अलवर. राजस्थान के भाजपा उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि पहलू खान जन्नत में गया या सदमें में गया, यह उनके अल्लाह जाने, लेकिन साल 2017 में बहरोड़ में लोगों ने गो तस्करी करते हुए पहलू खान व उसके बेटों को पकड़ा था. उस दौरान लोगों ने उनको पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वो भागने लगे. इसलिए लोगों ने थोड़ी मारपीट की. उसके बाद पुलिस कस्टडी में सदमे के दौरान पहलू खान की मौत हुई थी.
उन्होंने कहा कि जनता की मारपीट से पहलू खान की मौत नहीं हुई थी. पहलू खान और उसका पूरा परिवार आदतन गो तस्कर है. न्यायालय ने लोगों द्वारा मारपीट के मामले को मोब लिंचिंग नाम दिया है लेकिन पुलिस जाति विशेष के लोगों के साथ होने वाली घटनाओं को मोब लिंचिंग बना देती है. इस मामले में पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि पहलू खान और उसका पूरा परिवार गो तस्कर है. इनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का राज आते ही अलवर और आसपास क्षेत्र में गो तस्करी और गोकशी बढ़ जाती है तो वहीं भाजपा कि सरकार के दौरान भी इस तरह की कुछ घटनाएं होती हैं. जिस समय यह घटना हुई उस समय भाजपा की सरकार थी. उन्होंने कहा कि सिपाही से लेकर डीजीपी का सभी पुलिसकर्मी किसी भी पार्टी के नहीं होते हैं. पुलिस ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की है. जिसमें पहलू खान और उसके बेटों को गो तस्कर पाया है. ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते हैं कि इस मामले की फिर से जांच होगी.इसमें क्या जांच होगी जब पुलिस ने उनको दोषी पाया है.
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ज्ञानदेव आहूजा ने ओवैसी पर बोलते हुए कहा कि वो हमेशा एक जाति विशेष पर बोलते हैं. लेकिन मैं उन लोगों के बारे में बोलता हूं, जो गलत काम करते हैं. उनके चिल्लाने के तरीके और वो हमेशा सांप्रदायिक को भड़काने की बात करते हैं. ऐसे में उन पर बैन होना चाहिए और केंद्र सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उनको जेल भेजा जाए, जिससे इस तरह के मामले नहीं हो.
उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया के बंधु भी यह कह रहे थे कि पहलू खान गोपालक है और गो रक्षक है. वो गाय का दूध पीता है. यहां से जो गाय लेकर जाते है. वो गैरकानूनी है. भैरू सिंह शेखावत के कार्यकाल के दौरान राजस्थान में एक कानून बना था. उसके तहत गाय, बछड़ा, भैंस और अन्य जानवरों को ले जाने के लिए थानाधिकारी सहित अन्य परमिशन की आवश्यकता होती है. पहलू खान के पास इस तरह की कोई परमिशन नहीं थी. उन्होंने कहा कि यह लोग फर्जी परमिशन के आधार पर यह खेल खेलते हैं. ऐसे में पुलिस और सरकार को भी सख्त होना चाहिए और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और समाज में अच्छा संदेश जाए.