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बलात्कारी के लिए मृत्युदंड से सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती : स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने सामूहिक बलात्कार के बाद युवतियों को जिंदा जलाये जाने की दो हालिया घटनाओं पर रोटरी इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान बोलते हुए कहा कि सरकार ने बलत्कार के लिए मृत्यूदंड का प्रावधान रखा है. लेकिन यह लोगों की जिम्मेदारी भी है कि वो अपने बच्चों को औरतों के साथ सही व्यवहार करने की शिक्षा दें.

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केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी
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Published : Dec 7, 2019, 5:44 PM IST

Updated : Dec 7, 2019, 11:39 PM IST


नई दिल्ली/ इंदौर : सामूहिक बलात्कार के बाद युवतियों को जिंदा जलाये जाने की दो हालिया घटनाओं पर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि आधी आबादी की सुरक्षा के लिए सरकार ने दुष्कृत्य के मामलों में मृत्युदंड तक का कानूनी प्रावधान किया है और इससे सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा कि समाज को भी ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी चुनौतियों से निपटने पर विचार करना होगा और पालकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को सिखाना होगा कि महिलाओं से सही बर्ताव किया जाए.

ईरानी ने यहां रोटरी इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दोतरफा संवाद के सत्र में कहा, 'चर्चा यह भी हो रही है कि बलात्कार के मुजरिमों के लिए और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए.

ऐसे मामलों में सरकार की ओर से सजा-ए-मौत तक का कानूनी प्रावधान किया गया है. अब सजा-ए-मौत से ज्यादा सख्त सजा और कुछ नहीं हो सकती. 'उन्होंने बताया कि सरकार ने बलात्कार के मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए देशभर में 1,023 ‘फास्टट्रैक कोर्ट’ स्थापित करने के लिए वित्तीय मदद देनी शुरू कर दी है.

बलात्कार के मामलों में अदालतों से सजा पाने वाले सात लाख से ज्यादा यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी बनाया गया है, ताकि इन लोगों पर नजर रखी जा सके.

ईरानी ने अपील की कि बलात्कार पीड़िताओं की कानूनी मदद के लिए समाज को भी जिला स्तर पर आगे आना होगा, ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके.

उन्होंने कहा, 'हम एक नागरिक के तौर पर इंसाफ के लिए (सरकारी) संस्थाओं की ओर देखते हैं. बलात्कार की घटनाओं के लिए संस्थाओं, मीडिया, फिल्मों और साहित्य को जिम्मेदार ठहराया जाता है. हमें पालकों के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ख्याल रखना चाहिए कि हम अपने बच्चों के सामने महिलाओं की कैसी छवि पेश कर रहे हैं.'

ईरानी ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं कल (शुक्रवार) संसद में महिला उत्पीड़न के बारे में बोल रही थी, तब दो पुरुष सांसद मुझे मारने के लिए आगे बढ़े. इसका कारण बस यह था कि मैं बोल रही थी. क्या महिलाओं के लिखने और बोलने से भी दूसरी महिलाओं का उत्पीड़न होता है?'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकारी संस्थाएं तो अपने कईं प्रयास कर ही रही हैं. लेकिन आधी आबादी के सम्मान की शुरुआत घरों से होनी चाहिए, क्योंकि परिवार नैतिक मूल्यों की धुरी होता है.

उन्होंने कहा, 'बलात्कार की घटनाओं और महिलाओं के खिलाफ अन्य अत्याचारों के विषय को हल्के में नहीं लिया जा सकता. इस विषय में हमें ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी सामाजिक चुनौतियों का भी ध्यान रखना होगा.'

बलात्कार से महिलाओं को बचाने के लिए वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दिये जाने के विचार को सिरे से खारिज करते हुए ईरानी ने कहा,'वह समाज कैसा होगा जो महिला को एक वस्तु बनाकर अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने की बात करता हो. जो लोग महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने की बात करते हैं, उनका रवैया सरासर अमानवीय है.'


नई दिल्ली/ इंदौर : सामूहिक बलात्कार के बाद युवतियों को जिंदा जलाये जाने की दो हालिया घटनाओं पर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि आधी आबादी की सुरक्षा के लिए सरकार ने दुष्कृत्य के मामलों में मृत्युदंड तक का कानूनी प्रावधान किया है और इससे सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा कि समाज को भी ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी चुनौतियों से निपटने पर विचार करना होगा और पालकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को सिखाना होगा कि महिलाओं से सही बर्ताव किया जाए.

ईरानी ने यहां रोटरी इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दोतरफा संवाद के सत्र में कहा, 'चर्चा यह भी हो रही है कि बलात्कार के मुजरिमों के लिए और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए.

ऐसे मामलों में सरकार की ओर से सजा-ए-मौत तक का कानूनी प्रावधान किया गया है. अब सजा-ए-मौत से ज्यादा सख्त सजा और कुछ नहीं हो सकती. 'उन्होंने बताया कि सरकार ने बलात्कार के मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए देशभर में 1,023 ‘फास्टट्रैक कोर्ट’ स्थापित करने के लिए वित्तीय मदद देनी शुरू कर दी है.

बलात्कार के मामलों में अदालतों से सजा पाने वाले सात लाख से ज्यादा यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी बनाया गया है, ताकि इन लोगों पर नजर रखी जा सके.

ईरानी ने अपील की कि बलात्कार पीड़िताओं की कानूनी मदद के लिए समाज को भी जिला स्तर पर आगे आना होगा, ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके.

उन्होंने कहा, 'हम एक नागरिक के तौर पर इंसाफ के लिए (सरकारी) संस्थाओं की ओर देखते हैं. बलात्कार की घटनाओं के लिए संस्थाओं, मीडिया, फिल्मों और साहित्य को जिम्मेदार ठहराया जाता है. हमें पालकों के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ख्याल रखना चाहिए कि हम अपने बच्चों के सामने महिलाओं की कैसी छवि पेश कर रहे हैं.'

ईरानी ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं कल (शुक्रवार) संसद में महिला उत्पीड़न के बारे में बोल रही थी, तब दो पुरुष सांसद मुझे मारने के लिए आगे बढ़े. इसका कारण बस यह था कि मैं बोल रही थी. क्या महिलाओं के लिखने और बोलने से भी दूसरी महिलाओं का उत्पीड़न होता है?'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकारी संस्थाएं तो अपने कईं प्रयास कर ही रही हैं. लेकिन आधी आबादी के सम्मान की शुरुआत घरों से होनी चाहिए, क्योंकि परिवार नैतिक मूल्यों की धुरी होता है.

उन्होंने कहा, 'बलात्कार की घटनाओं और महिलाओं के खिलाफ अन्य अत्याचारों के विषय को हल्के में नहीं लिया जा सकता. इस विषय में हमें ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी सामाजिक चुनौतियों का भी ध्यान रखना होगा.'

बलात्कार से महिलाओं को बचाने के लिए वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दिये जाने के विचार को सिरे से खारिज करते हुए ईरानी ने कहा,'वह समाज कैसा होगा जो महिला को एक वस्तु बनाकर अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने की बात करता हो. जो लोग महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने की बात करते हैं, उनका रवैया सरासर अमानवीय है.'

Intro:भारतीय सैन्य अकादमी में आज पासिंग आउट परेड के बाद 306 युवा सैन्य अधिकारी, भारतीय थल सेना में शामिल हो गए हैं। हिंदुस्तान के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से 56 जैंटलमैन कैडेट आज सेना का अभिन्न अंग बन चुके, तो वहीं दूसरे पायदान पर हरियाणा राज्य का नाम आता है जहां से 39 जेंटलमैन कैडेट देश की सेना में अपना योगदान देंगे। तो वहीं उत्तराखंड से 19 कैडेट आज सेना के अफसर बने। मुख्य अतिथि आईएमए में परेड में शामिल हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निरीक्षण अधिकारी बन परेड का निरीक्षण किया और परेड की सलामी भी ली।


Body:यही नही आज 377 जेंटलमैन कैडेट बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अंग बन गए है। इनमें से 306 भारतीय थल सेना में जबकि 71 युवा सैन्य अधिकारी दस मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, लिसिथो, किर्गिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, तंजानिया व वियतनाम की सेना में शामिल शामिल होंगे। 


कुल 306 कैडेट भारतीय सेना का बनेंगे हिस्सा...

उत्तर प्रदेश- 56
हरियाणा- 39
बिहार- 24
राजस्थान- 21
उत्तराखंड- 19
महाराष्ट्र- 19
हिमाचल प्रदेश- 18
दिल्ली- 16
पंजाब-1 1
केरला- 10
मध्यप्रदेश- 10
तमिलनाडु- 9
कर्नाटक- 7
आंध्र प्रदेश- 6
जम्मू कश्मीर- 6
वेस्टबंगाल- 6
तेलंगाना-  5
मणिपुर-  4
चंडीगढ़-  4
गुजरात-  4
झारखंड-  4
नेपाल- 2 
असम- 2
 मिजोरम- 1
ओडिसा- 1
सिक्किम- 1 
अंडमान निकोबार- 1





Conclusion:
Last Updated : Dec 7, 2019, 11:39 PM IST
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