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बेलगावी के मराठी लोगों का ठाकरे को जवाब, भगवान का शुक्र है हम कर्नाटक में रह रहे हैं

कर्नाटक के बेलगावी जिले में रहने वाले मराठी समुदाय के लोगों को शामिल करने वाले सीएम उद्धव ठाकरे के बयान को लेकर प्रतिक्रिया दी है. लोगों का कहना है कि करे को कर्नाटक के बारे में बयान देने के बजाय, महाराष्ट्र की बुनियादी समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए.

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Published : Jan 30, 2021, 4:37 PM IST

उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे

बेंगलुरु : कर्नाटक के बेलगावी जिले में रहने वाले मराठी समुदाय के लोगों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जवाब देते हुए कहा है कि भगवान का शुक्र है, हम कर्नाटक में रह रहे हैं. लोगों का कहना है कि ठाकरे को कर्नाटक के बारे में बयान देने के बजाय, महारास्ट्र की बुनियादी समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए.

सीमा की राजनीति को हवा देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वे तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि बेलागवी को महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं बना लिया जाता. यह उन के सर पर बोझ है.

ठाकरे ने यह भी मांग की कि जब तक मामले को सुलझाया नहीं जाता तब तक बेलगावी के विवादित सीमा क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए.

दो दिनों के बाद, बेलागवी में मराठी भाषी लोगों ने ठाकरे को उनके बयान पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बेलगावी को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बजाय महारास्ट्र में बुनियादी ढांचागत सुविधा प्रदान करनी चाहिए.

बॉर्डर मुद्दे के बजाय कई समस्याएं हैं, जैसे बेरोजगारी, गरीबी आदि आप पहले उन सभी समस्याओं को हल करें और बाद में महारास्ट्र की सीमा के बारे में चिंता करने का प्रयास करें.

वरिष्ठ पत्रकार ने इस बारे में पुस्तक जारी करने का आग्रह किया

वरिष्ठ पत्रकार और कन्नड़ एक्टिविस्ट महबूब मकंदर ने कर्नाटक राज्य सरकार से एमईएस की शरारत को लेकर एक किताब जारी करने का आग्रह किया है.

महबूब मकरंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, महाराष्ट्र सरकार ने सीमा मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद किया है.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी हाल ही में ट्वीट किया कि कर्नाटक के मराठी भाषी महाराष्ट्र में शामिल होंगे.

पढ़ें - कर्नाटक हाई कोर्ट ने मांगी विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ वापस मुकदमे की डिटेल

इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1956 से लेकर अब तक महाराष्ट्र के रुख और घटनाओं पर एक पुस्तक प्रकाशित की है. साथ ही 50 साल पुरानी डॉक्यूमेंट्री बी रिलीज की है.

महबूब मकरंद ने कहा कि इसी तरह कर्नाटक सरकार को भी'एमईएस किठपति' (एमईएस शरारत) नामक पुस्तक जारी करनी चाहिए. अन्यथा, पूरा देश महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी पुस्तक पर सहमत हो सकता है.

बेंगलुरु : कर्नाटक के बेलगावी जिले में रहने वाले मराठी समुदाय के लोगों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जवाब देते हुए कहा है कि भगवान का शुक्र है, हम कर्नाटक में रह रहे हैं. लोगों का कहना है कि ठाकरे को कर्नाटक के बारे में बयान देने के बजाय, महारास्ट्र की बुनियादी समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए.

सीमा की राजनीति को हवा देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वे तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि बेलागवी को महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं बना लिया जाता. यह उन के सर पर बोझ है.

ठाकरे ने यह भी मांग की कि जब तक मामले को सुलझाया नहीं जाता तब तक बेलगावी के विवादित सीमा क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए.

दो दिनों के बाद, बेलागवी में मराठी भाषी लोगों ने ठाकरे को उनके बयान पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बेलगावी को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बजाय महारास्ट्र में बुनियादी ढांचागत सुविधा प्रदान करनी चाहिए.

बॉर्डर मुद्दे के बजाय कई समस्याएं हैं, जैसे बेरोजगारी, गरीबी आदि आप पहले उन सभी समस्याओं को हल करें और बाद में महारास्ट्र की सीमा के बारे में चिंता करने का प्रयास करें.

वरिष्ठ पत्रकार ने इस बारे में पुस्तक जारी करने का आग्रह किया

वरिष्ठ पत्रकार और कन्नड़ एक्टिविस्ट महबूब मकंदर ने कर्नाटक राज्य सरकार से एमईएस की शरारत को लेकर एक किताब जारी करने का आग्रह किया है.

महबूब मकरंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, महाराष्ट्र सरकार ने सीमा मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद किया है.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी हाल ही में ट्वीट किया कि कर्नाटक के मराठी भाषी महाराष्ट्र में शामिल होंगे.

पढ़ें - कर्नाटक हाई कोर्ट ने मांगी विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ वापस मुकदमे की डिटेल

इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1956 से लेकर अब तक महाराष्ट्र के रुख और घटनाओं पर एक पुस्तक प्रकाशित की है. साथ ही 50 साल पुरानी डॉक्यूमेंट्री बी रिलीज की है.

महबूब मकरंद ने कहा कि इसी तरह कर्नाटक सरकार को भी'एमईएस किठपति' (एमईएस शरारत) नामक पुस्तक जारी करनी चाहिए. अन्यथा, पूरा देश महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी पुस्तक पर सहमत हो सकता है.

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