नई दिल्ली : 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में थलसेना की कैप्टन तान्या शेरगिल राजपथ पर पुरुष दस्ते का नेतृत्व करने वाली हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने कैप्टन तान्या से खात बातीचीत की.
ईटीवी भारत से खात बात करते हुए कैप्टन तान्या शेरगिल ने कहा कि वह इस परेड के लिए लंबे समय से तैयारियां शुरू कर चुकी हैं. उन्होंने कहा कि 72वें सेना दिवस पर आर्मी परेड का नेतृत्व करने के बाद अब उन्होंने अपना पूरा अभ्यास गणतंत्र दिवस की परेड के लिए शुरू कर दिया है.
आपको बता दें, कैप्टन तान्या शेरगिल पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें सेना दिवस पर पुरुष दस्ते की कमान सौंपी गई. पिछले साल कैप्टन भावना कस्तूरी पहली महिला ऑफिसर बनी थी, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर सर्व पुरुष दस्ते का नेतृत्व किया था.
गौरतलब है, पंजाब के होशियारपुर के गढ़दीवाला कस्बे की रहने वाली तान्या सेना में कार्यरत रही हैं. वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जो सेना में भर्ती हुई हैं. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि जब उनके पिता वर्दी पहनते थे तब उन्हें सेना में शामिल होने का ख्याल आया और तभी से उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला कर लिया.
कैप्टन तान्या ने नागपुर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की है. इसके बाद वह चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में भर्ती हुईं, जिसके बाद वह 2017 में कॉर्प्स आफ सिगनल्स में कमीशन हुईं थीं.
उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह कॉर्प्स आफ सिगनल्स में शामिल हुईं क्योंकि सिग्नल्स का प्रयोग युद्ध संचार के समय होता है. इस तरीके से उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई देश की सेवा में भी सहायता पहुंचा रही है.
ये भी पढ़ें : आर्मी डे परेड में कैप्टन तानिया शेरगिल करेंगी पुरुषों की टुकड़ी का नेतृत्व
ईटीवी भारत ने गणतंत्र दिवस परेड में पुरुष दस्ते का नेतृत्व कर रही कैप्टन तान्या शेरगिल से जब यह पूछा कि वह देश की महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं तो उन्होंने कहा, 'ऐसे बहुत से लोग हैं जो मुझे भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. यदि मैं किसी एक भी व्यक्ति के लिए प्रेरणा बनती हूं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.'
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ईटीवी भारत से कहा कि हमारे पास सिर्फ एक जिंदगी है और हम जो भी हासिल करना चाहते हैं वह हमें जरूर करना चाहिए.
गौरतलब है कि कैप्टन तान्या शेरगिल के पिता तोपखाने (आर्टिलरी), दादा बख्तरबंद (आर्म्ड) और परदादा सिख रेजीमेंट में पैदल सैनिक (इन्फेंट्री) के तौर पर सेवा दे चुके हैं.