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असम : लॉकडाउन में बोट क्लिनिक लोगों की कर रहा सेवा

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. देश भर के अस्पताल और डॉक्टर कोरोना महामारी से लड़ने में लगे हुए है. ऐसे में 'असम बोट क्लिनिक' बहुत ही अहम भूमिका निभा रहा है. लोगों को इलाज के साथ- साथ बीमारी से बचने के लिए जागरूक भी कर रहा है.

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इलाज के लिए बोट क्लिनिक पर जाते लोग
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Published : Apr 23, 2020, 8:14 AM IST

Updated : Apr 23, 2020, 11:45 AM IST

बोंगाईगांव : लॉकडाउन के दौरान पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. इस वक्त असम में 'असम बोट क्लिनिक' बहुत ही अहम भूमिका निभा रहा है.

यह बोट क्लिनिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत चलाए जा रहे हैं, जिसका मुख्य लक्ष्य नदी के किनारे रहने वाले लोगों की चिकित्सा आवश्यकताओं की पूर्ती करना हैैं. यह बोट विभिन्न नदी जिलों में घूमती रहती है और जरूरतमंदों को चिकित्सा आवश्यकताओं की पूर्ति करती रहती है.

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असम बोट क्लिनिक

इस बोट क्लिनिक में 13 सदस्य होते है जो सातो दिन और 24 घंटा खुली रहती है. इस में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला तकनीशियन, नर्स और कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद रहते हैं.

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बोट पर इलाज के लिए जाते हुए मरीज

कोरोना वायरस का संक्रमण धीरे धीरे फैलता जा रहा है. बोट क्लिनिक भी बोट पर इलाज कराने आए सभी मरीजों को इलाज के साथ साथ कोरोना वायरस के फैलाव के कारणों की जानकारी दे रहा है.और साथ ही कोरोना वायरस से लोगों के बीच जागरुकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका बी निभा रहा है.

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बोट पर जाते हुे लोगों को सोशल डिसटंसिग बताते हुए

वहीं बोट क्लिनिक के डॉक्टर दिप्रजन दास ने कहा हम बोट क्लिनिक के स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं. अभी लॉकडाउन चल रहा है. हम बड़ी संख्या लोगों को एक जगह जमा नही कर सकते हैं. लेकिन हमने अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर -घर भेजकर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जागरुकता फैला रहे हैं. लोगों को हाथ धोना और बुनियादी स्वाच्छता बनाए रखने के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

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बोट क्लिनिक के अंदर डॉक्टर इलाज करते हुए

दास ने बताया कि बोट क्लिनिक का मूल उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और शिशुओं और छोटे बच्चों के टीकाकरण की जरुरतों को पूरा करना है. हम आम तौर पर हर रोज 40 से 50 मरीज रोज देख रहे हैं.

बोंगाईगांव : लॉकडाउन के दौरान पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. इस वक्त असम में 'असम बोट क्लिनिक' बहुत ही अहम भूमिका निभा रहा है.

यह बोट क्लिनिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत चलाए जा रहे हैं, जिसका मुख्य लक्ष्य नदी के किनारे रहने वाले लोगों की चिकित्सा आवश्यकताओं की पूर्ती करना हैैं. यह बोट विभिन्न नदी जिलों में घूमती रहती है और जरूरतमंदों को चिकित्सा आवश्यकताओं की पूर्ति करती रहती है.

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असम बोट क्लिनिक

इस बोट क्लिनिक में 13 सदस्य होते है जो सातो दिन और 24 घंटा खुली रहती है. इस में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला तकनीशियन, नर्स और कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद रहते हैं.

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बोट पर इलाज के लिए जाते हुए मरीज

कोरोना वायरस का संक्रमण धीरे धीरे फैलता जा रहा है. बोट क्लिनिक भी बोट पर इलाज कराने आए सभी मरीजों को इलाज के साथ साथ कोरोना वायरस के फैलाव के कारणों की जानकारी दे रहा है.और साथ ही कोरोना वायरस से लोगों के बीच जागरुकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका बी निभा रहा है.

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बोट पर जाते हुे लोगों को सोशल डिसटंसिग बताते हुए

वहीं बोट क्लिनिक के डॉक्टर दिप्रजन दास ने कहा हम बोट क्लिनिक के स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं. अभी लॉकडाउन चल रहा है. हम बड़ी संख्या लोगों को एक जगह जमा नही कर सकते हैं. लेकिन हमने अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर -घर भेजकर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जागरुकता फैला रहे हैं. लोगों को हाथ धोना और बुनियादी स्वाच्छता बनाए रखने के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

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बोट क्लिनिक के अंदर डॉक्टर इलाज करते हुए

दास ने बताया कि बोट क्लिनिक का मूल उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और शिशुओं और छोटे बच्चों के टीकाकरण की जरुरतों को पूरा करना है. हम आम तौर पर हर रोज 40 से 50 मरीज रोज देख रहे हैं.

Last Updated : Apr 23, 2020, 11:45 AM IST
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