ETV Bharat / bharat

चंद्रयान-2 से भारत को भविष्य में मदद मिलेगी : NASA के पूर्व अंतरिक्ष यात्री

चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना भारत की साहसिक कोशिश है. भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है, जो बहुत ही कठिन है. ये बात नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने कही है. जानें और क्या कुछ बोले लिनेंगर...

नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर. सौ.विकिपीडिया
author img

By

Published : Sep 7, 2019, 2:05 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 6:34 PM IST

नई दिल्ली: नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की 'साहसिक कोशिश' से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा.

वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे. वह शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के सजीव प्रसारण में शामिल हुए.

लिनेंगर ने कहा, 'हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए. भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है. लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सबकुछ योजना के तहत था.'

पढ़ें: ये हैं चंद्रयान-2 मिशन के असली नायक

लिनेंगर ने इंगित किया कि दुर्भाग्यवश लैंडर चंद्रमा की सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होवर प्वाइंट तक नहीं पहुंच सका.

उन्होंने कहा, 'अगर वह उस बिंदु पर पहुंच जाता और उसके आगे असफल होता तब भी बहुत लाभ होता क्योंकि रडार अल्टीमीटर और लेजर का प्रशिक्षण हो जाता, लेकिन जब आप पीछे मुड़़कर बड़ी तस्वीर देखते हैं, तो यह कोशिश निश्चित तौर पर आने वाले अभियानों के लिए लाभदायक होगी.'

एक अंतरिक्ष यात्री और विशेषज्ञ के तौर पर लिनेंगर ने कहा कि मिशन बहुत ही सफल रहा. उन्होंने इसरो को इस मुश्किल मिशन के लिए बधाई दी.
उन्होंने कहा, 'ऑर्बिटर अगले एक साल तक बहुमूल्य जानकारी देना जारी रखेगा. ऑर्बिटर से आ रहे संकेत बता रहे हैं कि सभी प्रणालियां ठीक से काम कर रही हैं.'

नई दिल्ली: नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की 'साहसिक कोशिश' से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा.

वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे. वह शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के सजीव प्रसारण में शामिल हुए.

लिनेंगर ने कहा, 'हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए. भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है. लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सबकुछ योजना के तहत था.'

पढ़ें: ये हैं चंद्रयान-2 मिशन के असली नायक

लिनेंगर ने इंगित किया कि दुर्भाग्यवश लैंडर चंद्रमा की सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होवर प्वाइंट तक नहीं पहुंच सका.

उन्होंने कहा, 'अगर वह उस बिंदु पर पहुंच जाता और उसके आगे असफल होता तब भी बहुत लाभ होता क्योंकि रडार अल्टीमीटर और लेजर का प्रशिक्षण हो जाता, लेकिन जब आप पीछे मुड़़कर बड़ी तस्वीर देखते हैं, तो यह कोशिश निश्चित तौर पर आने वाले अभियानों के लिए लाभदायक होगी.'

एक अंतरिक्ष यात्री और विशेषज्ञ के तौर पर लिनेंगर ने कहा कि मिशन बहुत ही सफल रहा. उन्होंने इसरो को इस मुश्किल मिशन के लिए बधाई दी.
उन्होंने कहा, 'ऑर्बिटर अगले एक साल तक बहुमूल्य जानकारी देना जारी रखेगा. ऑर्बिटर से आ रहे संकेत बता रहे हैं कि सभी प्रणालियां ठीक से काम कर रही हैं.'

ZCZC
PRI GEN NAT
.NEWDELHI DEL17
CHANDRAYAAN-NASA ASTRONAUT
Chandrayaan-2 landing attempt will help India's future missions: Former NASA astronaut
         New Delhi, Sep 7 (PTI) The lessons learned from India's bold attempt to soft land Chandrayaan-2's Vikram module on the lunar surface will help the country during its future missions, former NASA astronaut Jerry Linenger said on Saturday.
         Indian Space Research Organisation's (ISRO) plan to soft land Vikram near the Moon's south pole did not go as per script in the early hours of Saturday, with the lander losing communication with ground stations during its final descent.
         Linengar, who flew on Russian space station Mir that operated in low Earth orbit from 1986 to 2001 for five months, took take part in the live telecast of Chandrayaan-2 landing attempt on the National Geographic Channel.
         "We should not be too discouraged. India was trying to do something very, very difficult. In fact, everything was going as planned as the lander came down," Linenger told PTI in an email interview.
         Linenger noted that the lander "unfortunately" never quite made it to the hover point which is an altitude of about 400 metres above the lunar surface.
         "...if it had made it to that point, and even if it had not succeeded beyond that, it would have been helpful because the radar altimeters and lasers could have been tested. But if you step back and look at the big picture, this (attempt) would obviously be very helpful for follow on missions," he said.
         An astronaut narrator and space analyst, Linenger said overall the mission has been very successful.
         In fact, the orbiter will continue to downlink very valuable information for the next year. And by all indications, all systems are good on the orbiter, he said.
         Leninger also congratulated ISRO for attempting the difficult lunar landing.
         I look forward to watching complete success in the future based upon lessons learned from this bold attempt, Linenger added.
         The Chandrayaan-2 mission was launched on July 22 by a Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III (GSLV Mk III).
         The Chandrayaan-2 spacecraft began its journey towards the Moon, leaving the Earth's orbit, on August 14, after a crucial manoeuvre called Trans Lunar Insertion or TLI that was carried out by Isro to place the spacecraft on "lunar transfer trajectory". PTI SAR


ANB
ANB
09071151
NNNN
Last Updated : Sep 29, 2019, 6:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.