नई दिल्ली: केंद्रीय निर्वाचन आयोग (EC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है. आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर में जो भाषण दिया था, इससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है.
बता दें कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. इनका कहना था कि मोदी ने आयोग द्वारा जारी परामर्श का उल्लंघन करते हुए सेना के नाम पर युवाओं से वोट मांगे हैं. कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने मोदी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था.
बुधवार को अपने फैसले में आयोग ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने पहली बार वोट देने वालों से अपना वोट पुलवामा के शहीदों को समर्पित करने को कहा था. ये सशस्त्र बलों का हवाला देने पर चुनाव आयोग के परामर्श का उल्लंघन नहीं था.
आयोग ने अपने बयान में कहा 'इस मामले का उपलब्ध परामर्श समेत आदर्श आचार संहिता के नियमों के आलोक में विस्तृत परीक्षण किया गया. भाषण की 11 पन्नों की प्रमाणित प्रतिलिपि का पूरा परीक्षण किया गया. ये प्रतिलिपि 40 ओस्मानाबाद संसदीय सीट के रिटर्निंग ऑफिसर ने भेजी थी. आयोग का ये मानना है कि इस मामले में प्रावधानों और परामर्श का उल्लंघन नहीं हुआ है.'
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बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर अंतर्गत औसा में आयोजित जनसभा में कहा था 'क्या आपका पहला वोट एयर स्ट्राइक करने वाले जवानों को समर्पित हो सकता है?'
मोदी ने कहा था 'मैं पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं को बताना चाहता हूं कि: क्या आप अपना पहला वोट वीर जवानों को समर्पित कर सकते हैं, जिन्होंने पाक में एयर स्ट्राइक की थी. क्या आपका पहला वोट पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित हो सकता है.'
बताया जाता है कि स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग को ये बताया कि प्रथम दृष्टया मोदी की टिप्पणी आयोग के आदेशों का उल्लंघन है. आदेश में राजनीतिक दलों को सशस्त्र बलों का अपने चुनावी अभियान में इस्तेमाल न करने की बात कही गई थी.
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आयोग ने विगत 19 मार्च में प्रकाशित अपने परामर्श के आलोक में रिपोर्ट मांगी थी. इस परामर्श में सभी पार्टियों को वैसे राजनीतिक प्रोपगैंडा से दूर रहने को कहा गया था जिसमें सशस्त्र बलों की कार्रवाई का जिक्र हो.
आयोग ने अपने परामर्श में कहा था 'दलों/उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि उनके प्रचारक वैसे राजनीतिक प्रोपगैंडा से दूर रहें जिसमें सशस्त्र बलों की गतिविधियों का जिक्र शामिल हो.'
(पीटीआई इनपुट)