नई दिल्ली: पी चिदंबरम और डीके शिवकुमार जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के कानूनी शिकंजे में चले जाने से कांग्रेस सकते में हैं. वह प्रत्येक कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है. पार्टी आलाकमान ने साफ कर दिया है कि वह अब संवेदनशील मुद्दों को न उठाकर आम आदमी से जुड़े विषय पर ही अपना पूरा ध्यान फोकस करेगी.
बताते चलें कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार के संवेदनशील मुद्दों से जुड़े फैसलों का जब भी विरोध किया वह पार्टी को उल्टा ही पड़ गया.
चाहे धारा 370 का विरोध हो, राम मंदिर पर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं का बयान हो ,हिंदू आतंकवाद का मुद्दा हो या पूर्वोत्तर में एनआरसी का मामला हो कांग्रेस के नेताओं ने जब भी इन मामलों पर सरकार की नीतियों का विरोध किया पार्टी को क्षति हुई.
अब कांग्रेस पार्टी ने यह फैसला किया है ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी के नेता बयान देने के बदले आम आदमी की रोजगार और रोजी-रोटी से जुड़े मुद्दे को उठाए.
गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के महासचिव राज्यों के प्रभारी और पीसीसी मेंबर के साथ बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं को यह संदेश दिया.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं से कहा, क्या आप सोशल मीडिया के बदले जमीन पर उतरे और इस बात को गंभीरता से लें क्या आम आदमी की भावनाओं से जुड़े मुद्दे पर सरकार फैसला ले रही है उसके विरोध से कहीं पार्टी को क्षति तो नहीं हो रही!
मुद्दे सामने रखने से कतरा रही कांग्रेस
गौरतलब है कि हिंदू आतंकवाद जैसे मुद्दे जब कांग्रेस के नेताओं ने उठाए तो पार्टी को नुकसान भुगतना पड़ा. धारा 370 का विरोध भी कांग्रेस को भारी पड़ गया. कांग्रेस पार्टी को इस बात का एहसास हो गया है.
जानकारी के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यों के प्रभारियों को सोनिया गांधी ने साफ संदेश दिया कि जिन मुद्दों पर चर्चा करने से पार्टी को क्षति हो रही है उन मुद्दों पर बयानबाजी करने से बचते हुए कांग्रेस के नेता जमीन पर काम करें.
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को चेताया था कि वह सोशल मीडिया पर बयानबाजी के बदले जमीन पर उतर कर काम करें .
पिछले चुनाव से पहले मोदी सरकार के हिंदुत्व के मुद्दे के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व के संकेत दिए थे. लेकिन पार्टी को से बहुत लाभ नहीं हुआ.
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जानकार बताते हैं यह इसलिए हुआ क्योंकि सॉफ्ट हिंदुत्व की तस्वीर तो भले ही राहुल गांधी के मार्फत से पेश की जाती थी लेकिन कांग्रेस नेताओं के कई बयान पार्टी को उलटा पड़ रहा था इसी लिहाज से सोनिया गांधी ने संकेत दिया है कि संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी करने के बदले पार्टी नेता जमीन पर उतर कर काम करें.