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पुनर्जन्म की पहेली सुलझाने नालंदा पहुंचा भूटान का राजपरिवार, नाती ने खोले हैं कई 'राज'

महारानी ने बताया कि उनका नाती जब 1 साल का था तब से ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम का उच्चारण करता था. उन्होंने कहा कि पहले तो हम सब सभी को कुछ समझ में नहीं आया. वहीं, जब कुछ और बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पिछले जन्म उसने अपनी पढ़ाई यहां की थी. जानें विस्तार से...

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Published : Dec 7, 2019, 12:01 AM IST

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भूटान की महारानी लाई घुमाने

नालन्दा: भूटान की महारानी आशी दोरजी वांग्मो वांगचुक अपनी बेटी और नाती के संग 300 प्रतिनिधिमंडल के साथ बिहार के राजगीर होते हुए नालन्दा पहुंची. राजगीर गृद्धकूट पर्वत पर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की. इसके बाद प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष नालन्दा खंडहर पहुंची. जहां उन्होंने पूरे भग्नावशेष का अवलोकन किया और भगवान बुद्ध की पूजा की.

दूसरी बार नालंदा आयी महारानी
बता दें कि महरानी दूसरी बार नालंदा पहुंची थी. महारानी के साथ उनकी बेटी सोनम देचन वांगचुक भी आई थीं. वहीं, जब पहली बार महारानी नालंदा आयी थी तो उनका दावा था कि उनका 6 वर्षीय नाती ट्रूएक वांगचुक का पुर्नजन्म हुआ है. महारानी बताती है कि महज 6 साल के बच्चे ने 1 घंटे तक अपने अतीत को बताकर हम लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. महारानी नालन्दा खंडहर पहुंचकर अपने आपको अत्यंत सौभाग्यशाली बताते हुए अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बताया.

प्रतिनिधिमंडल के साथ नालन्दा दौरा करते हुए...

इसे भी पढ़ें- 19 अक्टूबर को रवाना होगी बुद्धिस्ट सर्किट टूरिस्ट ट्रेन, किराया जान दंग रह जाएंगे आप

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महारानी ने बताया कि उनका नाती जब 1 साल का था तब से ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम का उच्चारण करता था. उन्होंने कहा कि पहले तो हम सब सभी को कुछ समझ में नहीं आया. वहीं, जब कुछ और बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पिछले जन्म उसने अपनी पढ़ाई यहां की थी. इस मौके पर उनके साथ भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे. भूटान की महरानी के लिए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे.

नालन्दा: भूटान की महारानी आशी दोरजी वांग्मो वांगचुक अपनी बेटी और नाती के संग 300 प्रतिनिधिमंडल के साथ बिहार के राजगीर होते हुए नालन्दा पहुंची. राजगीर गृद्धकूट पर्वत पर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की. इसके बाद प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष नालन्दा खंडहर पहुंची. जहां उन्होंने पूरे भग्नावशेष का अवलोकन किया और भगवान बुद्ध की पूजा की.

दूसरी बार नालंदा आयी महारानी
बता दें कि महरानी दूसरी बार नालंदा पहुंची थी. महारानी के साथ उनकी बेटी सोनम देचन वांगचुक भी आई थीं. वहीं, जब पहली बार महारानी नालंदा आयी थी तो उनका दावा था कि उनका 6 वर्षीय नाती ट्रूएक वांगचुक का पुर्नजन्म हुआ है. महारानी बताती है कि महज 6 साल के बच्चे ने 1 घंटे तक अपने अतीत को बताकर हम लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. महारानी नालन्दा खंडहर पहुंचकर अपने आपको अत्यंत सौभाग्यशाली बताते हुए अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बताया.

प्रतिनिधिमंडल के साथ नालन्दा दौरा करते हुए...

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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महारानी ने बताया कि उनका नाती जब 1 साल का था तब से ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम का उच्चारण करता था. उन्होंने कहा कि पहले तो हम सब सभी को कुछ समझ में नहीं आया. वहीं, जब कुछ और बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पिछले जन्म उसने अपनी पढ़ाई यहां की थी. इस मौके पर उनके साथ भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे. भूटान की महरानी के लिए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे.

Intro: भूटान की महारानी'नोमी'अपने पुत्री और नाती के संग 300 प्रतिनिधिमंडल के साथ आज राजगीर होते हुए नालन्दा पहुंची।राजगीर गृद्धकूट पर्वत पर भगवान बुद्ध का पूजा अर्चना करने के उपरांत प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष नालन्दा खंडहर पहुंची।जहां पर पूरे भग्नावशेष का अबलोकन किया,और भगवान बुद्ध की पूजा की।Body:हम आपको बता दें कि महारानी दोरजी वांगचुक दूसरी बार नालंदा पहुंची महारानी जी के साथ उनकी बेटी सोनम देचन वांगचुक भी साथ में थी।जब पहली बार महारानी नालंदा आई थी तो उनका दावा था कि उनका 6 वर्षीय नाती ट्रूएक वांगचुक का पुर्नरजन्म हुआ है ।824 साल बाद भूटान में राजकुमार के रूप में हुआ है।महारानी बताती है कि महज 6 वर्ष के बालक ने 1 घंटे तक अपने अतीत को बताकर हम लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। इस बालक ने उस जगह को भी पहचाना जहां अध्ययन किया करता था इसके अलावा उस कमरे को भी पहचाना जिसमें वह रहकर अध्ययन करता था। महारानी नालन्दा खंडहर पहुंचकर अपने आपको अत्यंत सौभाग्यशाली बताते हुए अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बताया। हालांकि इस बात का विश्वास तो नहीं होता है लेकिन जिस प्रकार एक छोटे से बालक ने प्राचीन विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी दी एक बार इंसान सोचने पर मजबूर हो जाएगी। Conclusion:महारानी ने बताया कि उनका नाती जब 1 साल का था तब से ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम का उच्चारण करता था पहले तो हम सब सभी को कुछ समझ में नहीं आया जब कुछ और बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पिछले जन्म उसने आप पढ़ाई की थी इस मौके पर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।भूटान की राजमाता के लिए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे।

राकेश कुमार संवाददाता
बिहारशरीफ
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