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मौजूदा नियम हमें ट्रांसजेंडरों की भर्ती की अनुमति नहीं देते : एनसीसी प्रमुख - एनसीसी की वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस

राष्ट्रीय कैडेट कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार आइच एनसीसी में ट्रांसजेंडरों की भर्ती को लेकर कहा कि फिलहाल मौजूदा नियम हमें उनकी भर्ती की इजाजत नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि हम 1948 के एनसीसी अधिनियम के अनुसार चल रहे हैं. हमारे पास ट्रांसजेंडर को शामिल करने का क्लॉज नहीं है.

जनरल तरुण कुमार आइच
जनरल तरुण कुमार आइच
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Published : Jan 8, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार आइच ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान नियम एनसीसी में ट्रांसजेंडरों के नामांकन की अनुमति नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में ट्रांसजेंडर को ‘थर्ड जेंडर' के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन फिलहाल, जो नियम है उसके मुताबिक उन्हें एनसीसी में शामिल नहीं किया जा सकता है.

दिलचस्प बात यह है कि जब डीजी एनसीसी की वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, केरल हाईकोर्ट एनसीसी अधिनियम की धारा 6 के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्ति के नामांकन को हटाने के खिलाफ एक ट्रांसवोमन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

उन्होंने कहा, ‘हम 1948 के एनसीसी अधिनियम के अनुसार चल रहे हैं. हमारे पास ट्रांसजेंडर को शामिल करने का क्लॉज नहीं है, लेकिन अगर यूनिफॉर्म यूथ आग्रेनाइजेशन में ट्रांसजेंडरों को शामिल करने के बारे में सोचा जाए, तो पहले हमें ट्रांसजेंडरों की कुल संख्या समेत अन्य जानकारी की जरूरत होगी.

तरुण कुमार ने आगे कहा कि क्योंकि यह निर्णय राष्ट्र स्तर पर लिया जाना है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने कहा कि जब हम पुरुष या महिला के लिंग की बात करते हैं, तो हमारे पास ट्रांसजेंडर को नामांकित करने का खंड नहीं होता है और वर्तमान में ऐसा ही है. हालांकि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना था कि एक तीसरा लिंग मौजूद है, लेकिन वर्तमान में हमारे पास इससे संबंधित नियम नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि लोग उनकी इस बात से सहमत होंगे कि आपके पास एक लड़का-लड़की और एक ट्रांसजेंडर समुदाय या कैटेगरी नहीं हो सकती, क्यों कि आपको बड़ी तादाद में ट्रांसजेंडर्स की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आपको एक अलग डायनेमिक की जरूरत होगी, ताकि वर्तमान स्थिति में एनसीसी में उन्हें भर्ती करने की अनुमति मिल सके.

पढ़ें - उत्तर प्रदेश : जहरीली शराब पीने से पांच की मौत, तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड

इस बीच केरल उच्च न्यायालय ने आज एनसीसी नामांकन से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बहिष्कार के खिलाफ एक ट्रांसवुमन की याचिका के मामले को स्थगित कर दिया. मामले को एनसीसी के अतिरिक्त हलफनामे के लिए स्थगित कर दिया गया और अंतरिम आदेश जारी रखने के लिए एक खाली सीट को जारी रखने का निर्देश दिया गया.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार आइच ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान नियम एनसीसी में ट्रांसजेंडरों के नामांकन की अनुमति नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में ट्रांसजेंडर को ‘थर्ड जेंडर' के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन फिलहाल, जो नियम है उसके मुताबिक उन्हें एनसीसी में शामिल नहीं किया जा सकता है.

दिलचस्प बात यह है कि जब डीजी एनसीसी की वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, केरल हाईकोर्ट एनसीसी अधिनियम की धारा 6 के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्ति के नामांकन को हटाने के खिलाफ एक ट्रांसवोमन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

उन्होंने कहा, ‘हम 1948 के एनसीसी अधिनियम के अनुसार चल रहे हैं. हमारे पास ट्रांसजेंडर को शामिल करने का क्लॉज नहीं है, लेकिन अगर यूनिफॉर्म यूथ आग्रेनाइजेशन में ट्रांसजेंडरों को शामिल करने के बारे में सोचा जाए, तो पहले हमें ट्रांसजेंडरों की कुल संख्या समेत अन्य जानकारी की जरूरत होगी.

तरुण कुमार ने आगे कहा कि क्योंकि यह निर्णय राष्ट्र स्तर पर लिया जाना है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने कहा कि जब हम पुरुष या महिला के लिंग की बात करते हैं, तो हमारे पास ट्रांसजेंडर को नामांकित करने का खंड नहीं होता है और वर्तमान में ऐसा ही है. हालांकि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना था कि एक तीसरा लिंग मौजूद है, लेकिन वर्तमान में हमारे पास इससे संबंधित नियम नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि लोग उनकी इस बात से सहमत होंगे कि आपके पास एक लड़का-लड़की और एक ट्रांसजेंडर समुदाय या कैटेगरी नहीं हो सकती, क्यों कि आपको बड़ी तादाद में ट्रांसजेंडर्स की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आपको एक अलग डायनेमिक की जरूरत होगी, ताकि वर्तमान स्थिति में एनसीसी में उन्हें भर्ती करने की अनुमति मिल सके.

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इस बीच केरल उच्च न्यायालय ने आज एनसीसी नामांकन से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बहिष्कार के खिलाफ एक ट्रांसवुमन की याचिका के मामले को स्थगित कर दिया. मामले को एनसीसी के अतिरिक्त हलफनामे के लिए स्थगित कर दिया गया और अंतरिम आदेश जारी रखने के लिए एक खाली सीट को जारी रखने का निर्देश दिया गया.

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