ETV Bharat / bharat

चंद्रयान-1 की तस्वीरों से चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगे होने के संकेत मिले

चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रयान-1 के बारे में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह बताते हैं कि चंद्रमा पर इसरो के पहले मिशन ने तस्वीरें भेजी हैं जो दर्शाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगा हो सकता है. जानें इस बारे में जानकारी देते हुए सिंह ने क्या कुछ कहा...

evidence-of-rust-on-moon
चंद्रयान-1 की तस्वीरों से चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगी होने का संकेत मिला
author img

By

Published : Sep 7, 2020, 8:43 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि भारत के पहले चंद्र मिशन 'चंद्रयान-1' द्वारा भेजी गई तस्वीरों से पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग (रस्ट) लगा हो सकता है.

चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था.

अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री सिंह ने कहा, 'चंद्रमा पर इसरो के पहले मिशन ने तस्वीरें भेजी हैं जो दर्शाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगा हो सकता है.'

उन्होंने कहा, 'चंद्रमा की सतह पर लौह-युक्त चट्टानें होने की बात मानी जाती है और यहां पानी और ऑक्सीजन की मौजूदगी का पता नहीं चला है, जबकि जंग बनने के लिए लोहे का इन दो तत्वों के संपर्क में आना जरूरी है.'

पढ़ें : भारत 2021 की शुरुआत में लॉन्च कर सकता है चंद्रयान-3 मिशन

एक बयान में कहा गया कि नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पृथ्वी का पर्यावरण इसमें योगदान दे रहा है, या दूसरे शब्दों में कहें तो इसका अर्थ हुआ कि पृथ्वी का पर्यावरण चंद्रमा की सुरक्षा भी कर सकता है.'

बयान के अनुसार, 'चंद्रयान-1 के डेटा से संकेत मिलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी है, यही वैज्ञानिक समझने का प्रयास कर रहे हैं.'

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि भारत के पहले चंद्र मिशन 'चंद्रयान-1' द्वारा भेजी गई तस्वीरों से पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग (रस्ट) लगा हो सकता है.

चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था.

अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री सिंह ने कहा, 'चंद्रमा पर इसरो के पहले मिशन ने तस्वीरें भेजी हैं जो दर्शाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगा हो सकता है.'

उन्होंने कहा, 'चंद्रमा की सतह पर लौह-युक्त चट्टानें होने की बात मानी जाती है और यहां पानी और ऑक्सीजन की मौजूदगी का पता नहीं चला है, जबकि जंग बनने के लिए लोहे का इन दो तत्वों के संपर्क में आना जरूरी है.'

पढ़ें : भारत 2021 की शुरुआत में लॉन्च कर सकता है चंद्रयान-3 मिशन

एक बयान में कहा गया कि नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पृथ्वी का पर्यावरण इसमें योगदान दे रहा है, या दूसरे शब्दों में कहें तो इसका अर्थ हुआ कि पृथ्वी का पर्यावरण चंद्रमा की सुरक्षा भी कर सकता है.'

बयान के अनुसार, 'चंद्रयान-1 के डेटा से संकेत मिलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी है, यही वैज्ञानिक समझने का प्रयास कर रहे हैं.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.