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जानें, जहरीली गैस के संपर्क में आने से होने वाली बीमारी और निदान

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्टायरिन गैस लीक हो गई. इस गैस के संपर्क में आने से 11 लोगों की मौत हो गई. 800 से अधिक लोग बीमार हैं. 1984 में भोपाल त्रासदी में 3800 सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. ऐसी ही कुछ गैसों के संपर्क में आने से कई बीमारियां हो जाती हैं. जानें किन गैसों के संपर्क में आने से बीमारी हो सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 8, 2020, 6:01 PM IST

हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्टायरिन गैस लीक होने की वजह से 11 लोगों की मौत हो गई. 800 से अधिक लोग बीमार हो गए.1984 में भोपाल गैस त्रासदी में 3800 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भोपाल के उस क्षेत्र में आज भी गैस का दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. दरअसल, गैस से प्रभावित होने पर न सिर्फ नई बीमारी होने का खतरा रहता है, बल्कि पुरानी बीमारी भी सक्रिय हो जाती है. खासकर क्रोनिक डिजीज. यहां हम कुछ बीमारियों की सूची प्रदान कर रहे हैं.

इनमें से कुछ गैस और बीमारियां इस प्रकार हैं...

⦁ विनाइल क्लोराइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा अन्य हैलोजेनेटेड हाइड्रोकार्बन गैस के संपर्क में आने से लिवरफाइब्रोसिस और कैंसर होने का खतरा बना रहता है.

⦁ बेजीन, बेंजीन के नाइट्रो और अमीनो यौगिक और उसके होमोलॉग्स ट्राइनाइट्रो टॉलुईन, ट्राइनाइट्रो बेंजीन, ट्राइनाइट्रो फिनॉल, नाइट्रस ऑक्साइड से रक्त विकार होता है.

⦁ ट्राइनाइट्रो टॉलुईन, ट्राइनाइट्रो फिनॉल, एथलीन डाइक्लोराइड, एसिटाइलीन टेट्राक्लोराइड, टेट्राब्रोमोइथेन, पेंटाक्लोरोइथेन से हेपेटाइटिस बीमारी हो सकती है.

⦁ पेंट और विलायक एक्सपोजर-कार्बन मोनो से मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है.

⦁ नाइट्रस ऑक्साइड एन- हेक्सेन मेथिल एथिल कीटोन के एक्सपोजर से न्यूरोपेथिज बीमारी होने का खतरा बना रहता है.

⦁ हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से क्रोनिक आंख संबधी बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) होती है.

⦁ सल्फर डाइ ऑक्साइड से क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के भी होने का खतरा रहता है.

पढ़ें : औरंगाबाद से पहले भी इस तरह के कई हादसे हो चुके हैं, जानें

जहरीली गैसों के संपर्क में आने पर क्या करना चाहिए...

  • स्थिति को नियंत्रित करने के लिए घबराने और चिल्लाने की जरूरत नहीं है. अगर ऐसा करेंगे, तो आपको घुटन हो सकती है.
  • इधर-उधर दौड़कर खुद को न थकाएं. इससे स्थिति और बदतर होती है और आपका शरीर बुरी तरह से प्रभावित होता है.
  • सुरक्षा से जुड़े उपयुक्त सुरक्षा उपकरण जैसे चश्मा पहनें.
  • चेहरे को ढंके. दस्ताने और एप्रॉन का प्रयोग कर सकते हैं.
  • बिना मास्क पहने घर से बाहर ना निकलें. बहुत जरूरी होने पर ही बाहर कदम रखें.
  • जहरीली गैस से बचने के लिए गीले मास्क का प्रयोग करें. यदि आपके पास मास्क नहीं है, तो अपने मुंह और नाक को गीले कपड़े से ढक लें.
  • ऐसे वातावरण में प्रवेश नहीं करना चाहिए जहां जहरीली गैस हो. यदि वहां पर कोई व्यक्ति मौजूद हो तो उसे बचाने के लिए तब तक न जाएं जबतक कि आपके पास सुरक्षात्मक उपकरण ना हो.
  • यदि आप गैस के संपर्क में आए हैं, तो सुरक्षित स्थान पर पहुंचने और गहरी सांस लेने की कोशिश करें.

हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्टायरिन गैस लीक होने की वजह से 11 लोगों की मौत हो गई. 800 से अधिक लोग बीमार हो गए.1984 में भोपाल गैस त्रासदी में 3800 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भोपाल के उस क्षेत्र में आज भी गैस का दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. दरअसल, गैस से प्रभावित होने पर न सिर्फ नई बीमारी होने का खतरा रहता है, बल्कि पुरानी बीमारी भी सक्रिय हो जाती है. खासकर क्रोनिक डिजीज. यहां हम कुछ बीमारियों की सूची प्रदान कर रहे हैं.

इनमें से कुछ गैस और बीमारियां इस प्रकार हैं...

⦁ विनाइल क्लोराइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा अन्य हैलोजेनेटेड हाइड्रोकार्बन गैस के संपर्क में आने से लिवरफाइब्रोसिस और कैंसर होने का खतरा बना रहता है.

⦁ बेजीन, बेंजीन के नाइट्रो और अमीनो यौगिक और उसके होमोलॉग्स ट्राइनाइट्रो टॉलुईन, ट्राइनाइट्रो बेंजीन, ट्राइनाइट्रो फिनॉल, नाइट्रस ऑक्साइड से रक्त विकार होता है.

⦁ ट्राइनाइट्रो टॉलुईन, ट्राइनाइट्रो फिनॉल, एथलीन डाइक्लोराइड, एसिटाइलीन टेट्राक्लोराइड, टेट्राब्रोमोइथेन, पेंटाक्लोरोइथेन से हेपेटाइटिस बीमारी हो सकती है.

⦁ पेंट और विलायक एक्सपोजर-कार्बन मोनो से मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है.

⦁ नाइट्रस ऑक्साइड एन- हेक्सेन मेथिल एथिल कीटोन के एक्सपोजर से न्यूरोपेथिज बीमारी होने का खतरा बना रहता है.

⦁ हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से क्रोनिक आंख संबधी बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) होती है.

⦁ सल्फर डाइ ऑक्साइड से क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के भी होने का खतरा रहता है.

पढ़ें : औरंगाबाद से पहले भी इस तरह के कई हादसे हो चुके हैं, जानें

जहरीली गैसों के संपर्क में आने पर क्या करना चाहिए...

  • स्थिति को नियंत्रित करने के लिए घबराने और चिल्लाने की जरूरत नहीं है. अगर ऐसा करेंगे, तो आपको घुटन हो सकती है.
  • इधर-उधर दौड़कर खुद को न थकाएं. इससे स्थिति और बदतर होती है और आपका शरीर बुरी तरह से प्रभावित होता है.
  • सुरक्षा से जुड़े उपयुक्त सुरक्षा उपकरण जैसे चश्मा पहनें.
  • चेहरे को ढंके. दस्ताने और एप्रॉन का प्रयोग कर सकते हैं.
  • बिना मास्क पहने घर से बाहर ना निकलें. बहुत जरूरी होने पर ही बाहर कदम रखें.
  • जहरीली गैस से बचने के लिए गीले मास्क का प्रयोग करें. यदि आपके पास मास्क नहीं है, तो अपने मुंह और नाक को गीले कपड़े से ढक लें.
  • ऐसे वातावरण में प्रवेश नहीं करना चाहिए जहां जहरीली गैस हो. यदि वहां पर कोई व्यक्ति मौजूद हो तो उसे बचाने के लिए तब तक न जाएं जबतक कि आपके पास सुरक्षात्मक उपकरण ना हो.
  • यदि आप गैस के संपर्क में आए हैं, तो सुरक्षित स्थान पर पहुंचने और गहरी सांस लेने की कोशिश करें.
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