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पश्चिम बंगाल : विधानसभा चुनाव में महिलाओं के खिलाफ अपराध बन सकता है प्रमुख मुद्दा - violence against women electoral agenda

पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाया जा सकता है. इसका एक कारण राज्य में महिला मतदाताओं की 49 प्रतिशत संख्या है. इसलिए हर राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहा है.

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Published : Dec 12, 2020, 11:00 PM IST

कोलकाता : राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस बलात्कार पीड़ितों से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए गंभीर नहीं है.

राज्य में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बाकी हैं. राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इस चुनाव अभियान में राज्य में महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध को प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है.

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की महिला-कल्याण योजना जैसे कन्याश्री और रूपाश्री राज्य में महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेंगी.

अब सवाल उठता है कि इस साल महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर इतना ध्यान केंद्रित क्यों किया जा रहा है.

पिछले साल भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए मसौदा मतदाता सूची के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का 49 प्रतिशत है.

अतीत में कई बार ऐसा देखा गया है कि महिलाओं के मतदान पैटर्न ने चुनाव के परिणाम को निर्धारित किया है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री के रूप में बिहार की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने में महिला मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई थी.

उन्होंने राज्य में शराबबंदी लागू करने के अपने वादे के जरिए महिलाओं का दिल जीत लिया था.

भाजपा के लोकसभा सदस्य और महासचिव, लॉकेट चट्टोपाध्याय के अनुसार, कन्याश्री और रूपाश्री जैसी योजनाएं आम जनता के लिए कागजों पर दिखाई देती हैं. वास्तव में टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों को योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता. दूसरी ओर, राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.

बलात्कार, महिलाओं को जलाना अब राज्य में रोज के मामले बन गए हैं , जबकि दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए सब कुछ छोटी-छोटी घटनाएं हैं.

सीपीआईएम नेता मधुजा सेन रॉय के अनुसार राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों ने भयानक रूप ले लिया है. राज्य में महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता भी नहीं है. उन्होंने कहा कि कन्याश्री, रूपाश्री योजनाएं झूठ के अलावा कुछ नहीं हैं.

ऐसी ही कांग्रेस की नेता इंद्राणी दत्ता चट्टोपाध्याय की राय है. उनका कहना है कि हम यह नहीं भूले हैं कि कामदुनी और पार्क स्ट्रीट में क्या हुआ था. हम यह भी नहीं भूले हैं कि मुख्यमंत्री ने इन सभी घटनाओं को मामूली करार दिया था.

पढ़ें - शिवसेना सांसद पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज

हालांकि विपक्ष के आरोपों को राज्य के सामाजिक और महिला कल्याण मंत्री शशि पांजा ने निराधार बताया. उनका कहना है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा अधिक प्रचलित है. देश के अन्य हिस्सों की तुलना में पश्चिम बंगाल में महिलाएं अधिक सुरक्षित हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी उपाय किए हैं. राज्य प्रशासन के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित हैं.

ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर कुछ महिलाओं से बात की, तो लगभग सभी ने कहा कि यदि महिला सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तो सभी योजनाएं बेकार हो जाएंगी.

उनमें से अधिकांश महिलाओं ने कहा कि राज्य सरकार को महिला उत्पीड़न को रोकने और दोषियों पर नकेल कसने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

कोलकाता : राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस बलात्कार पीड़ितों से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए गंभीर नहीं है.

राज्य में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बाकी हैं. राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इस चुनाव अभियान में राज्य में महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध को प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है.

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की महिला-कल्याण योजना जैसे कन्याश्री और रूपाश्री राज्य में महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेंगी.

अब सवाल उठता है कि इस साल महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर इतना ध्यान केंद्रित क्यों किया जा रहा है.

पिछले साल भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए मसौदा मतदाता सूची के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का 49 प्रतिशत है.

अतीत में कई बार ऐसा देखा गया है कि महिलाओं के मतदान पैटर्न ने चुनाव के परिणाम को निर्धारित किया है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री के रूप में बिहार की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने में महिला मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई थी.

उन्होंने राज्य में शराबबंदी लागू करने के अपने वादे के जरिए महिलाओं का दिल जीत लिया था.

भाजपा के लोकसभा सदस्य और महासचिव, लॉकेट चट्टोपाध्याय के अनुसार, कन्याश्री और रूपाश्री जैसी योजनाएं आम जनता के लिए कागजों पर दिखाई देती हैं. वास्तव में टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों को योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता. दूसरी ओर, राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.

बलात्कार, महिलाओं को जलाना अब राज्य में रोज के मामले बन गए हैं , जबकि दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए सब कुछ छोटी-छोटी घटनाएं हैं.

सीपीआईएम नेता मधुजा सेन रॉय के अनुसार राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों ने भयानक रूप ले लिया है. राज्य में महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता भी नहीं है. उन्होंने कहा कि कन्याश्री, रूपाश्री योजनाएं झूठ के अलावा कुछ नहीं हैं.

ऐसी ही कांग्रेस की नेता इंद्राणी दत्ता चट्टोपाध्याय की राय है. उनका कहना है कि हम यह नहीं भूले हैं कि कामदुनी और पार्क स्ट्रीट में क्या हुआ था. हम यह भी नहीं भूले हैं कि मुख्यमंत्री ने इन सभी घटनाओं को मामूली करार दिया था.

पढ़ें - शिवसेना सांसद पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज

हालांकि विपक्ष के आरोपों को राज्य के सामाजिक और महिला कल्याण मंत्री शशि पांजा ने निराधार बताया. उनका कहना है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा अधिक प्रचलित है. देश के अन्य हिस्सों की तुलना में पश्चिम बंगाल में महिलाएं अधिक सुरक्षित हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी उपाय किए हैं. राज्य प्रशासन के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित हैं.

ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर कुछ महिलाओं से बात की, तो लगभग सभी ने कहा कि यदि महिला सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित नहीं किया जाता है, तो सभी योजनाएं बेकार हो जाएंगी.

उनमें से अधिकांश महिलाओं ने कहा कि राज्य सरकार को महिला उत्पीड़न को रोकने और दोषियों पर नकेल कसने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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