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रक्षा मंत्रालय में तालमेल की कमी दर्शाता है चीनी घुसपैठ दस्तावेज मामला

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Published : Aug 9, 2020, 6:20 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 3:13 PM IST

रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए उस दस्तावेज को गुरुवार को हटा लिया, जिसमें पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ से संबंधित जानकारी साझा की गई थी. इस अनौपचारिक दस्तावेज का वेबसाइट पर अपलोड होना कहीं न कहीं रक्षा मंत्रालय की विभिन्न इकाइयों के बीच समन्वय की कमी की तरफ इशारा करता है. पढ़िए, हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

चीनी घुसपैठ दस्तावेज
चीनी घुसपैठ दस्तावेज

नई दिल्ली : पूर्व लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध जारी है. भारत अपनी सेना को मजबूत करने के लिए हथियारों की खरीददारी पर जोर दे रहा है. इस बीच रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का एलान किया है.

ऐसे समय में जब भारत और चीन के बीच तनाव आसमान छू रहा है. इस समय रक्षा मंत्रालय की आधिकारिका बेवसाइट पर गुरुवार को एक बड़ी चूक देखने को मिली थी. रक्षा मंत्रालय की इस चूक ने विभिन्न इकाइयों के बीच समन्वय की कमी की ओर इशारा किया है.

दरअसल, मंगलवार (तीन अगस्त) को रक्षा मंत्रालय की बेवसाइट पर एक अनौपचारिक दस्तावेज अपलोड किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने इस दस्तावेज का शीर्षक 'जून 2020 में होने वाली रक्षा विभाग की प्रमुख गतिविधियां' दिया था. इसके साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'एलएसी पर चीनी आक्रमण' नामक उप-शीर्षक से चार बिंदुओं को भी सूचीबद्ध किया गया था.

यह दस्तावेज वास्तविक नियंत्रण रेखा को संदर्भित करता है, जहां पर सीमा विवाद को लेकर एशिया की दो महाशक्तियों के बीच गतिरोध चल रहा है.

रक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज में लिखा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, खासकर गलवान घाटी में चीनी सेना की आक्रमता पांच मई से बढ़ी है. 17 और 18 मई को चीनी सेना कुगरांग नाला, गोग्रा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर चौकसी तेज कर दी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों गलवान घाटी में हुई हिंसा और इसके परिणामस्वरूप चीन को भला-बुरा कहने से बचते नजर आते हैं. दोनों नेताओं ने कहा था कि भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना नहीं घुसी है.

हालांकि, यह दस्तावेज भारत सरकार के बयान के खिलाफ है. एक अखबार में दस्तावेज पर आधारित खबर प्रकाशित होने के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस दस्तावेज को बेवसाइट से हटा लिया.

मंत्रालय के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि इस मुद्दे को सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है. इस विशेष दस्तावेज को अपलोड करने से पता चलता है कि रक्षा मंत्रालय के नौकरशाहों और सेना के बीच समन्वय की कमी है. सीमा पर तनाव के समय में समन्वय की कमी कम से कम कहने के लिए भयावह है.

2020 चीनी सेना के आधुनिकीकरण अभियान के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अनुसार, चीनी सेना द्वारा किए गए तकनीकी विकास तब तक विश्वस्तर की युद्धक क्षमताओं को उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होंगे, जब तक कि वे आधुनिक और संगठनात्मक संरचनाओं द्वारा मेल नहीं खाते हैं.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 'चाइना ड्रीम' परियोजना के तहत साल 2049 तक चीनी सेना को एक विश्वस्तरीय शीर्ष बल बनाना चाहते हैं. इससे पहले 2035 तक चीनी सेना का आधुनिकीकरण करने का लक्ष्य है.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव को कम करने के लिए सैन्य, राजनयिक और प्रतिनिधि स्तरों पर बातचीत हुई है. लेकिन यह बातचीत अब तक एलएसी पर तनाव को कम करने में विफल साबित हुई है. निस्संदेह, दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच गतिरोध एक बड़े संघर्ष की तरफ इशारा करता है.

नई दिल्ली : पूर्व लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध जारी है. भारत अपनी सेना को मजबूत करने के लिए हथियारों की खरीददारी पर जोर दे रहा है. इस बीच रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का एलान किया है.

ऐसे समय में जब भारत और चीन के बीच तनाव आसमान छू रहा है. इस समय रक्षा मंत्रालय की आधिकारिका बेवसाइट पर गुरुवार को एक बड़ी चूक देखने को मिली थी. रक्षा मंत्रालय की इस चूक ने विभिन्न इकाइयों के बीच समन्वय की कमी की ओर इशारा किया है.

दरअसल, मंगलवार (तीन अगस्त) को रक्षा मंत्रालय की बेवसाइट पर एक अनौपचारिक दस्तावेज अपलोड किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने इस दस्तावेज का शीर्षक 'जून 2020 में होने वाली रक्षा विभाग की प्रमुख गतिविधियां' दिया था. इसके साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'एलएसी पर चीनी आक्रमण' नामक उप-शीर्षक से चार बिंदुओं को भी सूचीबद्ध किया गया था.

यह दस्तावेज वास्तविक नियंत्रण रेखा को संदर्भित करता है, जहां पर सीमा विवाद को लेकर एशिया की दो महाशक्तियों के बीच गतिरोध चल रहा है.

रक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज में लिखा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, खासकर गलवान घाटी में चीनी सेना की आक्रमता पांच मई से बढ़ी है. 17 और 18 मई को चीनी सेना कुगरांग नाला, गोग्रा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर चौकसी तेज कर दी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों गलवान घाटी में हुई हिंसा और इसके परिणामस्वरूप चीन को भला-बुरा कहने से बचते नजर आते हैं. दोनों नेताओं ने कहा था कि भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना नहीं घुसी है.

हालांकि, यह दस्तावेज भारत सरकार के बयान के खिलाफ है. एक अखबार में दस्तावेज पर आधारित खबर प्रकाशित होने के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस दस्तावेज को बेवसाइट से हटा लिया.

मंत्रालय के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि इस मुद्दे को सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है. इस विशेष दस्तावेज को अपलोड करने से पता चलता है कि रक्षा मंत्रालय के नौकरशाहों और सेना के बीच समन्वय की कमी है. सीमा पर तनाव के समय में समन्वय की कमी कम से कम कहने के लिए भयावह है.

2020 चीनी सेना के आधुनिकीकरण अभियान के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अनुसार, चीनी सेना द्वारा किए गए तकनीकी विकास तब तक विश्वस्तर की युद्धक क्षमताओं को उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होंगे, जब तक कि वे आधुनिक और संगठनात्मक संरचनाओं द्वारा मेल नहीं खाते हैं.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 'चाइना ड्रीम' परियोजना के तहत साल 2049 तक चीनी सेना को एक विश्वस्तरीय शीर्ष बल बनाना चाहते हैं. इससे पहले 2035 तक चीनी सेना का आधुनिकीकरण करने का लक्ष्य है.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव को कम करने के लिए सैन्य, राजनयिक और प्रतिनिधि स्तरों पर बातचीत हुई है. लेकिन यह बातचीत अब तक एलएसी पर तनाव को कम करने में विफल साबित हुई है. निस्संदेह, दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच गतिरोध एक बड़े संघर्ष की तरफ इशारा करता है.

Last Updated : Aug 10, 2020, 3:13 PM IST
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