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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला : ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर आज सुनवाई

मुजफ्फरपुर बालिका गृह के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और एक अन्य आरोपी विकास कुमार की याचिका पर आज दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई करेगा.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
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Published : Oct 1, 2020, 2:51 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और एक अन्य आरोपी विकास कुमार की याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.

ट्रायल कोर्ट का फैसला सही
विकास कुमार बाल कल्याण समिति का सदस्य था. साकेत कोर्ट ने विकास को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने पहले ही हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. विकास कुमार और ब्रजेश ठाकुर बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.

पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है.

ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है
पिछली 22 जुलाई को हाई कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

यह भी पढ़ें- दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल तैयार, जानें खासियत

साकेत कोर्ट के आदेश को चुनौती दी
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाई थी. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत 6 दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी, हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे. इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. सात फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू की थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और एक अन्य आरोपी विकास कुमार की याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.

ट्रायल कोर्ट का फैसला सही
विकास कुमार बाल कल्याण समिति का सदस्य था. साकेत कोर्ट ने विकास को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने पहले ही हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. विकास कुमार और ब्रजेश ठाकुर बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.

पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है.

ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है
पिछली 22 जुलाई को हाई कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

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साकेत कोर्ट के आदेश को चुनौती दी
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाई थी. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत 6 दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी, हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे. इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. सात फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू की थी.

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