नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लागू किए गए लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों में पलायन कर रहे हैं. इस दौरान वे लोग अपने घर पहुंचने की कोशिश में कई हजार किलोमीटर तक पैदल चलकर भी जा रहे हैं. मुश्किलों का सामना करते मजदूरों के मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर तीखे सवाल खड़े करते हुए कहा कि इन प्रवासी मजदूरों के ऊपर हुई मानव त्रासदी के लिए केवल बिना तैयारी के लागू की गई तालाबंदी जिम्मेदार है.
कांग्रेस नेता अजय माकन ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, 'गर्म होते मौसम, सरकारी अकर्मण्यता, पुलिस की बर्बरता, पूरे देश में तालाबंदी के कारण उत्पन्न हुए खाद्य सामग्री और दवाइयों की किल्लत ने शायद कोरोना से भी बड़ी मानव त्रासदी में इन पलायन कर रहे मजदूरों को धकेल दिया है, लेकिन उनके इस कदम उठाने के पीछे कई कारण है, जिनमें से एक है कि शहर में उनकी नौकरी के अवसर खत्म हो गए हैं, उनके पास रहने की जगह भी नहीं है, इन मजदूरों के पास न ही खाने के लिए कुछ है और न पैसे हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इन मजदूरों का सरकार पर से विश्वास पूरी तरह से उठ गया है.
माकन ने सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि अगर विदेशों में फंसे अपने देशवासियों को लाने के लिए सरकार हवाई जहाज भेज सकती है तो इन मजदूरों के लिए सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं करा सकती?
त्रासदी से गुजर रहे इन मजदूरों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकारों को कुछ सुझाव भी दिए.
- सरकार तुरंत इन सभी मजदूरों के खातों में ₹7500 प्रति माह के हिसाब से जमा कराए. इसी से ज्यादातर मजदूर पलायन करने से शायद रुक जाएंगे.
- पर्याप्त मात्रा में राशन, चिकित्सा और खाना इन मजदूरों के लिए उपलब्ध कराया जाए.
- सभी प्रवासी जो सड़कों पर बसर कर रहे हैं या दूसरे राज्यों में कहीं फस गए हैं तो उनको कैसे सुरक्षा पूर्वक कुरौना से बचने के सभी प्रयासों को ध्यान में रखते हुए कैसे उनके घर तक पहुंचाना है .इसके लिए भी सरकार जल्द ही कोई कदम उठाए.
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के तहत सभी बॉर्डर सील हैं. इससे निबटने के लिए केंद्र सरकार को जल्द कोई कदम उठाना चाहिए.
ईटीवी भारत द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए अजय माकन ने कहा कि अगर सरकार इन सभी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने कदम उठाती है तो इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि उन्हें कोरोना वायरस से बचाने का हर संभव प्रयास किया जाए और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा जाए. इसके साथ उन सभी मजदूरों के खातों में अगर 7500 रुपये जमा करा दिए जाएंगे तो उससे संभव है कि वे लोग दूसरे राज्यों में पलायन न करें. इसके साथ सभी राज्य सरकारों को भी उनके प्रवास और खाने का इंतजाम करना चाहिए.