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सरोगेसी नियमन विधेयक : भाजपा सहित विभिन्न दलों ने कई प्रावधानों पर जतायी असहमति

संसद के शीतकालीन सत्र में कई अहम बिलों पर चर्चा हो रही है. ऐसे में सरोगेसी नियमन विधेयक के कई प्रावधानों पर खुलकर चर्चा हुई. सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ सदस्य ने इसके कई प्रावधानों की खामियों पर बात की.

सरोगेसी नियमन विधेयक
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Published : Nov 20, 2019, 12:13 AM IST

नई दिल्ली : किराए की कोख (सरोगेसी) की समूची प्रक्रिया के नियमन के मकसद से लाये गये एक महत्वपूर्ण विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा हुई. इस दौरान सरकार के लिए उस समय असहज स्थिति बन गयी, जब विभिन्न दलों के साथ स्वयं सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने इसके कई प्रावधानों की खामियों की खुलकर चर्चा की.

विभिन्न दलों के सदस्यों ने प्रस्तावित कानून को मजबूती देने के मकसद से सरोगेसी के लिए इच्छुक दम्पत्ति की पांच साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम करने और निकट रिश्तेदार वाले प्रावधान को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का सुझाव दिया.

उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पर चर्चा के दौरान अधिकतर दलों के सदस्यों का मानना था कि इस विधेयक में सरकार को संसद की संबंधित स्थायी समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को शामिल करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक में समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को लगभग छोड़ दिया.

विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के सुरेश प्रभु ने भले ही विधेयक का समर्थन किया किंतु इसकी कई खामियों की भी खुलकर चर्चा की.

बाद में अधिकतर दलों के सदस्यों ने सुरेश प्रभु द्वारा उठाये गये मुद्दों का हवाला देते हुए सरकार से इस विधेयक में समुचित संशोधन करने को कहा.

प्रभु ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान रखा गया है कि केवल भारतीय नागरिक या अनिवासी भारतीय दम्पति ही सरोगेसी के जरिये बच्चे हासिल कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि भारत में यदि कोई विदेशी दम्पति रहता है तो उसे भी किसी कारण से इसकी आवश्यकता पड़ सकती है, तो ऐसे में इन लोगों को इससे वंचित नहीं करना चाहिए.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में केवल नजदीकी रिश्तेदार को सरोगेट माता बनाने का प्रावधान रखा गया है.

पढ़ें : गांधी परिवार से SPG सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ कांग्रेस का लोकसभा में हंगामा

उन्होंने कहा कि नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा को स्पष्ट किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भ्रम रहने से कई कठिनाइयां आएंगी.

उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि केवल ऐसे ही दम्पति सरोगेट प्रक्रिया से बच्चा हासिल कर सकेंगे, जिनके विवाह को पांच साल हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पांच साल की शर्त व्यावहारिक नहीं है और इसे घटाकर एक साल करना चाहिए.

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के एमवी राजीव गौड़ा ने कहा कि इस विधेयक के कई अव्यावहारिक पक्ष हैं और यह लाल फीताशाही से भरा हुआ है.

उन्होंने कहा कि प्रजनन में प्रामाणिक अक्षमता का प्रावधान समुचित नहीं है. उन्होंने कहा कि दुर्घटना, गर्भपात आदि कई कारणों से दंपत्ती संतानोत्तपति में अक्षम हो सकता है.

गौड़ा ने कहा कि किराये की कोख देने वाली मां को समुचित मुआवजा देना चाहिए क्योंकि यदि वह कामकाजी हुई तो नौ माह तक वह आय अर्जन भी नहीं कर पाएगी.

उन्होंने कहा कि आजकल समाज में परिवारों का आकार छोटा होता जा रहा है, ऐसे में विधेयक में रखी गयी नजदीकी रिश्तेदार की शर्त अव्यावहारिक है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि आज समाज में अविवाहित, सिंगल अभिभावक, विधुर या विधवा भी बच्चे पालते हैं. ऐसे में सरोगेसी के लिए वैवाहिक दम्पति का प्रावधान रखने से समाज के कई वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा.

नई दिल्ली : किराए की कोख (सरोगेसी) की समूची प्रक्रिया के नियमन के मकसद से लाये गये एक महत्वपूर्ण विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा हुई. इस दौरान सरकार के लिए उस समय असहज स्थिति बन गयी, जब विभिन्न दलों के साथ स्वयं सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने इसके कई प्रावधानों की खामियों की खुलकर चर्चा की.

विभिन्न दलों के सदस्यों ने प्रस्तावित कानून को मजबूती देने के मकसद से सरोगेसी के लिए इच्छुक दम्पत्ति की पांच साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम करने और निकट रिश्तेदार वाले प्रावधान को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का सुझाव दिया.

उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पर चर्चा के दौरान अधिकतर दलों के सदस्यों का मानना था कि इस विधेयक में सरकार को संसद की संबंधित स्थायी समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को शामिल करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक में समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को लगभग छोड़ दिया.

विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के सुरेश प्रभु ने भले ही विधेयक का समर्थन किया किंतु इसकी कई खामियों की भी खुलकर चर्चा की.

बाद में अधिकतर दलों के सदस्यों ने सुरेश प्रभु द्वारा उठाये गये मुद्दों का हवाला देते हुए सरकार से इस विधेयक में समुचित संशोधन करने को कहा.

प्रभु ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान रखा गया है कि केवल भारतीय नागरिक या अनिवासी भारतीय दम्पति ही सरोगेसी के जरिये बच्चे हासिल कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि भारत में यदि कोई विदेशी दम्पति रहता है तो उसे भी किसी कारण से इसकी आवश्यकता पड़ सकती है, तो ऐसे में इन लोगों को इससे वंचित नहीं करना चाहिए.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में केवल नजदीकी रिश्तेदार को सरोगेट माता बनाने का प्रावधान रखा गया है.

पढ़ें : गांधी परिवार से SPG सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ कांग्रेस का लोकसभा में हंगामा

उन्होंने कहा कि नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा को स्पष्ट किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भ्रम रहने से कई कठिनाइयां आएंगी.

उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि केवल ऐसे ही दम्पति सरोगेट प्रक्रिया से बच्चा हासिल कर सकेंगे, जिनके विवाह को पांच साल हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पांच साल की शर्त व्यावहारिक नहीं है और इसे घटाकर एक साल करना चाहिए.

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के एमवी राजीव गौड़ा ने कहा कि इस विधेयक के कई अव्यावहारिक पक्ष हैं और यह लाल फीताशाही से भरा हुआ है.

उन्होंने कहा कि प्रजनन में प्रामाणिक अक्षमता का प्रावधान समुचित नहीं है. उन्होंने कहा कि दुर्घटना, गर्भपात आदि कई कारणों से दंपत्ती संतानोत्तपति में अक्षम हो सकता है.

गौड़ा ने कहा कि किराये की कोख देने वाली मां को समुचित मुआवजा देना चाहिए क्योंकि यदि वह कामकाजी हुई तो नौ माह तक वह आय अर्जन भी नहीं कर पाएगी.

उन्होंने कहा कि आजकल समाज में परिवारों का आकार छोटा होता जा रहा है, ऐसे में विधेयक में रखी गयी नजदीकी रिश्तेदार की शर्त अव्यावहारिक है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि आज समाज में अविवाहित, सिंगल अभिभावक, विधुर या विधवा भी बच्चे पालते हैं. ऐसे में सरोगेसी के लिए वैवाहिक दम्पति का प्रावधान रखने से समाज के कई वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा.

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सरोगेसी नियमन विधेयक : भाजपा सहित विभिन्न दलों ने कई प्रावधानों पर असहमति जतायी



नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) किराए की कोख (सरोगेसी) की समूची प्रक्रिया के नियमन के मकसद से लाये गये एक महत्वपूर्ण विधेयक पर राज्यसभा में मंगलवार को सरकार के लिए उस समय असहज स्थिति बन गयी जब विभिन्न दलों के साथ स्वयं सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने इसके कई प्रावधानों की खामियों की खुलकर चर्चा की।



विभिन्न दलों के सदस्यों ने प्रस्तावित कानून को मजबूती देने के मकसद से सरोगेसी के लिए इच्छुक दंपती की पांच साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम करने और ‘‘निकट रिश्तेदार’’ वाले प्रावधान को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का सुझाव दिया।



उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पर चर्चा के दौरान अधिकतर दलों के सदस्यों का मानना था कि इस विधेयक में सरकार को संसद की संबंधित स्थायी समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक में समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशों को लगभग छोड़ दिया।



विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के सुरेश प्रभु ने भले ही विधेयक का समर्थन किया किंतु इसकी कई खामियों की भी खुलकर चर्चा की। बाद में अधिकतर दलों के सदस्यों ने सुरेश प्रभु द्वारा उठाये गये मुद्दों का हवाला देते हुए सरकार से इस विधेयक में समुचित संशोधन करने को कहा।



प्रभु ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान रखा गया है कि केवल भारतीय नागरिक या अनिवासी भारतीय दंपती ही सरोगेसी के जरिये बच्चे हासिल कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में यदि कोई विदेशी दंपती रहता है तो उसे भी किसी कारण से इसकी आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसे लोगों को इससे वंचित नहीं करना चाहिए।



पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में केवल नजदीकी रिश्तेदार को सरोगेट माता बनाने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा को स्पष्ट किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भ्रम रहने से कई कठिनाइयां आएंगी।



उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि केवल ऐसे ही दंपती सरोगेट प्रक्रिया से बच्चा हासिल कर सकेंगे जिनके विवाह को पांच साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पांच साल की शर्त व्यावहारिक नहीं है और इसे घटाकर एक साल करना चाहिए।



चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के एमवी राजीव गौड़ा ने कहा कि इस विधेयक के कई अव्यावहारिक पक्ष हैं और यह लाल फीताशाही से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रजनन में प्रामाणिक अक्षमता का प्रावधान समुचित नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना, गर्भपात आदि कई कारणों से दंपत्ती संतानोत्तपति में अक्षम हो सकता है।



गौड़ा ने कहा कि किराये की कोख देने वाली मां को समुचित मुआवजा देना चाहिए क्योंकि यदि वह कामकाजी हुई तो नौ माह तक वह आय अर्जन भी नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि आजकल समाज में परिवारों का आकार छोटा होता जा रहा है, ऐसे में विधेयक में रखी गयी नजदीकी रिश्तेदार की शर्त अव्यावहारिक है।



कांग्रेस नेता ने कहा कि आज समाज में अविवाहित, सिंगल अभिभावक, विधुर या विधवा भी बच्चे पालते हैं। ऐसे में सरोगेसी के लिए वैवाहिक दंपती का प्रावधान रखने से समाज के कई वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा। जारी भाषा माधव राजेश अविनाश


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