नई दिल्ली : एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को लेकर अनिश्चितता के बीच, केंद्र सरकार ने पुष्टि की कि उसने एकल उपयोग प्लास्टिक पर अभी किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन लोगों से इसका उपयोग कम करने पर जोर जरूर दे रही है.
दरअसल भारत में प्लास्टिक से जुड़े उद्योगों ने 2022 तक एकल उपयोग प्लास्टिक को चरणबद्ध रुप से करने के लिए सरकार की योजना पर स्पष्टता मांगी है.
इस पूरे मसले पर ईटीवी भारत ने विशेष साक्षात्कार में आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव वीके जिंदल से बातचीत की है.
उन्होंने कहा कि एकल उपयोग पर प्रतिबंध लगाना हमारा लक्ष्य नहीं है. वास्तव में, हम इसके उपयोग को हतोत्साहित कर रहे हैं.'
जिंदल ने कहा कि उनका मंत्रालय पहले ही सीमेंट उद्योगों के साथ ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के साथ गठजोड़ कर चुका है.
इसे भी पढ़ें- बल्लभगढ़ में पीएम मोदी की ईको फ्रेंडली रैली, लोगों को मटके से पिलाया जाएगा पानी
उनके अनुसार, 'हमने पूरे भारत में 46 सीमेंट प्लांट्स की एक सूची बनाई है, जो गैर-पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक का उपयोग करेंगे और वैकल्पिक ईंधन उत्पन्न करेंगे.'
'वहीं दूसरी ओर एनएचएआई राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए गैर-पुनः नवीकरण प्लास्टिक का उपयोग करेगा. अब तक भारत में 10,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण गैर-पुनर्नवीकरण के उपयोग के साथ किया गया है.'
बेरोजगारी भी है बड़ा मुद्दा
हालांकि उद्योग रिपोर्टों के अनुसार, अनिश्चितता के कारण पहले ही लगभग 10,000 प्लास्टिक निर्माण इकाइयों को बंद करने की बात चल रही है. अगर ऐसा होता हे तो 4.5 लाख लोगों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है.
बेरोजगारी के सवाल पर, जिंदल ने कहा कि भारत में युवाओं को रोजगार के लिए वैकल्पिक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प मिलेगा. सभी कारखाने प्लास्टिक कारखाने नहीं हैं. अन्य वस्तुओं के लिए 90 प्रतिशत प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है. लेकिन एकल उपयोग प्लास्टिक सीमित हैं.
आगे जिंदल ने कहा, 'एक बार जब यह फैक्ट्री कम हो जाएगी तो कई अन्य उद्योग सामने आएंगे. जैसे पेपर बैग की तरह विनिर्माण उद्योग बड़े पैमाने पर आ रहे हैं.'
बता दें कि रिपोर्टों के अनुसार भारत में सालाना लगभग 14 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग होता है.
आवास और शहरी विकास मंत्रालय के लिए चुनौती
उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन (AIPMA) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों में 50,000 से अधिक इकाइयां शामिल हैं जिनकी वार्षिक आय 3.5 करोड़ करोड़ रुपये है.
बहरहाल आवास और शहरी विकास मंत्रालय इसे सकारात्मक रुप में एक चुनौती की तरह ले रही है.
इसे भी पढे़ं- अलग-अलग राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने साइकिल पर चढ़ दिया ये संदेश
बकौल जिंदल, 'जब हमने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) शुरू किया, तो इसे एक असंभव मिशन कहा गया था और अब परिणाम देखें. स्वच्छता लोगों के भीतर है.'
'जो एसबीएम मिशन का नेतृत्व किया और शहरी भारत में पश्चिम बंगाल के 52 शहरी स्थानीय निकायों को छोड़कर खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है.'