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हरियाणा के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है ड्रिप सिस्टम

हरियाणा के किसानों में ड्रिप सिस्टम को लेकर रुझान बढ़ता दिख रहा है. ड्रिप सिस्टम में एक तरफ पानी की बचत होती है तो दूसरी तरफ किसान की लागत भी कम आती है. ड्रिप सिस्टम से एक किसान 70 से 80 प्रतिशत तक पानी की बचत कर सकता है. ड्रिप सिस्टम से सिर्फ पानी की ही नहीं बल्कि खाद की भी बचत होती है.

ड्रिप सिस्टम
ड्रिप सिस्टम
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Published : Jul 6, 2020, 9:44 PM IST

चंडीगढ़ : हरियाणा के किसानों के लिए ड्रिप सिस्टम वरदान साबित हो रहा है. किसानों का रुझान अब ड्रिप सिस्टम की ओर ज्यादा बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ड्रिप सिस्टम से एक तरफ पानी की बचत होती है, तो दूसरी तरफ किसान की लागत भी कम आती है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ड्रिप सिस्टम को लेकर किसानों से बात की.

रेवाड़ी के किसान राजीव पिछले 1 साल से ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल खेती के लिए कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ड्रिप सिस्टम कैसे लाभदायक है. उनका कहना है कि ड्रिप सिस्टम की मदद से पानी सिर्फ फसल तक जाता है. इससे खरपतवार में काफी कमी आती है. उन्होंने बताया कि पहले वो दिन में 7-8 घंटे पानी चलाते थे, लेकिन ड्रिप सिस्टम के बाद से वो सिर्फ आधा घंटा पानी चलाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसान राजीव ने बताया कि ड्रिप सिस्टम से एक किसान 70 से 80 प्रतिशत तक पानी की बचत कर सकता है. उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से पानी फसल की जड़ों तक जाता है और अधिक पानी बर्बाद नहीं होता. उन्होंने दूसरे किसानों से अपील करते हुए कहा कि सभी किसान ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करें, इससे पानी की बचत भी होती है और किसान की आय में भी वृद्धि होती है.

ड्रिप सिस्टम पर सरकार का पूरा ध्यान

ड्रिप सिस्टम प्रणाली को लेकर जिला बागवानी अधिकारी सत्यवीर शर्मा ने अधिक जानदारी दी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में10 हेक्टेयर खेती के लिए सवा तीन करोड़ और 2020-21 में 740 हेक्टेयर खेती के लिए साढ़े 4 करोड़ का बजट रखा गया है.

उन्होंने बताया कि किसान ऑनलाइन आवेदन कर इसका लाभ ले सकते हैं. समय-समय पर किसानों को विभाग द्वारा इसकी जानकारी दी जाती है. किसान अपना आवेदन ऑनलाइन पॉर्टल पर भेज कर स्कीम का लाभ ले सकते हैं. जिला बागवानी अधिकारी सत्यवीर शर्मा ने बताया कि एक एकड़ में मात्र 18 हज़ार का खर्च आता है.

ड्रिप सिस्टम पर क्या बोले कृषि एक्सपर्ट ?

हरियाणा में ड्रिप सिस्टम से खेती करने वाले किसानों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. कृषि एक्सपर्ट डॉ. जोगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि ड्रिप सिस्टम किसानों के लिए कैसे लाभदायक है और किसानों को ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना होता है.

पढ़ें - होजरी व रेडीमेड गारमेंट्स : वैश्विक बाजार में क्या चीन को पछाड़ पाएगा भारत?

उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से सिर्फ पानी की ही नहीं बल्कि खाद की भी बचत होती है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार भी ड्रिप सिस्टम स्कीम के तहत किसानों को सब्सिडी देने का काम कर रही है. इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि आने वाले समय में पानी की काफी कमी होने वाली है. ऐसे में अब खेती के लिए ड्रिप सिस्टम से बेहतर प्रणाली कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को आगे आकर ड्रिप सिस्टम को अपनाना चाहिए.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना के लिए अहम साबित हो सकता है ड्रिप सिस्टम

हरियाणा सरकार ने पानी बचाने के लिए किसानों के सामने 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना का विकल्प रखा है. इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार पानी की अधिक खपत वाले धान के स्थान पर ऐसी फसलों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है जिनमें पानी का इस्तेमाल कम हो. हरियाणा सरकार का कहना है कि हरियाणा में जल-स्तर हर साल एक मीटर नीचे जा रहा है. धान में रोपाई से लेकर सिंचाई तक में पानी की खपत बहुत अधिक होती है. जिसको देखते हुए 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना बनाई गई है.

चंडीगढ़ : हरियाणा के किसानों के लिए ड्रिप सिस्टम वरदान साबित हो रहा है. किसानों का रुझान अब ड्रिप सिस्टम की ओर ज्यादा बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ड्रिप सिस्टम से एक तरफ पानी की बचत होती है, तो दूसरी तरफ किसान की लागत भी कम आती है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ड्रिप सिस्टम को लेकर किसानों से बात की.

रेवाड़ी के किसान राजीव पिछले 1 साल से ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल खेती के लिए कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ड्रिप सिस्टम कैसे लाभदायक है. उनका कहना है कि ड्रिप सिस्टम की मदद से पानी सिर्फ फसल तक जाता है. इससे खरपतवार में काफी कमी आती है. उन्होंने बताया कि पहले वो दिन में 7-8 घंटे पानी चलाते थे, लेकिन ड्रिप सिस्टम के बाद से वो सिर्फ आधा घंटा पानी चलाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसान राजीव ने बताया कि ड्रिप सिस्टम से एक किसान 70 से 80 प्रतिशत तक पानी की बचत कर सकता है. उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से पानी फसल की जड़ों तक जाता है और अधिक पानी बर्बाद नहीं होता. उन्होंने दूसरे किसानों से अपील करते हुए कहा कि सभी किसान ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करें, इससे पानी की बचत भी होती है और किसान की आय में भी वृद्धि होती है.

ड्रिप सिस्टम पर सरकार का पूरा ध्यान

ड्रिप सिस्टम प्रणाली को लेकर जिला बागवानी अधिकारी सत्यवीर शर्मा ने अधिक जानदारी दी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में10 हेक्टेयर खेती के लिए सवा तीन करोड़ और 2020-21 में 740 हेक्टेयर खेती के लिए साढ़े 4 करोड़ का बजट रखा गया है.

उन्होंने बताया कि किसान ऑनलाइन आवेदन कर इसका लाभ ले सकते हैं. समय-समय पर किसानों को विभाग द्वारा इसकी जानकारी दी जाती है. किसान अपना आवेदन ऑनलाइन पॉर्टल पर भेज कर स्कीम का लाभ ले सकते हैं. जिला बागवानी अधिकारी सत्यवीर शर्मा ने बताया कि एक एकड़ में मात्र 18 हज़ार का खर्च आता है.

ड्रिप सिस्टम पर क्या बोले कृषि एक्सपर्ट ?

हरियाणा में ड्रिप सिस्टम से खेती करने वाले किसानों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. कृषि एक्सपर्ट डॉ. जोगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि ड्रिप सिस्टम किसानों के लिए कैसे लाभदायक है और किसानों को ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना होता है.

पढ़ें - होजरी व रेडीमेड गारमेंट्स : वैश्विक बाजार में क्या चीन को पछाड़ पाएगा भारत?

उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से सिर्फ पानी की ही नहीं बल्कि खाद की भी बचत होती है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार भी ड्रिप सिस्टम स्कीम के तहत किसानों को सब्सिडी देने का काम कर रही है. इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि आने वाले समय में पानी की काफी कमी होने वाली है. ऐसे में अब खेती के लिए ड्रिप सिस्टम से बेहतर प्रणाली कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को आगे आकर ड्रिप सिस्टम को अपनाना चाहिए.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना के लिए अहम साबित हो सकता है ड्रिप सिस्टम

हरियाणा सरकार ने पानी बचाने के लिए किसानों के सामने 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना का विकल्प रखा है. इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार पानी की अधिक खपत वाले धान के स्थान पर ऐसी फसलों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है जिनमें पानी का इस्तेमाल कम हो. हरियाणा सरकार का कहना है कि हरियाणा में जल-स्तर हर साल एक मीटर नीचे जा रहा है. धान में रोपाई से लेकर सिंचाई तक में पानी की खपत बहुत अधिक होती है. जिसको देखते हुए 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना बनाई गई है.

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