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एमपी हाई कोर्ट के फैसले को चुनाव आयोग ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - Chief Minister Shivraj Singh Chauhan

मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से पहले हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव कराना उसका डोमेन है और हाई कोर्ट का यह फैसला मतदान की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.

madhya pradesh hc campaign order
एससी पहुंचा चुनाव आयोग
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Published : Oct 24, 2020, 3:49 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश में आगामी उपचुनावों में कैंपेनिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव आयोग ने फिजिकल इलेक्शन कैंपेनिंग को प्रतिबंधित करने के मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. चुनाव आयोग ने कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है. आयोग की याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराना उसका डोमेन है और हाई कोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया को बाधित करेगा.

चुनावी आयोग की आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में चार बिंदुओं पर इस आदेश को चुनौती दी गई है. चुनाव आयोग का कहना है कि अधिसूचना जारी होने के बाद कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं रहता है. वहीं हाई कोर्ट ने कहा है कि फिजिकल की जगह वर्चुअल कैंपेनिंग की जाए, लेकिन वर्चुअल कैंपेनिंग में लाखों का खर्च होता है, जिसे कई प्रत्याशी वहन कर सकते हैं, साथ ही प्रत्याशी के चुनाव खर्च की सीमा भी तय है. वर्चुअल कैंपेनिंग करने से उसके खर्च की सीमा कहीं ज्यादा होगी.

अधिवक्ता देव कृष्ण कटारे

नवंबर के पहले हफ्ते में होगी सुनवाई
इसके अलावा एसएलपी में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर पहले ही कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए अपनी ओर से ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इनके अनुपालन के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर को बता दिया गया है. कलेक्टर भी सभी राजनीतिक दलों को आयोग के दिशानिर्देशों से अवगत करा चुके हैं. ऐसे में जनहित याचिका में उठाए गए बिंदु अव्यावहारिक हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर नवंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी, जबकि विधानसभा उपचुनाव तीन नवंबर को है.

हाई कोर्ट का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में होने वाले आगामी उपचुनावों में बड़ी रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि रैलियों की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब वर्चुअल मीटिंग संभव न हो. राज्य में 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इसके लिए चुनावी रैलियां और जनसभाएं भी हो रही थीं, लेकिन ग्वालियर पीठ के न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने एक दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था.

पढ़ें - 71 सीटों पर 1066 प्रत्याशी, सात मंत्रियों की भी अग्निपरीक्षा

सीएम शिवराज ने कही थी यह बात
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी दौ रैलियों को निरस्त कर दिया था और कहा था कि वह हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए हो रही रैलियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था हम न्यायालय का सम्मान करते हैं, उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इन फैसले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, क्योंकि एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है. देश के एक हिस्से में रैली व सभा हो सकती है, दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती. बिहार में सभाएं हों रही हैं, रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकतीं. इस फैसले के संबंध में हम न्याय की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा.

भोपाल : मध्य प्रदेश में आगामी उपचुनावों में कैंपेनिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव आयोग ने फिजिकल इलेक्शन कैंपेनिंग को प्रतिबंधित करने के मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. चुनाव आयोग ने कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है. आयोग की याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराना उसका डोमेन है और हाई कोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया को बाधित करेगा.

चुनावी आयोग की आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में चार बिंदुओं पर इस आदेश को चुनौती दी गई है. चुनाव आयोग का कहना है कि अधिसूचना जारी होने के बाद कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं रहता है. वहीं हाई कोर्ट ने कहा है कि फिजिकल की जगह वर्चुअल कैंपेनिंग की जाए, लेकिन वर्चुअल कैंपेनिंग में लाखों का खर्च होता है, जिसे कई प्रत्याशी वहन कर सकते हैं, साथ ही प्रत्याशी के चुनाव खर्च की सीमा भी तय है. वर्चुअल कैंपेनिंग करने से उसके खर्च की सीमा कहीं ज्यादा होगी.

अधिवक्ता देव कृष्ण कटारे

नवंबर के पहले हफ्ते में होगी सुनवाई
इसके अलावा एसएलपी में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर पहले ही कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए अपनी ओर से ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इनके अनुपालन के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर को बता दिया गया है. कलेक्टर भी सभी राजनीतिक दलों को आयोग के दिशानिर्देशों से अवगत करा चुके हैं. ऐसे में जनहित याचिका में उठाए गए बिंदु अव्यावहारिक हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर नवंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी, जबकि विधानसभा उपचुनाव तीन नवंबर को है.

हाई कोर्ट का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में होने वाले आगामी उपचुनावों में बड़ी रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि रैलियों की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब वर्चुअल मीटिंग संभव न हो. राज्य में 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इसके लिए चुनावी रैलियां और जनसभाएं भी हो रही थीं, लेकिन ग्वालियर पीठ के न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने एक दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था.

पढ़ें - 71 सीटों पर 1066 प्रत्याशी, सात मंत्रियों की भी अग्निपरीक्षा

सीएम शिवराज ने कही थी यह बात
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी दौ रैलियों को निरस्त कर दिया था और कहा था कि वह हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए हो रही रैलियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था हम न्यायालय का सम्मान करते हैं, उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इन फैसले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, क्योंकि एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है. देश के एक हिस्से में रैली व सभा हो सकती है, दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती. बिहार में सभाएं हों रही हैं, रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकतीं. इस फैसले के संबंध में हम न्याय की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा.

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