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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे से बचने के लिए कर्नाटक के मैसुरु जू में लिए जाते हैं 10 रुपये - नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम 'नो प्लास्टिक, लाइफ फैंटास्टिक' रखी गई है. देखें इस मुहिम की 17वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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चामराजेंद्र जूलॉजिकल गार्डेन
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Published : Dec 28, 2019, 7:02 AM IST

मैसुरु : देश के अलग-अलग राज्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ कई मुहिम चलाए जा रहे हैं. कर्नाटक भी इस मुहिम में शामिल है. मैसुरु स्थित चामराजेंद्र जूलॉजिकल गार्डेन (मैसुरु जू) में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक बेहतरीन तरीका अपनाया गया है.

चिड़ियाघर के अधिकारी यहां आने वाले लोगों के प्लास्टिक के सामानों पर बार कोड लगाते हैं. इसकी एवज में उनसे 10 रुपये लिए जाते हैं. चिड़ियाघर से वापस जाते समय पर्यटकों को बार कोड लगा प्लास्टिक का सामान दिखाना होता है. ऐसा करने पर उन्हें 10 रुपये वापस कर दिए जाते हैं.

अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का मकसद चिड़ियाघर में पर्यटकों को कूड़ा फेंकने से रोकना और पूरे परिसर को प्लास्टिक कूड़े से मुक्त बनाना है.

चामराजेंद्र जूलॉजिकल गार्डेन की पहल पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

चिड़ियाघर में हर दिन हजारों लोग आते हैं. छुट्टियों और विशेष अवसरों पर, पर्यटकों की संख्या 10,000 के भी पार चली जाती है. चिड़ियाघर के निदेशक अजित कुलकर्णी ने बताया कि मैसुरु जू में 1,500 से अधिक पशु और पक्षी हैं.

उन्होंने बताया, चिड़ियाघर में हर साल लगभग 20 से 25 लाख पर्यटक आते हैं. इसलिए, चिड़ियाघर में इधर-उधर फेंके हुए प्लास्टिक कवर और कचरे का दिखना आम बात है.

बकौल अजित कुलकर्णी, प्लास्टिक पर बार कोड लगाने की शुरुआत के साथ, प्लास्टिक कूड़े के खतरे पर काफी हद तक नियंत्रण किया गया है.

मैसुरु चिड़ियाघर की पहल पर्यावरण के अनुकूल है. आम जनता के अलावा यहां आने वाले पर्यटक भी इस पहल की सराहना कर रहे हैं.

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अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का मकसद चिड़ियाघर में पर्यटकों को कूड़ा फेंकने से रोकना और पूरे परिसर को प्लास्टिक कूड़े से मुक्त बनाना है.

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उन्होंने बताया, चिड़ियाघर में हर साल लगभग 20 से 25 लाख पर्यटक आते हैं. इसलिए, चिड़ियाघर में इधर-उधर फेंके हुए प्लास्टिक कवर और कचरे का दिखना आम बात है.

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