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सत्ता में मौजूद नेतृत्व की आलोचना करने के डर को छोड़ना होगा : एस एम कृष्णा

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Published : Aug 13, 2020, 6:40 PM IST

पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने दावा किया है कि भाजपा की 2024 में संसदीय चुनाव में फिर से सत्ता में निश्चित ही वापसी होगी और मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे. उन्होंने आगे कहा कि देश के सभी दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और सत्ता में मौजूद नेतृत्व की आलोचना के डर को ‘छोड़ना होगा’.

एस एम कृष्णा
एस एम कृष्णा

बेंगलुरू : पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि देश के सभी दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और सत्ता में मौजूद नेतृत्व की आलोचना के डर को ‘छोड़ना होगा’. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा की कार्यप्रणाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस अब भी प्रभावी ताकत है और वह क्षेत्रीय संगठनों के साथ फिर से एकजुट होकर जे पी नड्डा नीत पार्टी के सामने चुनावी चुनौती पेश कर सकती है.

उन्होंने कहा कि भाजपा की 2024 में संसदीय चुनाव में फिर से सत्ता में निश्चित ही वापसी होगी और मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे.

कृष्णा कांग्रेस से 45 साल से अधिक समय तक जुड़े रहने के बाद करीब तीन साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे.

कृष्णा ने कहा कि राजनीतिक दलों को एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी, जिसमें आंतरिक लोकतंत्र की झलक मिलती हो.

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल ने कहा, 'हर राजनीतिक दल में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है. हमें ऐसी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें आंतरिक लोकतंत्र की झलक मिलती हो.'

उन्होंने कहा, 'गांधीजी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दौर में जो आंतरिक लोकतंत्र था, उससे प्रेरणा ली जा सकती है. उस मॉडल को बदले हालात के अनुसार ढाला जाए. यह आदर्श स्थिति होगी.'

हाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट के विद्रोह के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा (88) ने दावा किया कि यह उस पार्टी में 'गहरी जड़ें जमा चुकी असहजता' के कारण है.

कृष्णा ने कहा, '... और इसका कारण युवाओं को अपनी राय रखने और अपने लिए जगह बनाने का मौका नहीं मिल पाना है. पुरानी पीढ़ी को युवाओं के लिए जगह बनानी होगी, लेकिन उन्हें युवा पीढ़ी का नेतृत्व करने के लिए पार्टी का अहम हिस्सा बने रहना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि यदि कोई पार्टी समय के साथ बदलती नहीं है, तो वह नष्ट होने लगती है. पार्टी को दो मकसदों से पीछे देखना चाहिए. पहला मकसद है-प्रेरणा लेना और दूसरा मकसद है- अतीत से उचित सबक सीखना.

भाजपा के साथ काम करने के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि यह अनुभव शानदार रहा है.

पढ़ें - टैक्सपेयर्स के लिए नया प्लेटफॉर्म लॉन्च, मोदी बोले- ईमानदार करदाताओं को मिलेगा सम्मान

उन्होंने कहा, 'मैं खुश हूं और मुझे लगता है कि मैंने भाजपा में शामिल होकर बुद्धिमानी का फैसला किया. मैं इस बात के कारण भी खुश हूं कि मोदी के काम ने मुझे और हम सभी को गौरवान्वित किया है. यह गर्व की बात है कि हम विकास की इस यात्रा का हिस्सा हैं.'

कृष्णा ने हालांकि भाजपा को सचेत किया कि राष्ट्रीय पकड़ रखने वाले क्षेत्रीय संगठनों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब भी प्रभावी ताकत है और वह भले ही हार चुकी है, लेकिन उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, 'चुनौती देने वाले दल एकजुट होकर बड़ी चुनौती बन सकते हैं.'

(पीटीआई भाषा)

बेंगलुरू : पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि देश के सभी दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और सत्ता में मौजूद नेतृत्व की आलोचना के डर को ‘छोड़ना होगा’. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा की कार्यप्रणाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस अब भी प्रभावी ताकत है और वह क्षेत्रीय संगठनों के साथ फिर से एकजुट होकर जे पी नड्डा नीत पार्टी के सामने चुनावी चुनौती पेश कर सकती है.

उन्होंने कहा कि भाजपा की 2024 में संसदीय चुनाव में फिर से सत्ता में निश्चित ही वापसी होगी और मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे.

कृष्णा कांग्रेस से 45 साल से अधिक समय तक जुड़े रहने के बाद करीब तीन साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे.

कृष्णा ने कहा कि राजनीतिक दलों को एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी, जिसमें आंतरिक लोकतंत्र की झलक मिलती हो.

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल ने कहा, 'हर राजनीतिक दल में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है. हमें ऐसी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें आंतरिक लोकतंत्र की झलक मिलती हो.'

उन्होंने कहा, 'गांधीजी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दौर में जो आंतरिक लोकतंत्र था, उससे प्रेरणा ली जा सकती है. उस मॉडल को बदले हालात के अनुसार ढाला जाए. यह आदर्श स्थिति होगी.'

हाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट के विद्रोह के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा (88) ने दावा किया कि यह उस पार्टी में 'गहरी जड़ें जमा चुकी असहजता' के कारण है.

कृष्णा ने कहा, '... और इसका कारण युवाओं को अपनी राय रखने और अपने लिए जगह बनाने का मौका नहीं मिल पाना है. पुरानी पीढ़ी को युवाओं के लिए जगह बनानी होगी, लेकिन उन्हें युवा पीढ़ी का नेतृत्व करने के लिए पार्टी का अहम हिस्सा बने रहना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि यदि कोई पार्टी समय के साथ बदलती नहीं है, तो वह नष्ट होने लगती है. पार्टी को दो मकसदों से पीछे देखना चाहिए. पहला मकसद है-प्रेरणा लेना और दूसरा मकसद है- अतीत से उचित सबक सीखना.

भाजपा के साथ काम करने के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि यह अनुभव शानदार रहा है.

पढ़ें - टैक्सपेयर्स के लिए नया प्लेटफॉर्म लॉन्च, मोदी बोले- ईमानदार करदाताओं को मिलेगा सम्मान

उन्होंने कहा, 'मैं खुश हूं और मुझे लगता है कि मैंने भाजपा में शामिल होकर बुद्धिमानी का फैसला किया. मैं इस बात के कारण भी खुश हूं कि मोदी के काम ने मुझे और हम सभी को गौरवान्वित किया है. यह गर्व की बात है कि हम विकास की इस यात्रा का हिस्सा हैं.'

कृष्णा ने हालांकि भाजपा को सचेत किया कि राष्ट्रीय पकड़ रखने वाले क्षेत्रीय संगठनों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब भी प्रभावी ताकत है और वह भले ही हार चुकी है, लेकिन उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, 'चुनौती देने वाले दल एकजुट होकर बड़ी चुनौती बन सकते हैं.'

(पीटीआई भाषा)

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