नई दिल्ली: देश में पहली बार निजी क्षेत्र के 9 विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव के पदों पर तैनाती के लिए चुना गया है. आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करियर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.
निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति को लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी शंकर अग्रवाल ने कहा है कि सरकार इस बात का ख्याल रखे कि विशेषज्ञों को सीमित अवधि के लिए ही नियुक्त किया जाए.
1980 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अग्रवाल ने कहा कि हमें शुरूआती दौर में बेहतर विशेषज्ञ को लेने की जरूरत है.
निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल करने से पहले सरकार को उनकी एसडीएम, कलेक्टर, मजिस्ट्रेट या आयुक्त के रुप में प्रतिनियुक्ति करनी चाहिए थी.
अग्रवाल ने कहा कि अगर आप सीधे निजी पृष्ठभूमि के विशेषज्ञों को नियुक्त करेंगे तो यह ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा.
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शुक्रवार को यूपीएससी द्वारा घोषित परिणाम के अनुसार 9 प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञ जिन्हें संयुक्त सचिव के लिए चुना गया है उनके नाम हैं- अंबर दुबे (सिविल एविएशन), अरुण गोयल (कॉमर्स), राजीव सक्सेना (आर्थिक मामले), सुजीत कुमार बाजपेयी (पर्यावरण, जंगल और जलवायु परिवर्तन), सौरभ मिश्रा (वित्तीय सेवाएं) और दिनेश जगदाले (नई और नवकरणीय ऊर्जा). इसके अलावा सुमन प्रसाद सिंह को सड़क परिवहन और हाइवे मिनिस्ट्री में संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया है. वहीं, शिपिंग में भूषण कुमार और कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण के लिए कोकली घोष को चुना गया है.
इन पदों के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जुलाई 2018 थी. इससे संबंधित सरकारी विज्ञापन सामने आने के बाद कुल 6,077 लोगों ने आवेदन किये थे. शुक्रवार को उन विशेषज्ञों की लिस्ट जारी की जो कृषि, नागरिक उड्डयन, वित्त, ट्रांसपोर्ट और शिपिंग जैसे विभागों में शामिल होंगे. वे कॉन्ट्रेक्ट आधार पर अपने संबंधित विभागों में शामिल होंगे.