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कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए होम्योपैथी एक बेहतरीन विकल्प

कोरोना संकट में अग्रिम पंक्ति में खड़े कार्यकर्ता वायरस संक्रमण जैसे जोखिमों से गुजर रहे हैं. कई संस्थाएं ऐसे लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने की दिशा में काम करने के लिए एकजुट हो रहे हैं. कोरोना से लड़ने के लिए एकजुटता के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

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Published : May 21, 2020, 5:59 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख को पार कर गई है. लॉकडाउन 4.0 की घोषणा कर दी गई है. संकट की इस घड़ी में सरकारी, गैर सरकारी विभाग चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. इस महामारी के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में खड़े वर्कर्स का जीवन जोखिमों से भरा हुआ है. कोरोना संकट में कॉर्पोरेट घराने, एनजीओ और निजी संगठन इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सुरक्षात्मक गियर प्रदान करने के लिए आगे आ रहे हैं. उन्हें शक्ति प्रदान करने के लिए होम्योपैथिक दवा Arsenicum album-30 दी जा रही है. उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो इसके लिए प्रयास जारी हैं. क्योंकि कोरोना को लड़ाई में सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.

स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, फार्मासिस्टों, स्वच्छता कर्मचारियों और मीडिया जगत जैसे फ्रंटलाइन वर्कर्स कोरोना महामारी के समय अपनी जीवन की परवाह किए बगैर निस्वार्थ भाव से वायरस के खिलाफ इस युद्ध में शामिल हैं, जो लोग इस विकट परिस्थिति में हमारी देखभाल कर रहे हैं, उनमें से 2000 से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

अधिकारियों ने लगातार लोगों से अपील की है कि वह घर के अंदर रहें और मानव जीवन की रक्षा के लिए सार्वजनिक समारोह को बंद करें. वह साथ-साथ जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए भी काम कर रहे हैं कोरोना संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित रोगियों की देखभाल कर रहे हैं. उन लोगों को पृथक वार्ड में रख रहे हैं. पुलिस विभाग और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. देखा जाए तो संकट की इस घड़ी में पुलिस सबसे ज्यादा जोखिम में है. दूसरी तरफ जनता सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ताक पर रखकर निकल रही है. पुलिस खुद की जिंदगी को दांव पर लगाकर दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है.

इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के कार्यकर्ता भी कोरोना संकट में जोखिम से गुजर रहे हैं. मीडिया लोगों को कोरोना संबंधित सूचनाएं प्रदान करता है और लोगों को नियमित रूप से अपडेट रखता है. उनमें से भी कई लोग ऐसे हैं, जिनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है. कोरोना के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर खड़े कार्यकर्ताओं में प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक दवाइयां दी जा रही हैं. साथ ही सुरक्षा कवच में दस्ताने, मास्क मुहैया कराए जाते हैं.

कोरोनो वायरस की प्रतिरक्षा के लिए कोई निवारक दवा नहीं है. आयुष मंत्रालय ने आर्सेनिक एल्बम -30 (Arsenicum album-30) के उपयोग पर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. भारत में नेशनल फेडरेशन ऑफ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के महासचिव डॉक्टर अरुण भस्मे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आयुष मंत्री श्रीपद नाइक से अपील की है कि वे होम्योपैथिक कॉलेजों को इलाज की अनुमति दें.

हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख को पार कर गई है. लॉकडाउन 4.0 की घोषणा कर दी गई है. संकट की इस घड़ी में सरकारी, गैर सरकारी विभाग चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. इस महामारी के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में खड़े वर्कर्स का जीवन जोखिमों से भरा हुआ है. कोरोना संकट में कॉर्पोरेट घराने, एनजीओ और निजी संगठन इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सुरक्षात्मक गियर प्रदान करने के लिए आगे आ रहे हैं. उन्हें शक्ति प्रदान करने के लिए होम्योपैथिक दवा Arsenicum album-30 दी जा रही है. उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो इसके लिए प्रयास जारी हैं. क्योंकि कोरोना को लड़ाई में सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.

स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, फार्मासिस्टों, स्वच्छता कर्मचारियों और मीडिया जगत जैसे फ्रंटलाइन वर्कर्स कोरोना महामारी के समय अपनी जीवन की परवाह किए बगैर निस्वार्थ भाव से वायरस के खिलाफ इस युद्ध में शामिल हैं, जो लोग इस विकट परिस्थिति में हमारी देखभाल कर रहे हैं, उनमें से 2000 से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

अधिकारियों ने लगातार लोगों से अपील की है कि वह घर के अंदर रहें और मानव जीवन की रक्षा के लिए सार्वजनिक समारोह को बंद करें. वह साथ-साथ जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए भी काम कर रहे हैं कोरोना संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित रोगियों की देखभाल कर रहे हैं. उन लोगों को पृथक वार्ड में रख रहे हैं. पुलिस विभाग और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. देखा जाए तो संकट की इस घड़ी में पुलिस सबसे ज्यादा जोखिम में है. दूसरी तरफ जनता सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ताक पर रखकर निकल रही है. पुलिस खुद की जिंदगी को दांव पर लगाकर दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है.

इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के कार्यकर्ता भी कोरोना संकट में जोखिम से गुजर रहे हैं. मीडिया लोगों को कोरोना संबंधित सूचनाएं प्रदान करता है और लोगों को नियमित रूप से अपडेट रखता है. उनमें से भी कई लोग ऐसे हैं, जिनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है. कोरोना के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर खड़े कार्यकर्ताओं में प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक दवाइयां दी जा रही हैं. साथ ही सुरक्षा कवच में दस्ताने, मास्क मुहैया कराए जाते हैं.

कोरोनो वायरस की प्रतिरक्षा के लिए कोई निवारक दवा नहीं है. आयुष मंत्रालय ने आर्सेनिक एल्बम -30 (Arsenicum album-30) के उपयोग पर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. भारत में नेशनल फेडरेशन ऑफ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के महासचिव डॉक्टर अरुण भस्मे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आयुष मंत्री श्रीपद नाइक से अपील की है कि वे होम्योपैथिक कॉलेजों को इलाज की अनुमति दें.

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