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चंडीगढ़ पीजीआई : कोरोना वायरस पर कुष्ठ रोग की दवा का चल रहा परीक्षण

कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू का चंडीगढ़ पी.जी.आई. ने चार कोरोना मरीजों पर असर देखा है, जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी. चारों कोरोना मरीजों को एम.डब्ल्यू (M.W) वैक्सीन की 0.3 एम.एल दवा का इंजेक्शन लगातार तीन दिनों तक दिया गया. इस दौरान ये पाया गया कि चारों मरीज बिल्कुल सुरक्षित हैं.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Apr 26, 2020, 10:32 AM IST

चंडीगढ़ : पीजीआई चंडीगढ़ की ओर से कुष्ठ रोग में दी जाने वाली एक दवा का परीक्षण कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर किया गया था, जिससे अब पीजीआई के डॉक्टरों को नई उम्मीद बंधी है. हालांकि, यह दवा फिलहाल ट्रायल पर है, लेकिन चार कोरोना संक्रमित मरीजों पर इसके सकारात्मक परिणाम आने के बाद डॉक्टर इस दवा को कोरोना वैक्सीन के रूप में देख रहे हैं. डॉक्टरों को यह उम्मीद है कि यह दवा कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कारगार साबित हो सकती है.

क्या M.W वैक्सीन करेगी कोरोना संक्रमितों का इलाज?
कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू का पी.जी.आई. ने ऐसे मरीजों पर असर देखा है, जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी. चारों कोरोना मरीजों को एम.डब्ल्यू (M.W) वैक्सीन की 0.3 एम.एल दवा का इंजेक्शन लगातार तीन दिनों तक दिया गया. इस दौरान पाया गया कि चारों मरीज बिल्कुल सुरक्षित हैं.

दिल्ली AIIMS और भोपाल में भी हो रहा इस दवा का ट्रायल

पी.जी.आई. के डॉक्टरों की मानें तो इस दवा का इस्तेमाल पहले कुष्ठ, तपेदिक और निमोनियाग्रस्त मरीजों पर किया गया था और उनमें भी दवा के इस्तेमाल को सुरक्षित पाया गया था. अब कोरोना के मरीजों पर भी दवा सुरक्षित पाई गई है. पी.जी.आई. चंडीगढ़ के अलावा इस दवा का ट्रायल ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) दिल्ली और भोपाल में भी किया जा रहा है.

पी.जी.आई. के निदेशक प्रो. जगतराम का कहना है कि कोरोना दवा के ट्रायल के लिए डॉक्टरों की टीम काम शुरू कर चुकी है और चार मरीजों पर दवा के इस्तेमाल के बेहतर नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस दवा को और संक्रमित मरीजों पर इस्तेमाल किया जाएगा.

4 कोरोना मरीज हुए स्वस्थ
पी.जी.आई. पलमोनरी विभाग से अध्ययनकर्ता प्रो. रितेश अग्रवाल का कहना है कि चार ऐसे मरीजों को सेफ्टी ट्रायल के लिए चुना गया था, जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था. वायरस जब पेशेट्स पर आक्रमण करता है तो उसके शरीर के डिफेंस सेल्स सक्रिय हो जाते हैं और वायरस से लड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं. ऐसे में कुछ मरीजों के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

डिफेंस सेल्स का बुरा प्रभाव भी शरीर पर आने लगता है. ऐसी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पेशेंट को इयुनोमोडुलेटर दवा दी जाती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कंट्रोल कर सके. मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सिर्फ वायरस से लड़े और खुद के शरीर की रक्षा करे, इसलिए मरीज को एम.डब्ल्यू. वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए गए.

पीजीआई डॉक्टरों को बंधी दवा से उम्मीद
इंजेक्शन के बाद चारों मरीज ठीक हो गए और दवा के सेफ्टी ट्रायल में सफलता मिली. आगे के ट्रायल में देखा जाएगा कि दवा के बाद पेशेंट्स को इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन और कितने दिन के लिए वैंटिलेटर की जरूरत पड़ती है? एक पेशेंट को दवा दी जाएगी जबकि दूसरे पेशेंट का दवा के बगैर दूसरे तरीके से इलाज कर असर देखा जाएगा.

चंडीगढ़ : पीजीआई चंडीगढ़ की ओर से कुष्ठ रोग में दी जाने वाली एक दवा का परीक्षण कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर किया गया था, जिससे अब पीजीआई के डॉक्टरों को नई उम्मीद बंधी है. हालांकि, यह दवा फिलहाल ट्रायल पर है, लेकिन चार कोरोना संक्रमित मरीजों पर इसके सकारात्मक परिणाम आने के बाद डॉक्टर इस दवा को कोरोना वैक्सीन के रूप में देख रहे हैं. डॉक्टरों को यह उम्मीद है कि यह दवा कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कारगार साबित हो सकती है.

क्या M.W वैक्सीन करेगी कोरोना संक्रमितों का इलाज?
कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू का पी.जी.आई. ने ऐसे मरीजों पर असर देखा है, जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी. चारों कोरोना मरीजों को एम.डब्ल्यू (M.W) वैक्सीन की 0.3 एम.एल दवा का इंजेक्शन लगातार तीन दिनों तक दिया गया. इस दौरान पाया गया कि चारों मरीज बिल्कुल सुरक्षित हैं.

दिल्ली AIIMS और भोपाल में भी हो रहा इस दवा का ट्रायल

पी.जी.आई. के डॉक्टरों की मानें तो इस दवा का इस्तेमाल पहले कुष्ठ, तपेदिक और निमोनियाग्रस्त मरीजों पर किया गया था और उनमें भी दवा के इस्तेमाल को सुरक्षित पाया गया था. अब कोरोना के मरीजों पर भी दवा सुरक्षित पाई गई है. पी.जी.आई. चंडीगढ़ के अलावा इस दवा का ट्रायल ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) दिल्ली और भोपाल में भी किया जा रहा है.

पी.जी.आई. के निदेशक प्रो. जगतराम का कहना है कि कोरोना दवा के ट्रायल के लिए डॉक्टरों की टीम काम शुरू कर चुकी है और चार मरीजों पर दवा के इस्तेमाल के बेहतर नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस दवा को और संक्रमित मरीजों पर इस्तेमाल किया जाएगा.

4 कोरोना मरीज हुए स्वस्थ
पी.जी.आई. पलमोनरी विभाग से अध्ययनकर्ता प्रो. रितेश अग्रवाल का कहना है कि चार ऐसे मरीजों को सेफ्टी ट्रायल के लिए चुना गया था, जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था. वायरस जब पेशेट्स पर आक्रमण करता है तो उसके शरीर के डिफेंस सेल्स सक्रिय हो जाते हैं और वायरस से लड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं. ऐसे में कुछ मरीजों के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

डिफेंस सेल्स का बुरा प्रभाव भी शरीर पर आने लगता है. ऐसी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पेशेंट को इयुनोमोडुलेटर दवा दी जाती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कंट्रोल कर सके. मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सिर्फ वायरस से लड़े और खुद के शरीर की रक्षा करे, इसलिए मरीज को एम.डब्ल्यू. वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए गए.

पीजीआई डॉक्टरों को बंधी दवा से उम्मीद
इंजेक्शन के बाद चारों मरीज ठीक हो गए और दवा के सेफ्टी ट्रायल में सफलता मिली. आगे के ट्रायल में देखा जाएगा कि दवा के बाद पेशेंट्स को इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन और कितने दिन के लिए वैंटिलेटर की जरूरत पड़ती है? एक पेशेंट को दवा दी जाएगी जबकि दूसरे पेशेंट का दवा के बगैर दूसरे तरीके से इलाज कर असर देखा जाएगा.

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