्रक्रिया के आधार पर अब इसे औपचारिक तौर पर मार्किट में उतारने की कवायद चल रही है.


Conclusion:बता दें कि फ्लेक्समोटिव नामक इस बैसाखी को श्रीनिवास अदेपु, अरविंद एसए, गिरीश यादव ने बनाया है वहीं अभिजीत इस बैसाखी की मार्केटिंग का काम देख रहे हैं. वहीं गिरीश यादव ने बताया कि 9 अगस्त को इस बैसाखी को आधिकारिक रूप से लांच किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बैसाखी की कीमती 3000 रुपए रखी गयी है.
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