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पूर्वोत्तर में पिछले 5 वर्षों में 2546 उग्रवाद की घटनाएं, 382 आम नागरिकों की मौत

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Published : Jul 16, 2019, 10:14 PM IST

पूर्वोत्तर में उग्रवाद की घटनाएं थमनें का नाम नहीं ले रही हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है. यह संसद में भी चिंता का विषय बना हुआ है. सरकार का कहना है कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद के मामलों में भारी कमी आई है लेकिन इससे संबंधित आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

कांग्रेस के सांसद रिपुन बोरा

नई दिल्लीः पूर्वोत्तर में उग्रवाद से हो रही हिंसा में आम नागरिकों की मौत संसद में चिंता का विषय बन गई है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने असम से कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा से बातचीत की.

बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, 'सरकार आम नागरिकों की सुरक्षा करने में असफल रही है. सरकार खोखले दावे करती है कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद के मामलों में कमी आई है.'

बोरा ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों से भारी संख्या में आम नागरिकों की मौत के मामले सामने आए हैं. बाता दें कि पिछले पांच माह में पूर्वोत्तर में उग्रवाद से हो रही हिंसा से 16 नागरिकों ने अपनी जान गवाई है.

कांग्रेस के सांसद रिपुन बोरा

सरकारी रिकार्ड के हिसाब से 2014 से लेकर अब तक उग्रवाद से हो रही हिंसा में 382 नागरिकों की जान गई है. वहीं 2546 उग्रवाद की घटनाओं में 510 उग्रवादी मारे गए हैं.

कहां कितनी घटनाएं
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड उग्रवाद कि घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहे जाते हैं.

असम में 2014 से लेकर मई 2019 तक कुल 475 उग्रवाद कि घटनाएं हुई हैं.
मणिपुर में 1084 उग्रवाद कि घटनाएं सामने आईं.
उग्रवाद कि घटनाओं में मेघालय में 415 वारदातें हुई.
वहीं नागालैंड में 318 घटनाएं हुई हैं.

पढे़ं- असम जलप्रलयः 80% जलमग्न हुआ काजीरंगा नेशनल पार्क, ऊंचे स्थानों की तलाश में जानवर

उग्रवाद से निपटनें के लिए सरकार गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून-1967 के तहत उग्र समुहों को 'गैरकानूनी संगठन' और 'आतंकवादी संगठनों' के रुप में प्रतिबंधित करती रहती है. सरकार चिन्हित क्षेत्रों को सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम 1958 के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर देती है.

हलांकि, विवादित AFSPA कानून को खत्म करने की मांग होती रहती हैं. इस पर बोरा कहते हैं, 'मैंने AFSPA को खत्म करने की मांग संसद में की है क्योंकि विशेष शक्तियों के नाम पर सुरक्षा बल नागरिकों को प्रताणित करते हैं.'

नई दिल्लीः पूर्वोत्तर में उग्रवाद से हो रही हिंसा में आम नागरिकों की मौत संसद में चिंता का विषय बन गई है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने असम से कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा से बातचीत की.

बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, 'सरकार आम नागरिकों की सुरक्षा करने में असफल रही है. सरकार खोखले दावे करती है कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद के मामलों में कमी आई है.'

बोरा ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों से भारी संख्या में आम नागरिकों की मौत के मामले सामने आए हैं. बाता दें कि पिछले पांच माह में पूर्वोत्तर में उग्रवाद से हो रही हिंसा से 16 नागरिकों ने अपनी जान गवाई है.

कांग्रेस के सांसद रिपुन बोरा

सरकारी रिकार्ड के हिसाब से 2014 से लेकर अब तक उग्रवाद से हो रही हिंसा में 382 नागरिकों की जान गई है. वहीं 2546 उग्रवाद की घटनाओं में 510 उग्रवादी मारे गए हैं.

कहां कितनी घटनाएं
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड उग्रवाद कि घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहे जाते हैं.

असम में 2014 से लेकर मई 2019 तक कुल 475 उग्रवाद कि घटनाएं हुई हैं.
मणिपुर में 1084 उग्रवाद कि घटनाएं सामने आईं.
उग्रवाद कि घटनाओं में मेघालय में 415 वारदातें हुई.
वहीं नागालैंड में 318 घटनाएं हुई हैं.

पढे़ं- असम जलप्रलयः 80% जलमग्न हुआ काजीरंगा नेशनल पार्क, ऊंचे स्थानों की तलाश में जानवर

उग्रवाद से निपटनें के लिए सरकार गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून-1967 के तहत उग्र समुहों को 'गैरकानूनी संगठन' और 'आतंकवादी संगठनों' के रुप में प्रतिबंधित करती रहती है. सरकार चिन्हित क्षेत्रों को सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम 1958 के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर देती है.

हलांकि, विवादित AFSPA कानून को खत्म करने की मांग होती रहती हैं. इस पर बोरा कहते हैं, 'मैंने AFSPA को खत्म करने की मांग संसद में की है क्योंकि विशेष शक्तियों के नाम पर सुरक्षा बल नागरिकों को प्रताणित करते हैं.'

Intro:New Delhi: Death of a huge number of civilians in insurgency related violence in Northeast has irked the lawmakers in the Parliament.


Body:"The Government has failed to protect the civilians. The Government, in fact, indulge in false claim that the insurgency in Northeast has come down drastically," said Congress lawmaker from Assam Ripun Bora to ETV Bharat on Tuesday.

Quoting government records, Bora said that a huge number of civilians casualty have been reported from the northeastern states.

In last five months, 16 civilians have lost their lives in insurgency related violence in Northeast.

Government records said that as many as 382 civilians have lost their lives in insurgency related violence since 2014. Where as the number of extremists killed were 510 in 2546 insurgency incidents in different states of Northeast.

Assam, Manipur, Meghalaya and Nagaland are the worst insurgency affected states in the region.

Assam has witnessed 475 insurgency related violence since 2014 till May this year. Similarly Manipur witnessed 1084 insurgency related incidents. 415 insurgency related violence took place in Meghalaya and 318 insurgency related incidents took place in Nagaland.


Conclusion:In an effort to combat insurgency, the government keeps banning insurgent groups as 'unlawful association' and 'terrorist organisation' under Unlawful Activities (Prevention) Act 1967, declaring specific areas as 'disturbed areas' for the purpose of Armed Forces (Special Powers) Act 1958.

However, voice to repeal the controversial AFSPA keep coming from time to time.

"In the name of Armed Forces Special Powers Act the security forces torture the civilians...I have also raised the demand to repeal the Act in the Parliament," said Bora.

end.
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