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भारत का उदय किसी के लिए खतरा नहीं, हम किसी से डरते भी नहीं: रक्षा सचिव

रक्षा सचिव अजय कुमार ने राष्ट्रीय हित के लिए यह आवश्यक है कि देश के पड़ोस में स्थायित्व हो. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं में मानव संसाधन पर खर्च बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस पर नियंत्रण पाना जरूरी है.

रक्षा सचिव
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Published : Dec 4, 2020, 1:24 AM IST

नई दिल्ली : रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के उदय से किसी को खतरा नहीं है और देश किसी से डरता भी नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित के लिए यह आवश्यक है कि देश के पड़ोस में स्थायित्व हो.

कुमार ने कहा, 'हमारे सामुद्रिक और राष्ट्रीय हित के लिए आवश्यक है कि हमारे निकटस्थ पड़ोस में स्थायित्व बरकरार रहे और हिंद महासागर में ही नहीं बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था स्थापित हो.'

मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान की ओर से आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा, 'भारत का उदय किसी के लिए खतरा नहीं है और न ही हम किसी से डरते हैं.'

कुमार ने कहा कि भारत के रक्षा संबंध मुक्त, खुली और नियम आधारित व्यवस्था के सिद्धांत पर आधारित हैं ताकि आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित हो जिससे भारत के एक सौ तीस करोड़ तथा क्षेत्र के दो सौ करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके.

उन्होंने कहा, 'हाल के वर्षों में हमने समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ सहयोग किया है और कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनसे सामंजस्य और संचालन को बढ़ावा मिलेगा. हाल ही में सम्पन्न हुआ मालाबार (सैन्य) अभ्यास, हमारे अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उदाहरण है.'

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं में मानव संसाधन पर खर्च बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस पर नियंत्रण पाना जरूरी है.

पढ़ें - बह्मपुत्र नदी पर चीन ने किया ये दावा, भारत बोला- हर गतिविधि पर है नजर

कुमार ने कहा, 'हम इसके लिए विभिन्न तरीकों पर विचार कर रहे हैं ताकि कम खर्च में काम हो सके, ऐसे तरीकों की तलाश कर रहे हैं जिससे खर्च कम हो सके और तकनीक का उपयोग किया जा सके.'

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में जहां अन्य मंत्रालयों के बजट में कटौती की गई वहीं रक्षा मंत्रालय का बजट प्रभावित नहीं होने दिया गया.

नई दिल्ली : रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के उदय से किसी को खतरा नहीं है और देश किसी से डरता भी नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित के लिए यह आवश्यक है कि देश के पड़ोस में स्थायित्व हो.

कुमार ने कहा, 'हमारे सामुद्रिक और राष्ट्रीय हित के लिए आवश्यक है कि हमारे निकटस्थ पड़ोस में स्थायित्व बरकरार रहे और हिंद महासागर में ही नहीं बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था स्थापित हो.'

मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान की ओर से आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा, 'भारत का उदय किसी के लिए खतरा नहीं है और न ही हम किसी से डरते हैं.'

कुमार ने कहा कि भारत के रक्षा संबंध मुक्त, खुली और नियम आधारित व्यवस्था के सिद्धांत पर आधारित हैं ताकि आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित हो जिससे भारत के एक सौ तीस करोड़ तथा क्षेत्र के दो सौ करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके.

उन्होंने कहा, 'हाल के वर्षों में हमने समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ सहयोग किया है और कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनसे सामंजस्य और संचालन को बढ़ावा मिलेगा. हाल ही में सम्पन्न हुआ मालाबार (सैन्य) अभ्यास, हमारे अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उदाहरण है.'

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं में मानव संसाधन पर खर्च बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस पर नियंत्रण पाना जरूरी है.

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कुमार ने कहा, 'हम इसके लिए विभिन्न तरीकों पर विचार कर रहे हैं ताकि कम खर्च में काम हो सके, ऐसे तरीकों की तलाश कर रहे हैं जिससे खर्च कम हो सके और तकनीक का उपयोग किया जा सके.'

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में जहां अन्य मंत्रालयों के बजट में कटौती की गई वहीं रक्षा मंत्रालय का बजट प्रभावित नहीं होने दिया गया.

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